रांची : रिम्स की अव्यवस्था दूर करना और मरीजों के हित का ख्याल रखना बेहद जरूरी है. मेडिकल कॉलेज में गरीब और मध्यम श्रेणी के लोग बहुत उम्मीद के साथ इलाज कराने आते हैं. उनकी उम्मीद पर खरा उतरना अस्पताल प्रबंधन का काम होता है. उक्त बातें प्रभात खबर के संवाददाता राजीव पांडेय से रिम्स के नवनियुक्त निदेशक डॉ राजकुमार ने कही. पेश है बातचीत के प्रमुख अंश.
रिम्स राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल है. इसलिए मरीजों का लोड ज्यादा रहता है. आपकी क्या योजना होगी?
मेडिकल कॉलेज में ज्यादातर गरीब और मध्यम श्रेणी के मरीज ही इलाज कराने आते हैं. लेकिन, अगर हमारी अलग पहचान होगी, तो संपन्न लोग भी आयेंगे. मेरी प्राथमिकता रिम्स को व्यवस्थित करना होगी, जिससे यहां आने वाला हर मरीज संतुष्ट होकर जाये. मेरा प्रयास होगा कि रिम्स के डॉक्टर व कर्मचारी मुझे सीनियर डॉक्टर ही मानें और काम करें.
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मैंने अपने मेडिकल प्रोफेशन के पूरे कार्यकाल में अभी तक निजी प्रैक्टिस नहीं की है. जहां भी रहा, पूरी ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन किया. जब हमारी सोच और कार्यप्रणाली ऐसी है, तो रिम्स के डॉक्टरों से भी यही उम्मीद रखता हूं. डॉक्टर शिक्षण कार्य और मरीजों पर ध्यान देंगे, तो रिम्स और मरीज दोनों का भला होगा.
मेडिकल स्टूडेंट को पढ़ाना और सर्जरी करना ही मेरा मूल काम है. रिम्स आने के बाद यह देखेंगे कि ओपीडी या सर्जरी के लिए कैसे समय निकाला जा सकता है. एसजीपीजीआइ लखनऊ में दूर-दूर से मरीज इलाज कराने आते हैं. मैं ज्यादा उम्र होने के बाद भी ज्यादा से ज्यादा समय अपने मूल काम को देता हूं. रिम्स में अधिकांश डॉक्टर मेरे से कम उम्र के ही होंगे. इसलिए उनसे भी यही उम्मीद होगी