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Jharkhand news: नियमों की उड़ रही धज्जियां, रिटायरमेंट के बाद भी कार्यरत हैं झारखंड के कई कर्मचारी

सरकारी कर्मचारियों को 65 साल से ऊपर के लोगों को काम पर नहीं लिया जा सकता लेकिन झारखंड में इसकी खुलेआम धज्जियां उड़ रही है. नियमों के मुताबिक किसी भी रिटायर्ड कर्मचारी से तीन साल से ऊपर काम नहीं लिया जा सकता

कैबिनेट द्वारा रिटायरमेंट के बाद नौकरी करने के लिए उम्र सीमा निर्धारित की गयी है. रिटायर्ड कर्मचारी को अधिकतम तीन साल तक के लिए नियुक्त किया जा सकता है. 65 साल की उम्र के बाद संबंधित कर्मचारी से काम नहीं लिया जा सकता है. हालांकि, भवन निर्माण निगम में डीजीएम और लेखापाल निर्धारित उम्र सीमा समाप्त होने के बावजूद काम कर रहे हैं. भवन निर्माण निगम में संविदा के आधार पर चार लेखापाल कपिलदेव सिंह, सुरेश शर्मा, देवनारायण सिंह और राजेंद्र प्रसाद पाल नियुक्त किये गये थे. इनकी उम्र 65 साल होने के बाद निगम ने 31 मार्च 2020 को चारों की सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया.

हालांकि, आठ महीने बाद ही लेखापाल सुरेश शर्मा को छह माह के लिए नियुक्त कर लिया गया. वह अब तक इस पद पर कार्यरत हैं और निगम के कुछ वित्तीय मामलों से जुड़े काम कर रहे हैं. कई अहम दस्तावेज भी इनके जिम्मे हैं.

सुरेश की नियुक्ति में नहीं ली गयी सहमति

सुरेश शर्मा की नियुक्ति का कार्यालय आदेश नौ दिसंबर 2020 को जारी किया गया था. कहा गया कि निगम में लेखापाल की कमी से बिलों की जांच और ठेकेदारों को समय पर भुगतान नहीं हो रहा है. इससे निगम की योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इसलिए निगम में सुचारू रूप से लेखापाल का काम कर चुके सुरेश शर्मा को छह माह के लिए 30 हजार रुपये मासिक के मानदेय पर नियुक्त किया जाता है. नियमानुसार 65 साल के बाद किसी कर्मी को संविदा पर नियुक्त करने के लिए कैबिनेट की मंजूरी जरूरी है. लेकिन, श्री शर्मा की नियुक्ति के लिए जारी आदेश में कैबिनेट की सहमति का उल्लेख ही नहीं है.

उदयभानु की नियुक्ति भी नियमविरुद्ध

निगम में डीजीएम के पद पर उदय भानु सिंह की नियुक्ति भी कैबिनेट के फैसले के खिलाफ है. संकल्प के अनुसार, किसी कर्मचारी को संविदा पर एक साल के नियुक्त किया जा सकता है. काम संतोषप्रद होने के बाद उसे एक-एक साल के लिए दो बार अवधि विस्तार दिया जा सकता है. निगम ने श्री सिंह को डीजीएम (एडमिनिस्ट्रेशन) के पद पर एक ही बार में तीन साल के लिए नियुक्त कर लिया. उनकी नियुक्ति के लिए निगम ने 12 फरवरी 2018 को आदेश जारी किया. फिलहाल उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है. पर, वह अब भी डीजीएम के रूप में कार्यरत हैं.

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