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झारखंड में डायन कुप्रथा खत्म करने का संकल्प, चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन बोले- हर गांव में एक छुटनी देवी की जरूरत

jharkhand news: डायन कुप्रथा की रोकथाम के उद्देश्य से रांची के सर्ड में दो दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत हुई. मुख्य अतिथि झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने डायन कुप्रथा को जड़ से खत्म करने की बात कही. वही, गांव-गांव में स्कूली बच्चों को जागरूकता एंबेसडर के रूप में तैयार करने पर जोर दिया.

Jharkhand news: झारखंड में डायन कुप्रथा को खत्म करने के उद्देश्य से गरिमा परियोजना गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को जागरूक कर रही है. इस कड़ी में राजधानी रांची के सर्ड में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ. इस मौके पर झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन ने डायन कुप्रथा जड़ से खत्म करने के लिए हर गांव में एक छुटनी देवी की जरूरत पर बल दिया. वहीं, गांव-गांव में स्कूली बच्चों को जागरूकता एंबेसडर के रूप में तैयार करना चाहिए. इस अवसर पर डायन कुप्रथा की पीड़ित महिलाओं के मुख्यधारा में जुड़ने की कहानियों के संग्रह पर गरिमा पुस्तिका का विमोचन किया, वहीं मुख्य अतिथि ने सर्ड कैंपस में पौधरोपण भी किये.

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झारखंड में डायन कुप्रथा खत्म करने का संकल्प, चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन बोले- हर गांव में एक छुटनी देवी की जरूरत 2

ग्रामीण विकास विभाग एवं हेहल स्थित राज्य ग्रामीण विकास संस्थान (SIRD) में झारखंड को डायन कुप्रथा मुक्त बनाने के उद्देश्य से आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश डॉ रंजन ने कहा कि डायन कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए सभी को मिलकर काम करने की जरूरत है. 21वीं सदी में भी डायन कुप्रथा के जरिए महिलाओं से असमानता एवं भेदभाव का दौर जारी है जो दुखद है. जागरूकता एवं शिक्षा की कमी ऐसी कुप्रथाओं को बढ़ावा देती है. कहा कि स्कूली बच्चों को डायन कुप्रथा खत्म करने के लिए ब्रांड एंबेसडर के रूप में तैयार करने चाहिए जो गांव में हमारे जागरूकता एंबेसडर होंगे.

उन्हाेंने कहा कि सभी विभागों को साथ मिलकर हर गांव में शिक्षा, जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने की जरूरत है. हर गांव में महिलाओं को सशक्त बनाने की जरूरत है. झालसा के जरिये राज्य भर में ऐसी सामाजिक कुप्रथाओं को जड़ से खत्म करने के लिए कार्य किया जा रहा है. ग्रामीण विकास विभाग की इस पहल में झालसा भी अपना रोल निभाएगा.

चीफ जस्टिस डॉ रंजन ने डायन कुप्रथा के कानूनों के बारे में लोगों को जागरूक करने की बात कही, ताकि उनको अपने हक की जानकारी हो एवं समाज में सबको न्याय हासिल हो सके. उन्होंने ग्रामीण विकास विभाग एवं JSLPS को इस आयोजन के लिए शुभकामनाएं भी दी.

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न्यायाधीश अपरेश सिंह ने कहा कि झालसा डायन प्रथा को खत्म करने के लिए लगातार प्रयासरत है. यह कार्यशाला इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा. हम सभी को शिक्षा एवं कानूनी जानकारी लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. JSLPS एवं झालसा मिलकर डायन कुप्रथा को खत्म करने की दिशा में काम कर सकते हैं. राज्य में डायन कुप्रथा को खत्म करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं. झालसा लोगों को जागरूक करने के लिए कार्य कर रही है. उम्मीद है कि इस दिशा में भी इस कार्यशाला के जरिए काम आगे बढ़ेगा. उन्होंने पद्मश्री छुटनी देवी को गरिमा परियोजना का ब्रांड एंबेसडर बनाने पर जोर दिया.

डायन कुप्रथा के रोकथाम के लिए गरिमा परियोजना प्रयासरत: डॉ मनीष रंजन

ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन ने कहा कि राज्य में डायन कुप्रथा की घटनाओं के आंकड़े चौकाने वाले हैं. झारखंड के गांवों से इस कुप्रथा को खत्म करने की जरूरत है. इस कार्यशाला के माध्यम से डायन कुप्रथा के खिलाफ काम करने वाले विभिन्न स्टेक होल्डर्स एक साझा रणनीति तैयार कर सकेंगे. गरिमा परियोजना पर जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि आनेवाले दिनों में इस परियोजना के तहत राज्य की करीब 5000 डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं को लाभ मिलेगा. इस परियोजना के तहत पीड़ित महिलाओं को कानूनी मानसिक काउंसेलिंग समेत अन्य मदद का प्रावधान भी किया गया है.

2023 तक राज्य को डायन कुप्रथा से मुक्त करने की कोशिश: पद्मश्री छुटनी देवी

डायन कुप्रथा पर सामाजिक कार्य के लिए पद्मश्री से सम्मानित छुटनी देवी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अपनी कहानी को विस्तार से साझा किया. पद्मश्री छुटनी देवी ने बताया कि डायन के रूप में गांव के लोगों ने उन्हें भी मारने की कोशिश की थी. लेकिन, आज करीब 145 अन्य पीड़ित महिलाओं को मुख्यधारा में ला चुकी है. कहा कि भविष्य में इस राज्य में हजारों छुटनी हमारे साथ होंगी और 2023 तक राज्य डायन कुप्रथा से मुक्त होगा.

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कार्यक्रम में JSLPS की सीईओ नैन्सी सहाय ने धन्यवाद देते हुए सभी अतिथियों के सुझावों पर अमल करने की बात कही. उन्होंने कहा कि गरिमा परियोजना के जरिए राज्य में डायन कुप्रथा को जड़ से मिटाने के लिए कार्य किया जाएगा. इस कार्यशाला के जरिए समेकित प्रयास होंगे कि सभी स्टेकहोल्डर्स मिलकर डायन कुप्रथा के खिलाफ काम करें. डायन कुप्रथा को जड़ से खत्म करने के लिए साझा प्रयासों को गति देने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न स्टेकहोल्डर्स जैसे झालसा, महिला बाल विकास विभाग, सीआईपी रांची, झारखंड पुलिस मिलकर डायन कुप्रथा को खत्म करने पर रणनीति बनाएंगे.

क्या है गरिमा परियोजना

गरिमा परियोजना का उद्देश्य झारखंड से डायन कुप्रथा को खत्म करने के लिए ग्रामीणों को जागरूक करना है. इसके लिए बदलाव मंच, नुक्कड़ नाटक के टीम के साथ-साथ सखी मंडल की दीदियों का अहम योगदान हो रहा है. इस परियोजना के जरिए JSLPS द्वारा 7 जिलों में डायन कुप्रथा उन्मूलन के लिए कार्य किया जा रहा है. परियोजना का लक्ष्य डायन कुप्रथा से प्रभावित क्षेत्रों की महिलाओं का आर्थिक एवं सामाजिक विकास करना, एक सभ्य समाज की स्थापना करना और हर महिला को गरिमामय जीवन दे पाना है. इस पहल के जरिए राज्य में डायन कुप्रथा की पीड़ित महिलाओं को काउंसेलिंग, कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग समेत अन्य सहायता के जरिए मुख्यधारा में जोड़ने का कार्य किया जा रहा है.

झारखंड में 933 डायन पीड़ित महिलाओं की हो चुकी है पहचान

बता दें कि अब तक राज्य में करीब 933 डायन कुप्रथा से पीड़ित महिलाओं की पहचान की गई है. वहीं, करीब 438 चिह्नित पीड़ित महिलाओं को सखी मंडल के जरिए आजीविका के विभिन्न साधनों से जोड़ा गया है. वहीं, करीब 567 चिह्नित महिलाओं को मनोचिकित्सिय काउंसेलिंग भी उपलब्ध कराया गया है.

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Posted By: Samir Ranjan.

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