रांची : रिम्स में अब सभी मीटिंग (बैठक) शाम पांच बजे के बाद होगी. रिम्स निदेशक पद्मश्री डॉ कामेश्वर प्रसाद ने डॉक्टरों से स्पष्ट कहा कि मरीजों का हित सर्वोपरि है. ड्यूटी के समय बैठक होने से दूर-दराज से आये मरीज का इलाज समय पर नहीं हो पाता है. निराश होकर मरीज घर लौट जाते हैं या फिर निजी अस्पताल जाते हैं.
ऐसे में मरीजों के हित को ध्यान में रखते हुए बैठक का समय बदलना चाहिए. श्री प्रसाद ने मंगलवार को प्रशासनिक भवन सभागार में क्लिनिकल विंग के डॉक्टरों के साथ बैठक में यह फैसला लिया. डॉ प्रसाद ने डाॅक्टरों के समक्ष बैठक का समय शाम पांच बजे के बाद करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी विभागाध्यक्ष व सीनियर डॉक्टर तैयार हो गये. विभागाध्यक्ष व यूनिट इंचार्ज के तैयार होने पर उन्होंने कहा कि आप सभी को ओपीडी व मरीज छोड़ कर आने की जरूरत नहीं है.
सूत्रों की मानें तो रिम्स को एम्स मानकर सभी सुविधा देने के बाद निदेशक एम्स का अनुपालन कराना चाहते हैं. एम्स में डॉक्टर शाम छह बजे तक परिसर में मिल जाते हैं, लेकिन रिम्स में सीनियर डॉक्टर दोपहर के बाद खोजने से नहीं मिलते हैं. ऐसे में बैठक शाम पांच बजे बाद होने से डॉक्टरों की उपस्थिति रहेगी.
रिम्स निदेशक ने सीनियर डॉक्टर व कर्मचारियों को अपनी कार्यप्रणाली का अहसास कराना शुरू कर दिया है. विभागाध्यक्षों व यूनिट इंचार्ज के साथ बैठक कर रिम्स आने का उद्देश्य बता दिया है. डॉ प्रसाद ने कहा है कि वह सीनियर व जूनियर डॉक्टरों को अपनी मंशा बताने के बाद वार्ड का निरीक्षण भी करेंगे.
सीनियर व जूनियर डॉक्टर के कार्य करने के समय व उनकी वार्ड में उपस्थिति का जायजा लेंगे. उन्होंने कहा है कि रिम्स के डॉक्टरों की कार्य क्षमता पर कोई संदेह नहीं है, लेकिन जब रिम्स को एम्स का दर्जा मिला है, तो उसके अनुरूप काम भी होना चाहिए. एम्स की सुविधा लेने के बाद उसकी तरह काम भी करने की जरूरत है. हमारी कार्य संस्कृति बदलेगी, तो रिम्स का नाम होगा.
रिम्स निदेशक ने मेडिकल स्टूडेंट से कहा कि मेडिकल एजुकेशन पर ध्यान दें. शिक्षण कार्य में अपडेट व बेहतर होने से आप भी देश के सर्वोच्च मेडिकल कॉलेज एम्स के डॉक्टर व प्रोफेसर बन सकते हैं. वह मंगलवार को ऑडिटोरियम में रिम्स के छात्रों के लिए आयोजित विशेष पाठशाला में बोल रहे थे.
ऐसा नहीं है कि अाॅक्सफोर्ड विद्यालय में शोध कार्य नहीं कर सकते हैं. आपको भी पद्मश्री मिल सकता है, लेकिन इसके लिए सीखने की ललक होनी चाहिए. उन्होंने अपनी पढ़ाई के समय का उदाहरण देते हुए कहा कि वह सीखने के लिए वार्ड में मरीजों के साथ लगे रहते थे. ऐसी छवि बनाकर रखते थे कि यूनिट इंचार्ज मरीजों को देखने से पहले बुलाते थे.
मरीज, रिसर्च व पढ़ाई को छोड़ कुछ और नहीं सोचें : रिम्स निदेशक ने कहा कि सीनियर डॉक्टरों का ख्याल रखकर अपनी कार्यप्रणाली को बदलने की जरूरत है. मरीज, रिसर्च व पढ़ाई को छोड़कर कुछ और सोचने की जरूरत नहीं है. रिसर्च पर ध्यान देंगे तो आपका विकास होगा ही. साथ ही राज्य व रिम्स का नाम भी होगा.उन्होंने कहा कि हम रिम्स में नौकरी करने नहीं आये हैं, बल्कि अपने सीनियर को श्रद्धांजलि देने आये हैं. तीन साल के लिए आया हूं, लेकिन आपका साथ मिलेगा तो हम देश के पटल पर रिम्स की प्रसिद्धि को रख सकेंगे.
रिम्स निदेशक कामेश्वर प्रसाद ने मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता से उनके आवास में मुलाकात की. यह एक औपचारिक मुलाकात थी. इस दौरान दोनों के बीच रिम्स में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर चर्चा हुई. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि रिम्स के नये निदेशक के रूप में पदभार संभालने के बाद कामेश्वर प्रसाद मुलाकात करने आये थे. उनसे रिम्स में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था लागू हो, इस पर चर्चा हुई.आशा और विश्वास है कि उनके लंबे अनुभव का लाभ रिम्स को मिलेगा और रिम्स देश के बेहतर अस्पताल में शामिल होगा.
posted by : sameer oraon