रांची : रांची स्थित गेतलसूद (रुक्का), गोंदा (कांके) व हटिया डैम रांची शहरी जलापूर्ति योजना के आधार हैं. लेकिन, शहर के विभिन्न मोहल्लों के नदी-नालों का गंदा पानी स्वर्णरेखा, पंडरा व करमा नदी होते हुए गेतलसूद व गोंदा डैम में पहुंच रहा है. वर्तमान में गेतलसूद व गोंदा डैम का अधिकांश हिस्सा जलकुंभी व जलीय घास से पटा है. इस कारण डैम का रॉ वाटर (कच्चा पानी) प्रदूषित हो गया है. पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी कम हो रही है.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
गंभीर मामलों में पानी में कम ऑक्सीजन के कारण मछलियों की मौत हो सकती है. गर्मी में उच्च पोषक तत्वों वाली छोटी से मध्यम आकार की झीलों में ऐसा होने की संभावना रहती है. जल में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए जलकुंभी व जलीय घास को हटाना जरूरी है. इस माह नगर निगम की ओर से गोंदा डैम में जलकुंभी हटाने के लिए मशीन लगायी गयी थी, लेकिन दो दिन में ही यह अभियान बंद हो गया.
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फिल्टर के बाद भी पेयजल में हल्का हरापन
रांची के गेतलसूद व गोंदा डैम में पानी के बीओडी (बाॅयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) और सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) में काफी वृद्धि हो रही है. बीओडी और सीओडी अपशिष्ट जल में कार्बनिक पदार्थों के संकेतक हैं. इस कारण जलाशय में अत्यधिक मात्रा में एल्गी व जलकुंभी का निर्माण हो रहा है. गर्मी में जलकुंभी के सड़ जाने और शहर के विभिन्न नालों से आनेवाले गंदा पानी व कचरे के कारण जलाशय में गाद भर रहा है. इस कारण फिल्टर किये जाने के बाद भी पानी में हल्का हरापन रहता है. हालांकि, फिल्टर का पानी गुणवत्ता मानक के अनुरूप पाया गया है. इसके इस्तेमाल से किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं है.
गाद भरने से बढ़ रही परेशानी
वर्ष 2015 से पहले गेतलसूद डैम के लेवल 1900 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग में आता था. मई 2015 के बाद 1910 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग में आता था. अप्रैल 2019 के बाद 1914 फीट तक का पानी पेयजल के लिए उपयोग में आ रहा है. इसके नीचे का कच्चा जल काफी दूषित है. इसे पेयजल के लिए सफाई करना संभव नहीं है. तत्काल में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग द्वारा 1914 फीट मानक अनुरूप शहरवासियों को पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है. वहीं, दूसरी तरफ पूर्व में गोंदा डैम से जलापूर्ति के लिए जलाशय के जलस्तर 2107 फीट तक पानी लिया जाता था. वर्तमान में गाद भर जाने की वजह से 2112 फीट तक के पानी को ही पीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. इतने ही पानी की आपूर्ति की जा सकती है.