रिम्स हॉस्टल के पीछे झुलसा मिला पीजी कर रहे डॉ मदन का शव, हत्या-आत्महत्या के बीच उलझी पुलिस
साथ ही एफएसएल की टीम को भी जांच के लिए बुलाया गया. पुलिस ने हॉस्टल के कमरे की तलाशी ली, साथ ही हॉस्टल में रहनेवाले अन्य छात्रों से भी पूछताछ की. इस दौरान कुछ छात्रों ने बताया कि डॉ मदन जलते हुए हॉस्टल की तीसरी मंजिल से नीचे गिरे थे
रांची : रिम्स में फॉरेंसिक मेडिसिन एंड टेक्सोकोलॉजी (एफएमटी) के पीजी स्टूडेंट डॉ मदन कुमार एम का शव गुरुवार तड़के 5:40 बजे हॉस्टल नंबर-5 के पीछे झुलसी अवस्था में मिला है. मूल रूप से तमिलनाडु पालाकट्टू सलाई नमक्कल के रहनेवाले डॉ मदन पीजी सेकेंड इयर के छात्र थे और हॉस्टल नंबर-5 में ही रहते थे. घटना की सूचना मिलने के बाद एसएसपी चंदन कुमार सिन्हा, सिटी एसपी राजकुमार मेहता, सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरवार और बरियातू पुलिस जांच के लिए मौके पर पहुंची.
साथ ही एफएसएल की टीम को भी जांच के लिए बुलाया गया. पुलिस ने हॉस्टल के कमरे की तलाशी ली, साथ ही हॉस्टल में रहनेवाले अन्य छात्रों से भी पूछताछ की. इस दौरान कुछ छात्रों ने बताया कि डॉ मदन जलते हुए हॉस्टल की तीसरी मंजिल से नीचे गिरे थे. उस दौरान लोगों ने उनकी चीख भी सुनी थी. कुछ छात्रों का कहना था कि पारिवारिक परेशानियों की वजह से डॉ मदन ने आग लगाकर आत्महत्या कर ली. हालांकि, एफएसएल की टीम और पुलिस हत्या व आत्महत्या दोनों ही पहलुओं पर जांच कर रही हैं.
घटना की गुत्थी सुलझाने के लिए एसएसपी ने सिटी एसपी के नेतृत्व में टीम गठित कर दी है. शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार को मृतक के परिजनों के आने के बाद कराया जायेगा. पुलिस ने पाया कि मृतक के शरीर के अधिकांश ऊपरी हिस्सा झुलसा हुआ है, जबकि पैर का निचला हिस्सा नहीं जला है. पुलिस का कहना है कि अगर हत्या के बाद कोई शव को जलाता, तो तलवा भी जला हुआ होता. इन पहलुओं की जानकारी लेने के बाद एफएसएल की टीम के साथ पुलिस हॉस्टल की छत पर पहुंची.
यहां पुलिस को पैर के निशान मिले. एफएसएल की टीम यह जांच कर रही है कि पैरों के निशान मृतक के ही हैं या किसी और के. वहीं, छत पर कुछ पेट्रोकेमिकल के अंश मिले हैं, जिन्हें एफएसएल की टीम ने जांच के लिए जब्त कर लिया है. हालांकि, वहां पेट्रोकेमिकल का कोई डब्बा या सुसाइड नोट नहीं मिला है. इसलिए अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह हत्या है या आत्महत्या.
इधर, घटना की जानकारी मिलने के बाद रिम्स निदेशक डॉ राजीव कुमार गुप्ता और अधीक्षक डॉ हिरेंद्र बिरुआ ने हॉस्टल का जायजा लिया. पहले वे घटनास्थल पहुंचे और पूरी मेडिकल के विद्यार्थियों से घटना की जानकारी ली. वहीं, डीन स्टूडेंट एंड वेलफेयर से हॉस्टल की सुरक्षा और अन्य सुविधाओं के बारे में पूछताछ की.
मां की तबीयत को लेकर काफी परेशान रहते थे डॉ मदन :
डॉ मदन विभाग में जूनियर रेजिडेंट के पद पर सेवा दे रहे थे. उनकी मौत से विभाग के डॉक्टर स्तब्ध दिखे. विभागाध्यक्ष डॉ संजय कुमार और स्टूडेंट डीन एंड वेलफेयर डॉ शिवप्रिये घटनास्थल पर जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों को स्टूडेंट की पहचान करने में सहयोग कर रहे थे. इधर, रिम्स में पढ़ रहे तमिलनाडु के अन्य मेडिकल स्टूडेंट भी इस घटना से मायूस थे. उनका कहना था कि डॉ मदन अपनी मां की खराब तबीयत को लेकर चिंतित रहते थे.
अक्सर छुट्टी लेकर वह अपने घर जाते रहते थे. एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान दुर्घटना में उन्हें गंभीर चोट आयी थी, जिससे एक महीना तक क्लास नहीं कर पाये थे. हॉस्टल में रहनेवाले छात्रों ने पुलिस को बताया कि डॉ मदन ने बुधवार सुबह और रात में खाना भी नहीं खाया था. वे किसी बात को लेकर बेहद परेशान थे. इधर, एफएमटी विभाग के सीनियर डॉक्टरों की मानें, तो डॉ मदन बेहद शालीन और मृदुभाषी थे, लेकिन वे बहुत जल्द भावुक हो जाते थे. वे अक्सर अपनी मां की तबीयत को लेकर चर्चा करते रहते थे. पढ़ाई को लेकर भी वह काफी संवेदनशील थे. लेकिन, ऐसी घटना की उम्मीद नहीं थी.
रात करीब 10 बजे उन्होंने परिवारवालों से की बात
घटना की गुत्थी सुलझाने के लिए पुलिस की तकनीकी टीम ने मृतक के मोबाइल फोन का कॉल डंप हासिल किया है. वहीं, पुलिस ने मृतक का मोबाइल भी जांच के लिए जब्त कर लिया है. शुरुआती जांच में पता चला कि डॉ मदन ने आखिरी बार बुधवार रात करीब 10:00 बजे अपने परिवार के सदस्यों से बात की थी. जिस मोबाइल नंबर पर डॉ मदन ने फोन किया था, वह दूसरे के नाम पर निबंधित है. हालांकि, इसका प्रयोग उनके परिवार के सदस्य ही करते हैं.
रिम्स के मेडिकल के विद्यार्थी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर पुलिस आत्महत्या और हत्या दोनों बिंदुओं पर जांच कर रही है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जांच पूरी होने के बाद ही पूरा मामला स्पष्ट हो पायेगा.
– चंदन कुमार सिन्हा, एसएसपी रांची