रांची : रिम्स के शिक्षण कार्यों में समर्पित डॉक्टर शिक्षकों को प्रबंधन सम्मानित करेगा. शिक्षकों को हर साल एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा. रिम्स निदेशक पद्मश्री डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि किसी भी संस्थान की प्रगति के लिए शिक्षण कार्य बहुत जरूरी है.
रिम्स में मेडिकल एजुकेशन को प्राथमिकता दी जायेगी. एम्स में भी शिक्षकों के लिए एक्सीलेंस अवार्ड नहीं मिलता है, लेकिन रिम्स मेें इसे शुुरू किया जायेगा. लेक्चर थियेटर मेें सीसीटी कैमरा लगाया जायेगा, जिससे शिक्षक व छात्रों की मॉनिटरिंग की जायेगी. इसी मानक को चयन का आधार बनाया जायेगा.
रिम्स निदेशक ने कहा कि मरीजों की बेहतर चिकित्सा सेवा हमारी प्राथमिकता में है. वैसे डॉक्टर जो मरीजों की सेवा में निरंतर लगे रहेंगे, उन्हें भी सम्मानित किया जायेगा. ऐसे डॉक्टरों काे इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भेजा जायेगा. कॉन्फ्रेंस में शामिल होने का पूरा खर्च रिम्स उठायेगा. सम्मानित करने का एकमात्र उद्देश्य शिक्षा के माहौल को बेहतर बनाना है.
रांची. रिम्स के निदेशक पद्मश्री डाॅ कामेश्वर प्रसाद ने सोमवार को रिम्स के अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें शासी परिषद मेें लिये गये निर्णय को अमलीजामा पहनाने पर विचार किया गया. जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित अन्य सेवाओं के निराकरण पर निर्णय हुआ. डॉ प्रसाद ने बताया कि सीटी स्कैन सहित अन्य उपकरणों की खरीद के लिए जैम पोर्टल की प्रक्रिया तत्काल पूरा की जायेगी.
इसके अलावा उन्होंने सीनियर व जूनियर डॉक्टरों के दैनिक गतिविधियों की सूची तैयार करने को कहा. उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की गतिविधियों की सूची तैयार होने से औचक निरीक्षण के वक्त पूरी जानकारी उपलब्ध होगी. इसके अलावा सर्जिकल उपकरणों को समय पर मांगपत्र देने व समय पर उपलब्ध कराने के लिए भी कहा गया. मौके पर डीन डॉ मंजू गाड़ी, अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप, उपाधीक्षक डॉ संजय कुमार, डॉ हिरेंद्र बिरुआ व डॉ निशित एक्का मौजूद थे.
रिम्स निदेशक मंगलवार को मेडिकल स्टूडेंट को शिक्षा का पाठ पढ़ायेंगे. रिम्स ऑडिटाेरियम में स्टूडेंट से सीधा संपर्क कार्यक्रम दोपहर 12 बजे आयोजित किया गया है. मेडिकल एजुकेशन से जुड़ी जानकारी भी साझा करेंगे. डॉ कामेश्वर ने बताया कि जब वह रिम्स में स्टूडेंट थे, तो मरीजों के बेड के पास पढ़ते थे. उनकी बीमारी के बारे में पूछ कर मेडिकल किताबों से मिलाते थे.
डॉ कामेश्वर प्रसाद ने कहा कि निजी प्रैक्टिस की शिकायत हर स्तर पर सुनने को मिल रही है. मेरा मानना है कि निजी प्रैक्टिस को पुलिसिंग से नहीं रोका जा सकता है. मरीज की सेवा सर्वोपरि रखनी होगी. अगर लगता है कि निजी प्रैक्टिस ही जरूरी है, तो स्व केके सिन्हा का फॉर्मूला अनाना होगा. डॉ सिन्हा को लगा था कि रिम्स में रहते निजी प्रैक्टिस करना मरीजों के साथ न्याय नहीं होगा. इसलिए उन्होंने रिम्स छोड़ दिया. मुझे लगता है कि निजी प्रैक्टिस करने की सोच वाले डॉक्टरों को भी ऐसा ही करना चाहिए.
मरीज अस्पताल में बेहतर इलाज व सुविधा के लिए आते हैं. हम बेहतर सुविधा प्रदान करें, ताकि मरीज रिम्स से जाने के बाद भी यहां का नाम लें. मरीजों के लिए खाना के लिए 150 रुपये तय करने का फैसला लिया गया है, जिसे शीघ्र लागू किया जायेगा.
निजी डॉक्टर भी पढ़ाना चाहते हैं
तो उनको भी मिलेगा मौका
शिक्षण समर्पण का काम है. इसलिए यह नि:स्वार्थ भाव से किया जाता है. शहर के निजी डॉक्टर जो शिक्षण कार्य में रुचि रखते हैं, उनको भी रिम्स में मौका दिया जायेगा. रांची विवि से अनुमति लेकर निजी डॉक्टर रिम्स में पढ़ा सकते हैं. इसके लिए निजी डॉक्टरों को मानदेय भी मिल सकता है.
posted by : sameer oraon