पुरानी रांची में पुरखों को याद किया, हड़गड़ी पूजा भी की
कांके के बोड़ेया गांव में हड़गड़ी पूजा की गयी. बोड़ेया गांव के विश्वकर्मा पाहन की अगुवाई में ग्रामीण ढोल, नगाड़े के साथ नाचते - गाते बोड़ेया अखड़ा में परिक्रमा करते हुए एकजुट हुए और वहां से मसना स्थल तक गये.
रांची : पुरानी रांची में ग्राम सभा के तत्वावधान में पुरखों की स्मृति में हड़गड़ी पूजा की गयी. सभी ग्रामवासी पहले अखड़ा स्थल में जुटे, फिर ढाक, नगाड़ा के साथ रैयत मसना, पहनई मसना, महताेई मसना जाकर दिवंगत लोगों के मसना में दातुन- पतई, फूल माला, टीका- सिंदूर कर पकवान, पानी अर्पित कर अपने घर- परिवार की सुख, शांति, समृद्धि की कामना की. इस अवसर पर ग्राम सभा अध्यक्ष अतुल केरकेट्टा, स्वराज उरांव, विजय उरांव, आकाश बेक, अनिता बेक, मोनिता खलखो, मुन्नी तिर्की, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी हजारीबाग के पूर्व वीसी ज्योति लाल उरांव, पलामू आइजी राजकुमार लकड़ा की धर्मपत्नी देवंती लकड़ा व अन्य मौजूद थे.
डुंबू , हड़िया, तेल, सिंदूर किया अर्पित :
एचइसी क्षेत्र धुर्वा के न्यू हाई कोर्ट के निकट स्थित मसना स्थल में पुरखाें को डुंबू , हड़िया, तेल, सिंदूर आदि अर्पित कर और सफेद झंडा गाड़ कर उन्हें स्मरण किया. इस अवसर पर सोमानी पहनाईन, रोपनी मिंज, राजू उरांव, बबलू उरांव, लोरया उरांव, बिरसा भगत, जय मंत्री उरांव, राजकुमारी मुंडा, बिगा मुंडा , इंदु मुंडा, नितेश मुंडा, शीला मुंडा, माया बेक, देवकी मिंज, शीला केरकेट्टा, नीरज मुंडा, गुड्डू टोप्पो, झरिया लकड़ा, बोदो मिंज, लाल मुनी मिंज और झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति के अध्यक्ष मेघा उरांव व अन्य मौजूद थे.
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बोड़ेया में अखड़ा से मसना स्थल तक परिक्रमा :
कांके के बोड़ेया गांव में हड़गड़ी पूजा की गयी. बोड़ेया गांव के विश्वकर्मा पाहन की अगुवाई में ग्रामीण ढोल, नगाड़े के साथ नाचते – गाते बोड़ेया अखड़ा में परिक्रमा करते हुए एकजुट हुए और वहां से मसना स्थल तक गये. मसना स्थल में पूर्वजों को तेल, सिंदूर, दाल, भात, खैन , चूना, हड़िया आदि अर्पित किया गया. इसके साथ धूप, दीप प्रज्ज्वलित कर पूर्वजों के आशीर्वाद की कामना की गयी. इस अवसर पर केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि पूष के माह में आदिवासी अपने पुरखों को याद करते हैं. गांवों में ही आदिवासी रुढ़ी- प्रथा, परंपरा, संस्कृति जीवित रह गयी है. वहीं, आदिवासी आज भी अपनी धार्मिक पहचान के लिए भटक रहा है. सरना कोड नहीं मिलने से आदिवासी परंपराओं में सेंधमारी हो रही है. आदिवासी को कभी हिंदू , कभी ईसाई कहा जा रहे है. उन्होने कहा कि उन सभी लोगों की डी- लिस्टिंग होनी चाहिए जो आदिवासी परंपरा और संस्कृति को त्याग चुके हैं. कार्यक्रम में दालू पाहन, रवि बिन्हा, अमित टोप्पो, नवल टोप्पो, आशीष टोप्पो, चंदा, अमर, विजय व अन्य उपस्थित थे.
बर्दवान कंपाउंड में पूरे माघ माह तक चलेगा कार्यक्रम
रांची: झारखंड सरना मसना विकास समिति के अध्यक्ष, सचिव, सदस्यों और संरक्षक ने झारखंड सरना मंसना विकास समिति के नेतृत्व में लोअर करम टोली, बर्दवान कंपाउंड स्थित मसना स्थल में मृत पुरखों की हड़गड़ी पूजा की. इसमें मसना स्थल के सर्वांगीण विकास में योगदान देने वालों को स्मरण किया. पूर्व अध्यक्ष स्व चारो उरांव, स्व महादेव मुंडा, स्व बहादुर लकड़ा, स्व महावीर लकड़ा, स्व सुकरा टोप्पो, स्व राजू टोप्पो, स्व डॉ विष्णु भगत, स्व मथुरा उरांव और अन्य पुरखों के नाम पर रोटी, पीठा, पानी देकर और धुवन-धूप, अगरबत्ती जला कर उनके नाम पर दो मिनट की मौन रखकर प्रार्थना की व श्रद्धासुमन अर्पित किया. संरक्षक बुधराम उरांव ने कहा कि यह कार्यक्रम लोअर करमटोली बर्दवान कंपाउंड स्थित मसना स्थल में शुक्रवार पांच जनवरी से माघ माह तक चलता रहेगा.