रांची : रिम्स निदेशक डॉ राजकुमार डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस से परेशान है. उनकी ओर से लगातार आग्रह करने के बावजूद डॉक्टर बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे में निदेशक ने स्पष्ट कह दिया है कि अगर निजी प्रैक्टिस करना ही है, तो वीआरएस ले लें. उनके सामने दूसरा विकल्प मुझे वापस भिजवाने का भी है. निदेशक ने कहा कि सीनियर डॉक्टरों को खुलेआम निजी प्रैक्टिस करने नहीं दिया जा सकता है. जब वह खुद ऐसा करेंगे, तो अपने जूनियर को क्या सिखायेंगे?
निदेशक ने कहा है कि मुझे पता है कि कौन-कौन से डॉक्टर कहां-कहां प्रैक्टिस करते हैं और किस अस्पताल में जाकर सर्जरी करते हैं. अभी मौका दिया जा रहा है, लेकिन जब वे नहीं मानेंगे, तो सख्ती करनी पड़ेगी. बता दें कि निजी प्रैक्टिस नहीं करने के एवज में रिम्स के डॉक्टरों को नॉन प्रेक्टिसिंग अलाउंस (एनपीए) मिलता है. सूत्रों ने बताया है कि निजी प्रैक्टिस पर लगाम लगाने के लिए कमेटी का गठन भी किया गया है, जिसको प्रबंधन शीघ्र सक्रिय करेगा. वहीं, स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित टीम को भी सक्रिय करने का आग्रह भी निदेशक करेंगे.
किस-किस विभाग के डॉक्टरों पर संदेह
कार्डियोलॉजी, मेडिसिन, सर्जरी, इएनटी, आइ, न्यूरोलॉजी, स्त्री विभाग, हड्डी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी और यूरोलॉजी आदि विभाग के सीनियर डॉक्टरों पर रिम्स प्रशासन की विशेष नजर है. हालांकि, क्लीनिकल विभाग के अधिकांश डॉक्टर किसी न किसी रूप में निजी प्रैक्टिस करते हैं. रिम्स प्रशासन ऐसे डॉक्टरों की फोटोग्राफी भी करा सकता है.
इन इलाकों में होती है प्रेक्टिस
अशोक नगर, बरियातू रोड, बूटी मोड, जोड़ा तालाब, मोरहाबादी, डोरंडा व हिनू आदि क्षेत्र में डॉक्टर अपना क्लिनिक चलाते हैं या निजी अस्पताल में जाकर अपनी सेवा देते हैं.