रांची: रांची के सदर अस्पताल की नयी बिल्डिंग करीब 354 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार है. इसे चेन्नई के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल की तर्ज पर बनाया गया है. यहां अत्याधुनिक मशीनें लगी हैं. लेकिन, इन्हें चलाने के लिए स्किल्ड मैनपावर और तकनीकी सपोर्ट नहीं है. इस कारण बिल्डिंग को हैंडओवर भी नहीं लिया जा सका है. वहीं, हाइकोर्ट की ओर से दी गयी 12वीं डेडलाइन भी फेल हो गयी.
अस्पताल को चलाने के लिए स्किल्ड मैन पावर की जरूरत : आइपीएचएच नार्म्स के तहत, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में जैसे उपकरण लगे हैं, उन्हें ऑपरेट करने और सर्विस के लिए स्किल्ड मैनपावर चाहिए. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने पहले देवघर एम्स से सहयोग लेने का प्रयास किया. जब बात नहीं बनी, तो विभाग अपने स्तर से संचालन के प्रयास में जुट गया. स्वास्थ्य विभाग को दो एजेंसियों ने प्रस्ताव दिया है.
विजेता प्रोजेक्ट्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने एनुअल मेंटेनेंस कांट्रैक्ट के तहत 10 करोड़ 73 लाख 45 हजार 895 करोड़ रुपये और दूसरी कंपनी जापान की एबीएस फुजित्सु जनरल प्राइवेट लिमिटेड ने ऑपरेशन व रूटीन मेंटेनेंस कार्य के लिए सात करोड़ 11 लाख रुपये सालाना का ऑपरेशनल पैकेज का प्रस्ताव दिया. अब स्वास्थ्य विभाग असमंजस में है कि सालाना इतनी बड़ी रकम का इंतजाम कैसे किया जाये. इस कारण भी बिल्डिंग हैंडओवर लेने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पा रही है.
वर्ष 2007 में सदर अस्पताल की नयी बिल्डिंग के निर्माण कार्य का शिलान्यास किया गया था. 131.14 करोड़ से 500 बेडवाले सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का निर्माण तीन साल में पूरा होना था. लेकिन, 15 साल बाद भी काम अधर में लटका है. नयी बिल्डिंग के निर्माण का जिम्मा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड नामक कंपनी को मिला था. उसने विजेता प्रोजेक्ट्स एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड नामक कंपनी को निर्माण का जिम्मा दिया. वहीं, जून 2022 में नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड ने झारखंड राज्य भवन निर्माण को पत्र लिख कर बिल्डिंग हैंडओवर लेने का आग्रह किया.
रांची सदर अस्पताल शुरू करने की हाइकोर्ट की 12वीं डेडलाइन भी फेल, अब तक विभाग ने नहीं लिया अपने नियंत्रण में
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सदर अस्पताल के भवन को हैंडओवर लेने की प्रक्रिया चल रही है. विभागीय स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, तिथि तय नहीं हुई है. टीम देखेगी कि कितने हिस्से का निर्माण कार्य पूरा हो गया है और इसे किस तरह से शुरू किया जा सकता है. अगर एनबीसीसी इसे देना चाहती है, तो हस्तांतरण प्रक्रिया जल्द पूरी होगी.
– अरुण कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग