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रिम्स में मरीजों के बेड पर अब तक नहीं बिछ पायी है अलग-अलग रंग की चादर, 24 घंटे ब्लड जांच की भी सुविधा भी नहीं

डॉक्टर और मरीजों को अस्पताल परिसर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए 10 बैट्री वाहनों की खरीद करनी थी. लेकिन, अभी तक खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है.

रांची : रिम्स शासी परिषद (जीबी) की 55वीं बैठक में लिये गये कई महत्वपूर्ण फैसले को रिम्स सात महीने बाद भी लागू नहीं कर पाया है. उक्त फैसले मरीज हित में लिये गये थे. अगर फैसले को अमल में लाया गया होता, तो हर दिन मरीजों को अलग-अलग रंग की चादर बेड पर बिछाने को मिलती. वहीं, 24 घंटे ब्लड जांच की सुविधा भी शुरू नहीं हो पायी है. अभी इसकी प्रक्रिया ही चल रही है.

वहीं, डॉक्टर और मरीजों को अस्पताल परिसर में एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए 10 बैट्री वाहनों की खरीद करनी थी. लेकिन, अभी तक खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो पायी है. हालांकि, अमृत फार्मेसी शुरू की गयी है. इसका लाभ मरीजों को मिल रहा है. रिम्स में रेडियोलॉजी और ब्लड जांच की सुविधा को सुदृढ़ करने के बाद निजी रेडियोलॉजी और ब्लड जांच एजेंसी की सेवा समाप्त करने पर भी फैसला हुआ था. लेकिन, इस पर भी अमल नहीं हो पाया है.

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24 घंटे ब्लड जांच की सुविधा एक से दो दिन में शुरू कर दी जायेगी. अलग-अलग रंग की चादर के लिए निविदा प्रक्रिया पूरी करनी है. इसकी प्रक्रिया चल रही है.

-डॉ राजीव रंजन, पीआरओ, रिम्स

एनेस्थीसिया विभाग का कार्य अहम : डॉ शिव प्रिये

विश्व एनेस्थीसिया दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को रिम्स परिसर में पौधरोपण किया गया. एनेस्थीसिया विभाग के डॉक्टरों ने इसमें सहभागिता दी. डॉ शिव प्रिये ने बताया कि वर्ष 1846 में डायथाइल ईथर एनेस्थीसिया की शुरुआत की गयी थी. सोमवार को रिम्स में सुबह 10 बजे इसके लिए जागरूकता व प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया है. इसमें सीपीआर द्वारा कैसे किसी गंभीर मरीज की जान बचायी जा सकती है, इसकी जानकारी दी जायेगी. प्रशिक्षण सहायक प्रोफेसर डॉ तुषार कुमार, डॉ प्रियंका श्रीवास्तव और डॉ भारती देंगे. उन्होंने बताया कि एनेस्थीसिया विभाग का कार्य परदे के पीछे का है, लेकिन अहम होता है. किसी भी सर्जरी से पहले एनेस्थीसिया देकर मरीज का दर्द कम किया जाता है. इस विभाग के डॉक्टरों द्वारा क्रिटिकल केयर संचालित किया जाता है.

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