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सोलर पैनल के विकल्प पर काम कर रहा है सीएमपीडीआइ

अभी सोलर पैनल का सबसे बड़ा बाजार चीन है. आनेवाले दिनों में देश को गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ना है.

पेरोव्स्काइट को हो सकता है सोलर पैनल का देसी वर्जन

अभी सोलर पैनल को लेकर चीन पर निर्भरता है, यह स्थिति बदलेगी

संस्थान के नासेर लैब में हो रहा है शोध का काम

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वरीय संवाददाता, रांची

सेंट्रल माइन प्लानिंग एंड डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट, रांची (सीएमपीडीआइ) सोलर पैनल के विकल्प पर काम कर रहा है. इसमें वह आइआइटी मुंबई का सहयोग ले रहा है. पेरोव्स्काइट सोलर सेल पर अनुसंधान शुरू हो चुका है. इसमें सफल होने पर सोलर पैनल का देसी विकल्प तैयार हो जायेगा. अभी सोलर पैनल का सबसे बड़ा बाजार चीन है. आनेवाले दिनों में देश को गैर पारंपरिक ऊर्जा के क्षेत्र में आगे बढ़ना है. देश की जरूरत पूरा करने के लिए देसी विकल्प पर काम हो रहा है. इ

हाल ही में सीएमपीडीआइ में नेशनल सेंटर फॉर कोल एंड एनर्जी रिसर्च (नासेर) खुला है. इसमें रिसर्च टीम के सदस्य नित्य शोध कर रहे हैं. कोयला मंत्रालय ने कोयला और ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे अनुसंधान को जमीन पर उतारने के लिए नारेस का गठन सीएमपीडीआइ में किया है. सीएमपीडीआइ के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के महाप्रबंधक एके मिश्र के अनुसार, अभी सोलर पैनल सिस्टम सिलिकन से चल रहा है. सिलिकन के लिए चीन पर निर्भर होना पड़ता है. अब दूसरे देश भी गैर पारंपरिक ऊर्जा की संभावना पर काम कर रहे हैं. ऐसे में पेरोव्स्काइट एक बेहतर विकल्प हो सकता है. नासेर आनेवाले दिनों में कोयला और ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे कार्यों को जमीन पर उतारने की कोशिश कर रहा है. इसके लिए कई तकनीकी संस्थाओं के साथ एमओयू भी हुआ है.

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क्या है पेरोव्स्काइट सोलर सेल

पेरोव्स्काइट विभिन्न मैटेरियल्स से बना एक उपकरण है. यह सोलर पैनल की तरह काम करेगा. जिसमे सौर कोशिकाओं में उच्च प्रदर्शन और कम उत्पादन लागत की क्षमता दिखाई दे रही है. इन सामाग्री का उपयोग अन्य ऊर्जा प्रौद्योगिकी, जैसे ईंधन सेल और उत्प्रेरक में किया जाता है. आमतौर पर फोटोवोल्टिक (पीवी) सौर कोशिकाओं में उपयोग किये जाने वाले पेरोव्स्काइट्स को विशेष रूप से मेटल-हैलाइड पेरोव्स्काइट्स कहा जाता है. यह कार्बनिक आयनों, धातुओं और हैलोजन के संयोजन बना होता है. संभावित सस्ती तकनीक में पेरोव्स्काइट की एक पतली परत प्रकाश को अवशोषित करती है. यह इलेक्ट्रॉन नामक कणों को उत्तेजित करती है. इन उत्तेजित इलेक्ट्रॉनों को निकाला जाता है, तो वे विद्युत शक्ति उत्पन्न करते हैं.

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