ranchi news : रांचीवासियों के आंगन में खिलखिला रहे इंडियन और हाइब्रिड वेराइटी के गुलाब

ranchi news : राजधानी में कई ऐसे शौकीन हैं, जिनके आंगन में 50 से अधिक वेराइटी के गुलाब खिलखिला रहे हैं. अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच इन फूलों की देखभाल में जुटे रहते हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 17, 2025 12:19 AM

रांची. गुलाब. एक झाड़ीदार, कंटीला पौधा. इन कंटीले पौधों में ही बेहद सुंदर और सुगंधित गुलाब खिलते हैं. गुलाब के फूल अपनी कोमलता और सुंदरता के लिए काफी प्रसिद्ध हैं. इसकी महक और सुंदरता हर किसी को कायल बना देती है. अपने घर-आंगन में इसी खुशबू की चाहत में लोग गुलाब के पौधे लगाते हैं. कइयों ने तो अपने घरों में बगिया भी बना ली है. वर्षभर गुलाब की देखरेख में लगे रहते हैं. राजधानी में कई ऐसे शौकीन हैं, जिनके आंगन में 50 से अधिक वेराइटी के गुलाब खिलखिला रहे हैं. अपनी व्यस्त दिनचर्या के बीच इन फूलों की देखभाल में जुटे रहते हैं. आज की स्टोरी गुलाब के इन्हीं शौकीनों पर आधारित है.

गुलाब के पौधों में सरसों की खली का करते हैं इस्तेमाल

एचइसी निवासी नितेश कुमार बैंक में नौकरी करते हैं, लेकिन उन्हें बागवानी करना बेहद पसंद है. कई वर्षों से अपने आंगन में फूल और फलों के पौधे लगा रहे हैं. खास कर गुलाब के पौधे. वह बताते हैं : बचपन का शौक पूरा कर रहा हूं. मेरी बगिया में गुलाब के 30 से अधिक पौधे हैं. इसमें इंडियन के अलावा विदेशी गुलाब की वेराइटी भी हैं. ज्यादातर गुलाब के पौधे खड़गपुर से मंगाते हैं. इसके अलावा आम की 25 वेराइटी, कैक्टस की 50 से अधिक वेराइटी, सीजन फ्लावर, आर्किड, एडिनियम डेजस रोज, मेडिसन प्लांट्स आदि भी हैं. खास बात है कि सभी पौधों की देखभाल ऑर्गेनिक तरीके से करते हैं. इसमें सरसों की खली का इस्तेमाल करते हैं. रोज सुबह और शाम बागवानी में समय देते हैं.

20 वर्षों से कर रही हैं गुलाबों की बागवानी

डिबडीह की राजश्री बासु कामकाजी महिला होने के बाद भी बागवानी के लिए समय निकाल लेती हैं. उनकी बगिया के गमलों में 30-40 वेराइटी के गुलाब खिले हुए हैं. वह कहती हैं : इस बार बेमौसम बारिश के कारण काफी गुलाब खराब हो गये हैं. इसके बावजूद गुलाब की कई वेराइटी हैं. 20 वर्षों से बागवानी कर रही हूं. गुलाब लगाना और उनकी देखभाल करना काफी अच्छा लगता है. गुलाब के अलावा कुछ सीजन फ्लावर भी हैं. इन फूलों को लगाने में सरसों की खली, गोबर का खाद, रोज मिक्सचर और फल के छिलके का इस्तेमाल होता है. इन फूलों का काफी ध्यान रखना पड़ता है.

कोयले की राख से निकले कण में लगाते हैं गुलाब के पौधे

कचहरी के डिप्टीपाड़ा के रहनेवाले उमेश साहू बिना मिट्टी के गुलाब उगा रहे हैं. उनके पास गुलाब की सैकड़ों वेराइटी है. वह कहते हैं : बचपन से बागवानी का शौक है. पहले घर की छत पर गमले में मिट्टी डाल कर गुलाब लगाते थे, लेकिन काफी दिक्कत होने लगी. इसके बाद परिचितों से बात कर बिना मिट्टी के गुलाब लगाना शुरू किया. कोयले की राख को पानी से छानने के बाद जो कण निकलता, उसमें गुलाब लगाना शुरू किया. इससे गुलाब के पौधे का विकास काफी अच्छा होता है. इसके लिए पतरातू पावर प्लांट सहित अन्य जगहों से राख लाना पड़ता है. अब बना-बनाया यह कण घाटशिला में भी मिलने लगा है. इसमें 35 से अधिक वेराइटी के गुलाब लगाये गये हैं. इसमें लगे गुलाब डेढ़ से दो महीने में फूल खिलने लगते हैं.

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