Jharkhand News: रांची सदर अस्पताल में लोग का इलाज बेहद किफायती दरों पर हो रहा है. यहां लोग पांच रुपये की पर्ची बनवाने के बाद सस्ती दरों पर 237 प्रकार की जांच की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं. निजी लैब में जो जांच 500 रुपये में होती है, उसके लिए सदर अस्पताल में 90 प्रतिशत से भी कम पैसा लगता है. यही वजह है कि न सिर्फ रांची, बल्कि पड़ोसी जिलों से भी मरीज यहां पहुंचते हैं. अस्पताल प्रबंधन ने सभी तरह की पैथोलॉजी जांच को एक प्लेटफार्म पर लाने के लिए सेंट्रल लैब को कई मायने में आधुनिक बनाया है.
यहां सिकल सेल एनीमिया, सीबीसी टेस्ट, किडनी व लिवर फंक्शन टेस्ट, आरएफटी, थायराइड प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल, विटामिन, यूरिया, कंप्लीट हीमोग्राम जैसे पैथोलॉजिकल जांच मामूली फीस लेकर की जा रही है.
सदर अस्पताल की सेंट्रल लैब में महंगे पैथोलॉजी जांचों को भी शामिल किया गया है. पैथोलॉजी स्टाफ डॉक्टर की सलाह पर मरीज से मामूली जानकारियां लेता है. ओपीडी में रजिस्ट्रेशन कराने और बीमारी से संबंधित डॉक्टर से कंसल्टेशन के बाद मरीज उपचार कराने के लिए डीएचएस चार्ज लिस्ट के अनुसार सीधे अपना सैंपल जमा करा सकता है.
रांची सदर अस्पताल के पैथोलॉजी लैब में 94 प्रकार की जांच की सुविधा है. यहां प्रतिदिन 250-450 मरीज (आउटडोर व इनडोर मिलाकर) जांच कराते हैं. कई मरीज एक से अधिक टेस्ट कराते हैं. हर माह औसतन यहां 30 हजार पैथोलॉजी जांच की जाती है. लैब में अत्याधुनिक मशीनों से जांच की सुविधा है.
सदर अस्पताल के लैब में किफायती दर पर जांच की जाती है. वहीं, यहां इएसआर जांच कराने के लिए न्यूनतम रेट पांच रुपये, जबकि इसी टेस्ट के लिए निजी लैब में 100 रुपये लिये जाते हैं. हिमोग्राम के लिए अधिकतम 90 रुपये, जबकि निजी लैब में इसके लिए 500 रुपये लिये जाते हैं.
– अगस्त : 31045
– सितंबर : 36391
– अक्तूबर : 27305
सदर अस्पताल की सेंट्रल लैब में सैंपल जमा करने के सात घंटे बाद ही मरीज को रिपोर्ट दे दी जाती है. अगर सैंपल देने में देर हुई या जांच जटिल है, तो मरीज को अगले दिन रिपोर्ट दे दी जाती है. थैलेसीमिया और सिकलसेल समेत अन्य महत्वपूर्ण जांच के रिपोर्ट की हार्ड कॉपी मरीज को दो दिन बाद पैथोलॉजी लैब से दी जाती है.
सरकारी अस्पतालों को सुदृढ़ करने में स्वास्थ्य विभाग लगातार प्रयासरत है. टेस्ट के लिए जरूरी कैमिकल के लिए ही मामूली शुल्क लिया जाता है. अगर लैब को केमिकल सप्लाई की निरंतरता बनी रहे, तो हम अपने स्किल्ड टीम के साथ और ज्यादा जटिल जांच करने में सक्षम होंगे.
– डॉ बिमलेश सिंह, कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट, सदर अस्पताल, रांची