रांची : झारखंड के दो वैज्ञानिक वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की पहचान करने वाले सबसे सस्ता किट तैयार करने में जुटे हैं. बीआइटी मेसरा के प्रो अभिमन्यु देव और डॉ वेंकटेशन जयप्रकाश मिलकर एक शोध कर रहे हैं और एक ऐसा किट तैयार कर रहे हैं, जो न केवल कोरोना की जांच में तेजी लायेगा, बल्कि एक साथ बहुत कम समय में कई संक्रमण की पहचान करेगा. इसकी कीमत भी बहुत कम होगी.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से रांची स्थित बीआइटी के दो वैज्ञानिक कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान के लिए उपकरण तैयार करने में जुटे हैं. एप्टामर आधारित यह जांच किट बेहद कम कीमत का होगा और सटीक जांच रिपोर्ट देगा. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने शुक्रवार (21 अगस्त, 2020) को ट्वीट करके यह जानकारी दी.
मंत्रालय ने बताया कि कोविड-19 की जांच के लिए तैयार किये जा रहे इस किट से एक साथ कई जांच संभव होगा. सटीक जांच रिपोर्ट मिलेगी, बेहद कम खर्च में. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के साइंस एंड इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड (SERB) के सहयोग से बीआइटी मेसरा इस पर रिसर्च कर रहा है. शोधकर्ता बायोइंफॉर्मेटिक्स टूल का इस्तेमाल करके उस टार्गेट प्रोटीन का पता लगायेंगे, जिसकी जांच के लिए किट तैयार करना है.
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शोधकर्ता एप्टामर आधारित जांच किट बनायेंगे, जो SARS-Co-V2 के संक्रमण का पता लगायेगा. उनके अध्ययन में सबसे पहले कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाना सुनिश्चित किया जायेगा. इसके बाद अलग-अलग तरह के कोरोना वायरस के संक्रमण, जिसमें कोविड-19, सार्स को-वी1, मर्स (COVID-19, SARS Co-V1, MERS) शामिल हैं, की भी अलग-अलग रिपोर्ट देगा.
Researchers at Birla Institute of Technology, Ranchi are developing an aptamer-based diagnostic kit for detection of #COVID19. It can detect a number of infections in precise & efficient manner, besides making detection of #COVID19 less costly: Ministry of Science & Technology
— ANI (@ANI) August 21, 2020
सार्स कोविड1, मर्स और कोविड19 तीनों तरह के कोरोना वायरस के संक्रमण की पहचान एक संरक्षित डोमेन की मौजूदगी से की जा सकती है. लेकिन, बीआइटी के शोधकर्ता जो किट तैयार कर रहे हैं, वह सार्स-कोविड 2 वायरस और मर्स वायरस की मौजूदगी का एक साथ पता लगा लेगा. मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि किट को बीआइटी मेसरा के लैब में विकसित किया जायेगा, जबकि इसकी टेस्टिंग इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आइएलएस) भुवनेश्वर में वैज्ञानिक डॉ राजीब कुमार स्वैन के पर्यवेक्षण में होगी.
एप्टामर आधारित यह प्रौद्योगिकी बिल्कुल नयी तकनीक है. यह एक साथ कई संक्रमण की सटीक जानकारी देता है. इतना ही नहीं, इस किट से कोविड-19 के संक्रमण की जांच बेहद कम कीमत में हो जाती है. इसके उपकरणों के रख-रखाव में भी बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत नहीं होती. और यही वजह है कि कन्वेंशनल एंटीबॉडी आधारित जांच में यह ज्यादा प्रभावी साबित होगा. खासकर ग्रामीण इलाकों में.
मंत्रालय ने कहा है कि इस किट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इससे बहुत कम वक्त में कोरोना वायरस के संक्रमण का पता लगाया जा सकेगा. फलस्वरूप यह एक रैपिड डायग्नोस्टिक किट साबित होगा. एंटीबॉडी आधारित जांच तकनीक की तुलना में यह बहुत सस्ता होगा. इस किट के भंडारण के लिए एंटीबॉडी जांच किट की तरह विशेष परिस्थितियों की जरूरत नहीं पड़ेगी.
बीआइटी मेसरा के ही छात्र रहे डॉ अभिमन्यु देव इस प्रोजेक्ट के मुख्य शोधकर्ता हैं. उनका साथ दे रहे हैं तमिलनाडु के नामक्कल के रहने वाले डॉ वेंकटेशन जयप्रकाश. पटना से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले डॉ देव ने ‘प्रभात खबर’ को बताया कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की जांच सुनिश्चित हो सके, इसी के मद्देनजर उन्होंने इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू किया है.
डॉ देव ने बताया कि अभी यह शुरुआती चरण में है. उपकरण को बाजार में में कम से कम एक साल लग जायेंगे. इस वक्त कोरोना की जांच काफी महंगा है. एप्टामर आधारित उनके जांच किट से कोरोना की जांच करीब 80 फीसदी तक सस्ती हो जायेगी. वर्ष 2007 से बीआइटी मेसरा में अपनी सेवा दे रहे डॉ देव फार्मास्यूटिकल साइंस एंड टेक के असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.
डॉ देव संक्रामक रोग, बायोडीग्रेडेबल पॉलिमर्स, फार्मास्यूटिकल नैनोटेक्नोलॉजी, स्क्रीनिंग एंड इवैल्युएशन ऑफ सिंथेटिक एंड नैचुरल एंटीमाइक्रोबियल कंपाउंड्स, माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी, नैनोमैटेरियर एंड बायोमैटेरियल सिंथेसिस, ड्रग डिलीवरी एंड वैक्सीन डेवलपमेंट जैसे विषयों पर शोध करते हैं.
वहीं, तमिलनाडु के रहने वाले डॉ वेंकटेशन जयप्रकाश उन्हीं के विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. वर्ष 2004 से बीआइटी मेसरा में पढ़ा रहे हैं. वे ऑर्गेनिक सिंथेसिस एंड मेडिसिनल केमिस्ट्री, मॉलीक्यूलर मॉडलिंग एंड ड्रग डिजाइन के विशेषज्ञ हैं.
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डॉ वेंकटेशन के रिसर्च का क्षेत्र एंटीट्यूबरक्युलर : माइकोबैक्टिन बायोंथेसिस इनहिबिटर्स, सीएनएस : मोनोएमीन ऑक्सीडेस इनहिबिटर्स, एंटीकैंसर : एचडीएसी इनहिबिटर्स, आरआर इनहिबिटर्स, सीडीके इनहिबिटर्स एवं सीवाइपी इनहिबिटर्स और एंटीवायरल्स : प्रोटीज इनहिबिटर्स (डेन वी एवं चिक वी), फ्यूजन इनहिबिटर्स (डेन वी) है.
Posted By : Mithilesh Jha