गणतंत्र के सातवें वर्ष में ही पंचायतों ने बनाया था 150 मील लंबा बांध
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि आजादी के बाद पंचायतों को कहीं ज्यादा अधिकार संपन्न बनाने और विकास कार्यों में निर्णायक भूमिका में लाने का प्रयास हुआ. वर्ष 1957 का एक दस्तावेज है
आनंद मोहन, रांची: गणतंत्र दिवस, एक ऐसा दिन जिसने भारतीय जनमानस को संवैधानिक ताकत दी. आम-अवाम को उसके अधिकार मिले. गणतंत्र के 75वें वर्ष में हम प्रवेश कर रहे हैं. लोकतांत्रिक अधिकारों को जमीनी स्तर पर ले जाने की बात हो रही है. सत्ता के विकेंद्रीकरण की कल्पना आजादी के समय से है. पंचायतों को अधिकार देने की बात हो रही है. आजादी के बाद से ही गांवों को अधिकार संपन्न, विकास की मुख्यधारा में जोड़ने की बात हो रही है.
ऐतिहासिक दस्तावेज बताते हैं कि आजादी के बाद पंचायतों को कहीं ज्यादा अधिकार संपन्न बनाने और विकास कार्यों में निर्णायक भूमिका में लाने का प्रयास हुआ. वर्ष 1957 का एक दस्तावेज है. संयुक्त बिहार (बिहार-झारखंड) के तत्कालीन राज्यपाल रंगनाथ रामचंद्र दिवाकर ने 26 जनवरी को अपने संबोधन में कहा था : ग्रामीण जनसमुदाय में स्व-शासन के विकास में पंचायती राज्य योजना संतोषजनक ढंग से चल रहा है.
गांवों के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक विकास में पंचायतों को पूर्णत: सफलता मिल रही है. राज्यपाल ने अपने भाषण में ही बताया था, तब संयुक्त बिहार में 7936 पंचायतों का गठन हो चुका था और 50482 गांव थे. इन पंचायतों ने तब अपने प्रयास से 150 मील लंबा बांध बना लिया था. गणतंत्र के सातवें वर्ष में ही गांवों ने अपनी ताकत दिखा दी थी़ पंचायतों ने विकास में अपनी भागीदारी निभानी शुरू कर दी थी.
रफ्ता-रफ्ता देश विकास की दौड़ में आगे बढ़ा, लेकिन गांवों के अधिकार सिमटते गये. आजादी के दशकों बाद पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने की बात होती रही. आजादी के बाद पंचायतों ने जो ताकत दिखायी थी, उस पर सिस्टम ने भरोसा किया होता, तो तस्वीर कुछ और होती. तत्कालीन राज्यपाल श्री दिवाकर ने अपने भाषण में झारखंड में दामोदर घाटी परियोजना का भी जिक्र किया था.
उन्होंने बताया था कि इस परियोजना के तहत बननेवाले दो बांध के कार्य प्रगति पर हैं. इसी के परियोजना के तहत झारखंड के कोनार डैम का उदघाटन बाद में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था. राज्यपाल ने मैथन डैम का भी जिक्र किया था. आजादी के बाद से ही झारखंड देश की प्रगति का एक पहिया रहा है.
वर्ष 1957 में दूसरी पंचवर्षीय योजना चल रही थी. राज्यपाल ने अपने भाषण में देश के विकास में एकीकृत बिहार (बिहार-झारखंड) की भूमिका बतायी. तब दक्षिण बिहार के इलाके यानी आज के झारखंड में कई बहुआयामी परियोजना चल रहे थे और पूरे देश की नजर इस क्षेत्र पर थी.
तब रांची में मनाया जाता था गणतंत्र दिवस सप्ताह, सात दिन होते थे कार्यक्रम :
पुराने दस्तावेज के अनुसार, गणतंत्र दिवस के अवसर पर रांची में सप्ताह भर कार्यक्रम का आयोजन होता था. 26 जनवरी को स्थानीय जैप (तब बीएमपी) मैदान में पुलिस बलों का शक्ति प्रदर्शन होता था. तत्कालीन सैनिक व पुलिस बल के जवानों की सलामी ली जाती थी. 22 जनवरी से 27 जनवरी तक गणतंत्र सप्ताह मनाया जाता था. इसमें खेल-कूद प्रतियोगिता, वाद-विवाद, नाटक, कवि गोष्ठी सहित कई कार्यक्रम होते थे. रांची कॉलेज में भव्य कार्यक्रम होता था. कवि सम्मेलन के अलावा अंग्रेजी व हिंदी में नाटक होते थे.