झारखंड : सात महीने में ही रिम्स कुपोषण उपचार केंद्र की निकली हवा, कुंभकर्णी नींद में सोया प्रशासन
रेफरल कुपोषण उपचार केंद्र में मैनपावर की कमी है. न्यूट्रिशन काउंसलर, रसोइया, वार्ड ब्वाॅय और अन्य कर्मचारियों की कमी है.
रांची : रिम्स का रेफरल कुपोषण उपचार केंद्र पिछले दो माह से बंद है. ऐसे में विभिन्न जिलों से आये गंभीर कुपोषित बच्चों को शिशु विभाग के वार्ड में भर्ती करना पड़ रहा है. यह केंद्र अक्टूबर 2023 में शुरू हुआ था. इसे शुरू करने का उद्देश्य कुपोषित बच्चों को बेहतर पोषण, उपचार और देखभाल कर उनकी मृत्यु दर में कमी लाना था. लेकिन, इस सेंटर में अब तक केवल दो से तीन दर्जन बच्चोंं का ही इलाज हो पाया है.
आखिर क्यों खराब है स्तिथि
बताया जाता है कि रेफरल कुपोषण उपचार केंद्र में मैनपावर की कमी है. न्यूट्रिशन काउंसलर, रसोइया, वार्ड ब्वाॅय और अन्य कर्मचारियों की कमी है. उदघाटन के बाद कुछ महीने कुपोषित बच्चों को भर्ती कर यहां इलाज किया गया. बाद में जब पोषण युक्त भोजन की व्यवस्था करने में परेशानी होने लगी, तो यहां बच्चों को भर्ती लेना बंद कर दिया गया. अभी रेफर होकर आये कुपोषित बच्चों को शिशु विभाग के वार्ड में भर्ती कराया जा रहा है.
खाद्य पदार्थों की खरीद में होने लगी थी गड़बड़ी
एनएचम द्वारा उपलब्ध कराये गये फंड से केंद्र में तैनात कर्मचारी अपने हिसाब से सामान की खरीदारी करने लगे थे. ऐसे में गड़बड़ी की सूचना होने पर इस पर रोक लगा दी गयी. शिशु विभाग ने इसकी जानकारी प्रबंधन को दी है. वहीं, प्रबंधन से मांग की गयी है कि रिम्स किचन से दूध, चीनी, तेल और अन्य खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराया जाये. वहीं, जो सामग्री बाहर से खरीदनी हो, उसके लिए किसी दुकान से अनुबंध कर लिया जाये, ताकि किसी प्रकार की वित्तीय अनियमितता न हो.
बोले पदाधिकारी
रिम्स अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने बताया कि न्यूट्रिशन काउंसलर व रसोइया सहित कुछ मैनपावर एनएचएम को उपलब्ध कराना था. लगता है आचार संहिता की वजह से यह उपलब्ध नहीं हुआ है. कुपोषित बच्चों को वार्ड में रखकर इलाज किया जा रहा है. अन्य व्यवस्था कसे शीघ्र दुरुस्त कर लिया जायेगा.
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