सदर अस्पताल के नये भवन में मरीजों को अब सुपर स्पेशियलिटी सेवाएं मिलने लगेंगी. हालांकि शुरुआत में कुछ विभागों से जुड़े मरीजों को ही इसका लाभ मिलेगा, पर आगे इन सेवाओं का विस्तार किया जायेगा. स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को झारखंड उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर कर बताया है कि भवन को हैंड ओवर ले लिया गया है और नये भवन में सेवाओं का संचालन शुरू किया जा रहा है. इस मामले की हाइकोर्ट में 11 नवंबर को सुनवाई है, विभाग इसके पहले ही नये भवन का संचालन शुरू कर देगा.
500 बेड के इस अस्पताल को शुरू करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टॉफ के साथ ही सिक्योरिटी गार्ड की नियुक्ति का ब्योरा भी दिया गया है. कोर्ट में सुनवाई के पहले इसके संचालन को लेकर विस्तृत शपथपत्र पेश किया जाना था. इसके बाद भवन निर्माण के अभियंता की मौजूदगी में सिविल सर्जन डॉ विनोद कुमार ने औपचारिक रूप से हैंडओवर ग्रहण किया.
इस भवन की निर्माण प्रक्रिया 14 साल से चल रही थी. वर्ष 2007 के अंत में रांची में 500 बेड के इस सदर अस्पताल की आधारशिला तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही ने रखी थी. वर्ष 2012 में ही इसे पूरा होना था. 2016 में ज्योति शर्मा द्वारा पीआइएल करने के बाद अगस्त 2017 में मदर एंड चाइल्ड केयर के रूप में 200 बेड का अस्पताल शुरू हुआ, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी आइसीयू शुरू नहीं हो सका था. सरकार ने हाइकोर्ट में अंडरटेकिंग दिया कि 2018 में शेष 300 बेड का अस्पताल शुरू हो जाएगा, जो नहीं हुआ. इसके बाद 2019 से ही अवमाननावाद का मामला चल रहा है.
अस्पताल में ओटी मैनेमेंट, ग्राउंड वाटर मैनेजमेंट, स्टरलाईजेशन, मैकेनाइज्ड लांड्री, सिवरेज ड्रेनेज सिस्टम, रेफ्रिजरेशन व सेंट्रलाइज एयरकंडीशनिंग आदि सुविधाओं के लिए अत्याधुनिक संयंत्र लगाए गए हैं.
अस्पताल के नवनिर्मित भवन काे संचालित करने के लिए कर्मियों को आउटसोर्स के माध्यम से तीन शिफ्टों में बहाल किया जाना है. फिलहाल मैनपावर नियुक्ति संबंधी मामला रांची एसडीओ के पास जांच के लिए लंबित है और इस पर निर्णय नहीं लिया गया है. कर्मियों की बहाली के बाद अलग से प्रशिक्षण दिया जायेगा.