Jharkhand News, रांची न्यूज : संस्था सीड द्वारा झारखंड में जस्ट ट्रांजिशन पर वेबिनार का आयोजन किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर आधारित विकास के ढांचे से अलग स्वच्छ ऊर्जा पर आधारित अर्थव्यवस्था की तरफ बदलाव के कारण आनेवाले सामाजिक-आर्थिक व्यवधानों के बेहतर प्रबंधन और ठोस नीतिगत पहल के लिए सार्थक संवाद करना था. JSLPS की सीईओ नैंसी सहाय ने कहा कि रोजगार को लेकर वैकल्पिक क्षेत्रों की पहचान कर नए तरह के कौशल विकास कार्यक्रमों और योजनाओं को तैयार किया जा रहा है.
देश में कोयले का भंडार सीमित है और एक आकलन है कि इसकी खपत वर्ष 2030 तक चरम पर पहुंचने के बाद कम होने लगेगी. जीवाश्म ईंधन पर देश के 120 जिलों की अर्थव्यवस्था निर्भर है, जहां लगभग 30 करोड़ लोग रहते हैं और इस जीवाश्म संसाधन की समाप्ति के परिदृश्य में इसके बड़े सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे. झारखंड जैसा संसाधन संपन्न राज्य भी इसका अपवाद नहीं है क्योंकि आठ जिलों की अर्थव्यवस्था कोयला पर आधारित है और इस संसाधन की समाप्ति का दूरगामी असर इस पर आधारित उद्योगों के श्रमिकों और स्थानीय समुदायों के जीविकोपार्जन पर पड़ेगा. यदि उचित कदम नहीं उठाए गए तो धनबाद, हजारीबाग, रामगढ़, रांची, बोकारो आदि क्षेत्रों को अस्तित्व के संकट का सामना करना पड़ेगा.
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जस्ट ट्रांजिशन को लेकर सीड के सीईओ रमापति कुमार ने कहा कि राज्य में जस्ट ट्रांजिशन को प्रोत्साहित करने के लिए सीड ने एक रिसोर्स सेंटर की शुरुआत की है, जो सभी स्टेकहोल्डर्स के साथ मिल कर काम करेगा और राज्य सरकार को इस अनुरूप नई नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण में सहायता प्रदान करेगा.
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की सीईओ नैन्सी सहाय ने कहा कि इस बदलाव के दरम्यान नौकरियों और आजीविका के ह्रास की चुनौती को दूर करने के लिए हम तैयार हैं. हम वैकल्पिक क्षेत्रों की पहचान कर रहे हैं और नए तरह के कौशल विकास कार्यक्रमों और योजनाओं को तैयार कर रहे हैं, ताकि प्रभावित लोगों को समुचित रोजगार के लिए सक्षम बना कर समायोजित किया जा सके. जेएसएलपीएस राज्य में जस्ट ट्रांजिशन की प्रक्रिया को बेहतर करने और आजीविका सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान श्रमबल के पुन: कौशल और क्षमता वृद्धि में एक अग्रणी भूमिका निभाएगा.
प्रो एसके समदर्शी, डायरेक्टर, सेंटर फॉर एक्सीलेंस इन ग्रीन टेक्नोलॉजी एंड एफीशिएंट टेक्नोलॉजी (झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय) ने कहा कि इस विषय पर योजना निर्माण और व्यापक सहमति बनाने के लिए मल्टी-स्टेकहोल्डर्स एप्रोच के साथ निरंतर संवाद और समाधानपरक शोध-अध्ययन की आवश्यकता है. सभी प्रमुख विभागों के बीच समन्वय और कन्वर्जेन्स तंत्र को मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि जस्ट ट्रांजिशन केवल ऊर्जा और पर्यावरण क्षेत्र तक सीमित नहीं है.
झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बिजय कुमार सिन्हा ने कहा कि जस्ट ट्रांजिशन की प्रक्रिया में ऊर्जा एक प्रमुख तत्व है और हम अर्थव्यवस्था के हरेक क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. एक स्टेट नोडल एजेंसी के रूप में हम राज्य में सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं जैसे सौर ऊर्जा, हाइड्रो, बायोमास आदि के व्यापक इस्तेमाल तथा इसके लिए जरूरी प्रशिक्षण और क्षमता विकास का मजबूत तंत्र विकसित कर रहे हैं ताकि जस्ट ट्रांजिशन के जरिए क्लीन और ग्रीन इकोनोमिक मॉडल स्थापित हो.
प्रो रमेश शरण (पूर्व कुलपति, विनोबा भावे यूनिवर्सिटी एवं प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री) समेत अन्य प्रमुख वक्ताओं ने भी वेबिनार को संबोधित किया. राज्य की मशहूर हस्तियों, राजनेताओं और रोल मॉडल्स ने वीडियो संदेश के माध्यम से जस्ट ट्रांजिशन का समर्थन किया है, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव एवं कुणाल षाड़ंगी, झामुमो सांसद विजय हांसदा, पूर्व मंत्री अमर कुमार बाउरी, डॉ विनय भरत, डॉ नितीश प्रियदर्शी, लोक कलाकार नंदलाल नायक, चंदन तिवारी आदि प्रमुख हैं.
Posted By : Guru Swarup Mishra