21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

लोकतंत्र को सशक्त कर रहीं महिलाएं, गणतंत्र दिवस पर पढ़िए 24 महिलाओं की सफलता की कहानी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महिला सशक्तीकरण का एक प्रेरणादायी उदाहरण हैं. एक आदिवासी परिवार में जन्मीं, पली-बढ़ी और आज देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं. स्वभाव से बिल्कुल सरल श्रीमती मुर्मू का जीवन संघर्षों से भरा रहा है.

आज गणतंत्र दिवस है. इस साल देश 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है़ पहली बार तीनों सेनाओं की महिलाएं एक टुकड़ी के रूप में गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनेंगी. इस खास दिन पर पढ़िए 24 महिलाओं की सफलता की कहानी.

राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला हैं द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू महिला सशक्तीकरण का एक प्रेरणादायी उदाहरण हैं. एक आदिवासी परिवार में जन्मीं, पली-बढ़ी और आज देश के सर्वोच्च पद पर आसीन हैं. स्वभाव से बिल्कुल सरल श्रीमती मुर्मू का जीवन संघर्षों से भरा रहा है. ओडिशा के मयूरभंज में 20 जून 1958 को साधारण परिवार में जन्मीं श्रीमती मुर्मू राष्ट्रपति बनने से पहले 2000 से 2004 तक ओडिशा सरकार में मंत्री रहीं. 2015 से 2021 तक झारखंड की राज्यपाल रहीं. पति श्याम चरण मुर्मू और दो पुत्रों के असामयिक निधन के बाद वे टूट सी गयी थीं, बावजूद इसके हिम्मत नहीं हारीं. घर के पास ही बच्चों को पढ़ाने में जुट गयीं. बेटी के साथ खुद को संभाला. ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विवि से जुड़कर खुद को मजबूत किया. फिर राजनीति में आयीं. सबसे पहले 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में जीत दर्ज कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. भाजपा के साथ जुड़ने के बाद दो बार विधायक बनीं. फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.

आज की परेड में दिखेंगी कैप्टन पल्लवी कोनार

रांची की बेटी पल्लवी कोनार एमएनएस, मिलिट्री नर्सिंग सर्विस में सेवा दे रहीं हैं. अभी एमएनएस में कैप्टेन हैं. आज दिल्ली में होनेवाली परेड में दिखेंगी. पल्लवी इन दिनों अरुणाचल प्रदेश में सेवा दे रही हैं. उन्होंने कहा कि सेना में सेवा गौरवान्वित करता है. लड़कियों को सेना में आना चाहिए और देश की सेवा करनी चाहिए.

Also Read: दुमका की ये 2 महिलाएं दिल्ली के गणतंत्र दिवस समारोह में होंगी शामिल, केंद्र सरकार ने किया आमंत्रित
कर्तव्य पथ पर कदमताल करेंगी रानी

आज कर्तव्य पथ पर कदमताल करते झारखंड की बेटी रानी कुमारी भी दिखेंगी़ रानी अभी आइटीबीपी में सेवारत हैं. गणतंत्र दिवस परेड में उनके शामिल होने से परिवार और गांव में खुशी की लहर है. टाटीसिल्वे की रहनेवाली रानी ने कहा कि यह पल गौरववाला है. उन्होंने डिफेंस में जाने की प्रेरणा अपने भाई से मिली़

हर क्षेत्र में महिलाएं बेहतर कर सकती हैं

कांके निवासी अंजू केरकेट्टा बिजली विभाग झारखंड सरकार में पिठोरिया प्रशाखा में सेवा दे रही हैं. 2016 से बतौर जूनियर इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं. बोकारो पॉलिटेक्निक से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया. अनिता गर्ल्स स्कूल, कांके से स्कूलिंग की हैं. वह कहती हैं : इलेक्ट्रिकल इजीनियरिंग में भी महिलाएं अपना करियर बना सकती हैं. महिलाएं किसी क्षेत्र में बेहतर काम कर सकती हैं.

डायन प्रथा के खिलाफ लड़ाई जीत कर ही दम लूंगी

समाजसेवी पद्मश्री छुटनी महतो ने डायन बिसाही का दंश सहा है़ ससुराल सरायकेला-खरसावां से अपने बच्चों के साथ घर से निकलना पड़ा. पति ने भी साथ छोड़ दिया. पड़ोसी की बेटी बीमार पड़ी, तो उसका दोष छुटनी महतो पर मढ़ दिया गया है. उन्हें शौच पिलाने की कोशिश की गयी. बावजूद छुटनी ने कभी हार नहीं मानी. आज डायन बिसाही के खिलाफ मुहिम चला रही हैं. कहती हैं : अपने राज्य और देश से इस अंधविश्वास का दूर करके ही दम लूंगी.

बेटियों को सशक्त बनाने में हमेशा रहती हैं तत्पर

आइएएस निधि खरे भूमि संसाधन विभाग, भारत सरकार के सचिव के पद पर कार्यरत हैं. झारखंड में भी सेवा दे चुकी हैं़ निधि खरे ने हमेशा महिला सशक्तीकरण पर जोर दिया है. सरायकेला-खरसावां में एसडीओ रहते हुए डायन बिसाही को लेकर जन जागरण अभियान चलाया. मधुबनी में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर रहते हुए मधुबनी आर्ट और छऊ नृत्य में लड़कियों को आगे बढ़ाने में जुटी रहीं. निधि मूल रूप से लखनऊ की रहनेवाली हैं. पढ़ाई लखनऊ विवि से की.

हर किसी को अपने पसंदीदा क्षेत्र में अवसर मिलना चाहिए

सिमडेगा जिले की रहने वाली ब्यूटी डुंगडुंग ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय से हॉकी करियर की शुरुआत की. 2014 में आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में चयन हुआ था. भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम में चयन के बाद ब्यूटी ने हैट्रिक गोल कर अपनी टीम को जीत दिलायी. वह कहती हैं : वर्ष 2023 मेरे लिए काफी संघर्षपूर्ण रहा. पैर की परेशानी से जूझती रहीं. साथ ही पिता का निधन हो गया, लेकिन लोगों के सहयोग से मनोबल बढ़ा. हालांकि ओलिंपिक क्वालिफाइ नहीं कर पाने का अफसोस है.

महिलाओं को आजादी मिल जाये, तो नाप सकती हैं आसमां

रांची की सुशवी सिन्हा हवाओं में उड़ने का सपना पूरा कर रही हैं. वह अकासा एयर में सीनियर फर्स्ट ऑफिसर के पद पर बेंगलुरु में कार्यरत है. कहती हैं : हवाओं से बातें करना और ऊंचे आसमान को छूने की तमन्ना ने आगे बढ़ाया. झारखंड सरकार नागर विमानन विभाग द्वारा संचालित ग्लाइडिंग अनुभाग से प्रशिक्षण ले चुकी हैं़ वर्ष 2017 में महाराष्ट्र के गोंदिया स्थित फ्लाइिंग इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग ली. 12 मार्च 2018 को डायमंड-40 विमान लेकर उड़ने का मौका मिला.

काफी संघर्ष और मेहनत के दम पर पहचान बनायी

कोकर की अनामिका कच्छप गिरिडीह में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कम सिविल जज के पद पर हैं. स्कूली शिक्षा डॉन बॉस्को स्कूल कोकर, प्लस टू संत जेवियर कॉलेज, पीजी आइपी विवि दिल्ली और एलएलबी की डिग्री देहरादून से हासिल की है. उन्होंने काफी संघर्ष और मेहनत के दम पर अपनी पहचान बनायी है. वह कहती हैं : किसी चीज को हासिल करने के लिए मेहनत बेहद जरूरी है. मां की मेहनत देखकर ही आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली. मेहनत हमेशा करते रहें.

खेती-बाड़ी कर अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा दे रही हैं

लातेहार की श्वेता कुमारी छह वर्षों से खेती-बाड़ी से जुड़ी हुई हैं. सब्जी की बिक्री कर जीवन यापन कर रही हैं. साथ ही अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा भी दे रही हैं. वह टपक सिंचाई के माध्यम से करीब तीन एकड़ भूमि पर हरी सब्जियां उगा रही हैं. उन्होंने बताया कि कई अधिकारियों द्वारा आकर जानकारी दी गयी. इसके बाद खेती करने की इच्छा हुई. खेती करने की जिज्ञासा पहले से थी. इसलिए मोबाइल पर भी देख कर भी काफी कुछ सीखा. आज इसी खेती से ही आर्थिक स्थिति सुधरी.

छोटी कहानियों और कविताओं से देती हैं अहम संदेश

नामकुम निवासी मौमिता चौधरी को भारतीय नोबेल पुरस्कार-2023 से नवाजा जा चुका है. हाल में ही उनकी पुस्तक प्रेम की खोज में प्रकाशित हुई है, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है. यह पुस्तक एक मध्यमवर्गीय युवती की प्रेम के लिए जीवनभर की संघर्ष की कहानी पर आधारित हैं. नमस्ते इंडिया ई-मैगज़ीन में भी कई प्रमाण पत्र और पुरस्कार प्राप्त किये. उनकी शॉर्ट स्टोरी और कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं. स्कूलिंग बिशप वेस्टकॉट गर्ल्स स्कूल नामकुम से की है.

मरीजों के साथ सरल स्वभाव औरों से करता है अलग

वीना सिंह अपने सेवा कार्यों के लिए जानी जाती हैं. मरीजों के साथ इनका सरल स्वभाव औरों से अलग करता है. 2007 से बतौर नर्स सेवा दे रही हैं. अभी सदर अस्पताल के फार्मेसी विभाग में कार्यरत हैं. एएनएम, जीएनएम और नर्स दीदियों के हक और और अधिकार के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं. वीना चतरा कॉलेज चतरा से स्नातक की डिग्री हासिल की. इसके बाद नर्सिंग की पढाई नालंदा मेडिकल कॉलेज पटना से की. वे सामाजिक सरोकार से भी जुड़ी रही हैं.

जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने में जुटी हुई हैं

हिंदीपीढ़ी निवासी समाज सेविका नाजिया तब्बसुम शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे रही हैं. कोराना काल में समाज के प्रति उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता. नाजिया एक निजी स्कूल संचालित करती हैं. अपने स्कूल में जरूरतमंद बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा भी देती हैं. पहले अपने घर के आस-पास के बच्चों को नि:शुल्क पढ़ाती थीं. इसके बाद इन्हीं बच्चों के लिए स्कूल खोला. साथ ही दूसरे स्कूलों में पढ़नेवाले कई जरूरतमंद बच्चों की फीस भी देती हैं.

लाल किला पर योग प्रशिक्षक के तौर पर आमंत्रित किया गया

रांची की डॉ अर्चना कुमारी को आयुष मंत्रालय की तरफ से लाल किला में 26 जनवरी के आयोजन में योग प्रशिक्षक के तौर पर आमंत्रित किया गया है. झारखंड के अलग-अलग जिले से 21 योग प्रशिक्षक अतिथि के तौर पर पहुंचे हैं. डॉ अर्चना की स्कूलिंग शिक्षा संत अलोइस हाइस्कूल से हुई. स्नातक की डिग्री दिल्ली विवि से हासिल की. पीजी और योग में पीएचडी देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार से किया. योग में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुकी हैं.

पिता-भाई की मौत के बाद व्यवसाय को संभाला

मेधावी लोहिया वासुदेव ऑटो की संचालिका हैं. पिता के 24 साल पुराने व्यवसाय का सफल संचालन कर रही हैं. 11 वर्षों से व्यवसाय से जुड़ी हैं. इसके लिए अपनी जॉब छोड़ दीं. कभी न्यूजीलैंड में अपना बिजनेस और एक मल्टीनेशनल कंपनी में फाइनांस का काम देखती थीं. लेकिन एक दुर्घटना में पिता और भाई की मौत के बाद पारिवारिक बिजनेस संभालने भारत आ गयीं. उनके सपनों को पूरा करने के लिए जॉब छोड़ दी. मेधावी लोरेटो काॅन्वेंट की छात्रा रही हैं.

ऑटो चलाकर तीन बेटियों को पढ़ाया-लिखाया

गुलाबी ऑटो चालक मंजू कच्छप महिला सशक्तीकरण की मिसाल हैं. तीन बेटियों को पढ़ा-लिखाकर काबिल बनाया. कभी किराये के घर में रहती थीं. आज ऑटो चलाकर रांची में अपना आशियाना बना चुकी हैं. वह कहती हैं : 2010 में पति की मौत हाे गयी. इधर-उधर काम कर बच्चों का पालन-पोषण किया. 2016 में गुलाबी ऑटो चालक बन गयीं तीनों बेटियों को रांची विवि में पढ़ाया. मंजू कच्छप कहती हैं : एक समय था जब भोजन के लिए सोचना पड़ता था, लेकिन आज काफी कुछ पा लिया है.

चिकित्सा के क्षेत्र में बना चुकी हैं अपनी सशक्त पहचान

प्रो डॉ शशिबाला सिंह रिम्स के स्त्री एवं प्रसूति विभाग की एचओडी हैं. मूलरूप से रांची की रहनेवाली हैं. इनकी स्कूलिंग बेथेसदा गर्ल्स हाईस्कूल से हुई है. रांची वीमेंस कॉलेज से इंटर की पढ़ाई की. रिम्स से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री हासिल की. इसके बाद चान्हो ब्लॉक में अपनी सेवा दी. फिर पटना नालंदा मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजीडेंट के तौर पर चयन हुआ. 1997 से लगातार रिम्स में सेवा दे रही हैं. वह कहती हैं महिलाओं को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना जरूरी है.

काबिलियत से कोई भी मुकाम किया जा सकता है हासिल

रांची की रिया तिर्की फेमिना मिस इंडिया झारखंड-2022 का खिताब जीत चुकी हैं. यह खिताब जीत कर साबित कर दिया कि आदिवासी बेटियां भी मिसाल बन सकती हैं. रिया 2015 से ब्यूटी पेजेंट कंटेस्ट में हिस्सा लेती रही हैं. मार्च में होनेवाले फेमिना मिस इंडिया-2024 के लिए झारखंड की 10 बेटियों को तैयार करने में जुटी हैं. वह कहती हैं : बेटियां काबिलियत के दम पर हर मुकाम हासिल कर सकती हैं. इसके लिए रंग कोई मायने नहीं रखता.

महिला सशक्तीकरण का अर्थ सिर्फ पुरुषों से आगे जाना नहीं

डॉ किरण सिंह कृषि विज्ञान केंद्र दुमका में सीनियर साइंटिस्ट हैं. स्कूली शिक्षा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर धुर्वा से हुई. आगे की पढ़ाई बिरसा कृषि विवि से की. पीएचडी विश्व भारती शांति निकेतन से किया. अपनी पढ़ाई और सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने काफी उतार-चढ़ाव देखा. वह कहती हैं : महिला सशक्तीकरण का अर्थ सिर्फ पुरुषों से बराबरी करना या उनसे आगे जाना नहीं है. महिलाओं को अपना हक, अपनी पसंद चुनकर आगे बढ़ना ही महिला सशक्तीकरण है.

नि:शुल्क कानूनी सहायता को लेकर रहती हैं सजग

कुमारी रंजना अस्थाना किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. वर्तमान में झालसा की सदस्य सचिव के पद पर पदस्थापित हैं. 28 वर्षों के लंबे न्यायिक सेवा के करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. विभिन्न पदों पर रहते हुए अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन किया है. न्यायिक सेवा में मुंसिफ पद से करियर शुरू करते हुए आज प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट जज रैंक में हैं. वे कहती हैं : पिताजी प्रशासनिक सेवा में थे. कुमारी रंजना कहती हैं : लीगल सर्विसेज अथॉरिटी एक्ट के तहत किसी भी वर्ग की महिलाएं नि:शुल्क कानूनी सहायता ले सकती हैं.

राज्य की पहली महिला लोको पायलट हैं दीपाली अमृत

झारखंड की पहली महिला लोको पायलट दीपाली अमृत कई ट्रेनों की ड्राइविंग सीट पर बैठ चुकी हैं. दक्षिण-पूर्व रेलवे ने उनपर डॉक्यूमेंट्री भी बनायी है. इस डॉक्यूमेंट्री में दीपाली के जज्बे को सलाम करते हुए उनके बारे में कई बातें बताई गई हैं. दिखाया गया है कि हर सफलता के पीछे एक सपना होता है, झारखंड की पहली महिला लोको पायलट का भी बचपन से ही सपना था कुछ अलग करना है. 8 मार्च 2018 को लोकल ट्रेन पूरी तरह से महिलाओं की टीम ने चलाया, रांची-लोहदरगा पैसेंजर ट्रेन की मेन लोको पायलट दीपाली थीं.

गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनना बड़े गर्व की बात

डोरंडा की तृषिका केशरी 26 जनवरी को दिल्ली में होनेवाली परेड में शामिल हो रही हैं. वे निर्मला कॉलेज की एनसीसी कैडेट्स हैं. करीब एक महीने से दिल्ली में प्रतिदिन सुबह-शाम ट्रेनिंग में जुटी रहीं. वह कहती हैं : दिल्ली में होनेवाली गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनना गर्व की बात है. यहां चीफ एयर स्टाफ, चीफ नवल स्टाफ, चीफ आर्मी स्टाफ सहित अन्य बड़े अधिकारियों से मिलने व सीखने का अवसर मिला. मेरे साथ झारखंड के और कैडेट्स हैं, जो गणतंत्र दिवस परेड को लेकर उत्साहित हैं.

धारणा को तोड़ा कि खदान में पुरुष ही काम कर सकते हैं

हजारीबाग की आकांक्षा कुमारी सीसीएल ही नहीं कोल इंडिया लिमिटेड के लिए इतिहास बना चुकी हैं. वह सीसीएल को पहली महिला माइनिंग इंजीनियर है. वह नॉर्थ कर्णपुरा क्षेत्र की चूरी भूमिगत खदान में अपना योगदान दे रही हैं. पूरे कोल इंडिया की दूसरी और भूमिगत खदान में योगदान देने वाली पहली महिला माइनिंग इंजीनियर हैं. उनकी स्कूलिंग नवोदय विद्यालय से हुई है. वर्ष 2018 में बीआइटी सिंदरी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. उन्होंने इस धारणा को तोड़ दिया कि खनन क्षेत्र सिर्फ पुरुषों के लिए है.

बेहतर शिक्षा के जरिये ही बदलाव लाना हैं संभव

2023 में राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल करनेवाली शिक्षिका शिप्रा ने नये तरीके से विज्ञान पढ़ाकर बच्चों में विज्ञान के प्रति सोच को बदला है. वे अपग्रेड टाटा वर्कर्स यूनियन प्लस टू हाइस्कूल जमशेदपुर में विज्ञान की शिक्षिका हैं. उन्हें बेस्ट साइंस शिक्षिका, राज्य स्तरीय उत्कृष्ट शिक्षिका का भी पुरस्कार मिल चुका है. शिप्रा कहती हैं : विज्ञान के इस्तेमाल से जीवन में समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है. महिलाओं के लिए खुद शिक्षा ग्रहण करना और शिक्षा के जरिये बदलाव लाना ही मुख्य उद्देश्य होना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें