रांची : रिम्स के जन औषधि केंद्र में अभी सिर्फ 77 दवाएं हैं. हालत यह है कि मौसमी बीमारी में प्रयुक्त दवाअों की भी कमी हो गयी है. वहीं एंटी एलर्जी, खांसी के सिरप व एंटीबायोटिक दवाएं खत्म हो गयी हैं. वहीं कुछ दवाएं खत्म होने के कगार पर हैं. बुखार व गैस की दवाओं का भी सीमित स्टॉक बचा है. शुगर व बीपी की दवाएं भी नहीं है, जिससे नियमित मरीजों को भी जेनेरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं खरीदनी पड़ रही है. ऐसे में मरीजों को दवा नहीं मिलने पर लौटना पड़ रहा है.
सूत्रों ने बताया कि जन औषधि केंद्र की नयी एजेंसी का चयन होना है. पुरानी एजेंसी दवाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही है. नयी एजेंसी के चयन की प्रक्रिया विगत एक वर्ष से चल रही है, जो अब तक पूरी नहीं हुई है. ऐसे में दवाओं का संकट हो गया है. गौरतलब है कि रिम्स में जन औषधि केंद्र का शुभारंभ वर्ष 2012 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हेमलाल मुर्मू ने किया था. तब जनऔषधि केंद्र में 350 दवाओं का स्टॉक था, लेकिन बाद में एजेंसी द्वारा दवाओं का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध नहीं कराया गया.
रांची. रिम्स के एमआरआइ के यूपीएस में आयी खराबी को शनिवार की सुबह दुरुस्त कर लिया गया. इसके बाद आठ मरीजों की एमआरआइ जांच की गयी. जांच रिपोर्ट का आकलन कर मरीजों को लिखित रिपोर्ट सौंप दी गयी. गौरतलब है कि एमआरआइ के यूपीएस का बैट्री पुराना हो गया है, जिससे मशीन को बैकअप नहीं मिल पाता है. बैकअप नहीं मिलने से मशीन द्वारा जांच नहीं हो पताी है.
सूत्रों ने बताया कि यूपीएस की बैट्री को बदलने में दो लाख रुपये का खर्च आयेगा, लेेकिन प्रबंधन बैट्री बदलने की जगह नयी मशीन खरीदने का प्रयास कर रहा है. मशीन खरीदारी की प्रक्रिया चल रही है.
राजनीतिक दल का कार्यालय नहीं, क्वार्टर किसी अन्य विभाग का : रिम्स प्रबंधन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि डॉक्टर कॉलोनी परिसर में किसी भी राजनीतिक दल का कार्यालय नहीं है. रिम्स के जिस क्वार्टर में पार्टी कार्यालय की बात की जा रही है, वह दूसरे विभाग का है. प्रबंधन ने जांच कर रिपोर्ट अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रिम्स का कोई क्वार्टर राजनैतिक दल के कब्जे में नहीं है.
Posted By : Sameer Oraon