सदर अस्पताल रांची की खराब हो रही छवि, क्लीन एनर्जी मिशन के तहत बनाया गया था रूफ टॉप सोलर, अब बना कबाड़
रांची के सदर अस्पताल को मॉडल व सुपरस्पेशियलिटी का दर्जा हासिल है, लेकिन क्लीन एनर्जी मिशन के तहत लगाया रूफ टॉप सोलर कबाड़ बन रहा है, इसका उद्देश्य अस्पताल को 24 घंटे निर्बाध बिजली मिले
रांची: रांची सदर अस्पताल को मॉडल व सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल का दर्जा हासिल है, लेकिन बदइंतजामी इसकी छवि बिगाड़ रही है. केंद्र और राज्य सरकार के क्लीन एनर्जी मिशन के तहत चार साल पहले 4.70 करोड़ रुपये की लागत से यहां 180 केवीए का रूफ टॉप सोलर प्लांट लगाया गया था. इसमें 300 से ज्यादा सोलर पैनल हैं. योजना थी कि अस्पताल को 24 घंटे निर्बाध बिजली मिले और इस मद में होनेवाले खर्च को कम किया जाये. फिलहाल, पूरा सोलर सिस्टम बेकार पड़ा हुआ है. संवेदक भी इस मामले में निष्क्रिय है. मेंटेनेंस के अभाव में अस्पताल की छत पर लगे सोलर पैनल कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं.
अस्पताल प्रबंधन की मानें, तो आम दिनों में हर माह करीब चार लाख रुपये का बिजली बिल आता है. गर्मियों में बिल की राशि पांच लाख रुपये से ऊपर चली जाती है. वहीं, जेनरेटर में भी प्रतिमाह औसतन 1.50 लाख रुपये का डीजल लगता है. अस्पताल में 500 हॉर्सपावर का एक जेनसेट है. दिसंबर 2021 में यहां 1700 लीटर डीजल की खपत हुई. करीब चार लाख रुपये की बिजली के साथ ही 1,53,000 रुपये महज डीजल पर फूंक दिये गये.
24 घंटे हो सकती है नॉन स्टॉप सप्लाई :
सदर अस्पताल में इमरजेंसी और टेस्ट आदि से लेकर ऑपरेशन थिएटर में 24 घंटे बिजली की जरूरत होती है. कई बार पावर कट से ऑपरेशन कुछ देर के लिए रोकने की भी नौबत आ जाती है. सदर अस्पताल के रूफ टॉप सोलर प्लांट से 18 लाख वाट बिजली का उत्पादन हो सकता है. वहीं, सदर अस्पताल के रूफ टॉप सोलर पावर प्लांट से उत्पादित होनेवाली अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेचने की भी योजना है. इसके लिए प्लांट में नेट मीटरिंग सिस्टम लगाया जाना है.
यह मीटर जेबीवीएनएल द्वारा उपलब्ध कराया जाना है. नेट मीटरिंग यह एक बिलिंग सिस्टम है. इसके जरिये ग्रिड को भेजी जानेवाली और सदर अस्पताल में खपत होनेवाली बिजली का हिसाब-किताब रखना आसान हो जाता. अगर यह मीटर चार साल पहले लगा दिया जाता, तो 48 महीने में औसतन पांच लाख के हिसाब से अब तक 2.40 करोड़ रुपये की बचत होती.
Posted By : Sameer Oraon