रांची : रिम्स में सर्जरी करानेवाले मरीज कमीशनखोरी का शिकार हो रहे हैं. यहां सर्जरी कराने पहुंचे मरीजों के परिजनों से बाहर की दुकानों से सर्जिकल आइटम खरीद कर मंगाये जाते हैं. इनमें वह सामान भी शामिल हैं, जो रिम्स में उपलब्ध हैं. सर्जरी से तीन-चार दिन पहले जूनयिर डॉक्टर मरीज के परिजन को बाकायदा सर्जिकल आइटम की पूरी लिस्ट थमा देते हैं, जिसे खरीदने में परिजनों के 10,000 से 15,000 रुपये खर्च हो जाते हैं. दूर-दराज से आये भोले-भाले मरीजों और उनके परिजनों को यह भी पता नहीं होता है कि जो सामान उनसे खरीद कर मंगाया जा रहा है, वह रिम्स में उपलब्ध होता है.
जूनियर डॉक्टर सादा कागज पर सर्जिकल आइटम की जो लिस्ट मरीज के परिजन को देते है, उसमें 15 से 20 सामान शामिल होते है. इसमें इंजेक्शन के रूप में दवा, निडिल, गॉज और कॉटन के अलावा बेटाडीन का लिक्विड भी शामिल होता है. जबकि, बेटाडीन का स्टॉक रिम्स ओटी में प्रर्याप्त मात्रा में रहता है. इधर, यूनिट इंचार्ज व सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि रिम्स में सर्जरी का सामान उपलब्ध रहता है. बाहर से मंगाना बिल्कुल गलत है. सूत्रों का कहना है कि आयुष्मान लाभुक अगर निजी अस्पताल जाता है, तो उसको पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है. वहीं, रिम्स में आयुष्मान के लाभुकों से बाहर की दुकानों से सामान मंगाया जाता है.
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सर्जरी करानेवाले मरीज के परिजनों को जूनियर निजी जांच लैब भी भेजते हैं. मरीज के परिजनों को कहा जाता है कि अगर रिम्स लैब से जांच करायेंगे, तो समय लगेगा. समय पर ऑपरेशन कराना है, तो फलां निजी लैब से कर्मचारी बुलाकर सैंपल दे दें. वहां रिपोर्ट समय पर मिल जाती है. पर्ची पर निजी जांच लैब का नाम भी डॉक्टर लिखकर देते हैं.
रिम्स ओटी में सर्जरी के अधिकांश सामान उपलब्ध हैं. जो सामान उपलब्ध नहीं है, उसके बारे में प्रबंधन को संज्ञान में लायें. जूनियर डॉक्टरों द्वारा लिस्ट थमाया जा रहा है, तो यह गलत है.
डॉ हिरेंद्र बिरुआ, अधीक्षक रिम्स