रांची : रिम्स में आंखों के जूनियर डॉक्टर अब आसानी से सर्जरी की प्रैक्टिस कर सकेंगे. क्षेत्रीय नेत्र संस्थान, रिम्स में प्रदेश की पहली सर्जिकल स्किल एवं वेट लैब का उदघाटन शनिवार को रिम्स के निदेशक प्रोफेसर डॉ राजकुमार ने किया. विभागाध्यक्ष डॉ सुनील कुमार ने कहा कि यह तकनीक विदेशों में डॉक्टरों की सर्जिकल ट्रेनिंग के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाती है. जूनियर डॉक्टर इस लैब की मदद से कृत्रिम आंख या बकरी की आंख की मदद से शल्य क्रिया सीख सकते हैं. शुरुआती दौर में नेत्र विभाग के जूनियर डॉक्टर इस लैब में प्रैक्टिस कर सकेंगे. आने वाले दिनों में जिला स्तर पर पदस्थापित नेत्र सर्जनों के लिए भी वर्कशॉप का आयोजन किया जायेगा, ताकि वे भी इसका लाभ उठा सकें. यह लैब आंखों की सर्जरी में काफी मददगार साबित होगा. मौके पर डीन प्रोफेसर डॉक्टर विद्यापति, अधीक्षक डॉ हीरेन बिरुवा, उपाधीक्षक डॉ शैलेश त्रिपाठी, डॉ़ दीपक लकड़ा, डॉ राहुल प्रसाद आदि मौजूद थे.
बर्थ डिफेक्ट वाले बच्चों का रिम्स में होगा उपचार, सीएमइ आज
सीएमइ में मुंबई के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ संतोष उपस्थित रहेंगेरांची. बच्चों में होनेवाली जन्मजात बीमारियों को लेकर रिम्स में उपचार की विशेष व्यवस्था होगी. जो बच्चे ऐसी बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें दो मार्च को अस्पताल में परामर्श दिया गया. पीडियाट्रिक सर्जन डॉ अभिषेक रंजन ने बताया कि झारखंड में ऐसी बीमारी से बड़ी संख्या में बच्चे पीड़ित हैं. परिजन बर्थ डिफेक्ट समझकर इसका इलाज कराने से भी कतराते हैं. ऐसे बच्चों के लिए आउटरीच कार्यक्रम के तहत रिम्स की ओपीडी में परामर्श दिया गया. तीन मार्च को रिम्स में इन बीमारियों पर सीएमई का आयोजन किया गया है. ट्रॉमा सेंटर के ऑडिटोरियम में इस सीएमइ का आयोजन किया जायेगा. एक्सपर्ट के रूप में मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ संतोष कर्माकर उपस्थित रहेंगे. सीमएमइ में ऐसी बीमारियों पर चर्चा की जायेगी.