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नक्सल प्रभावित 5 जिलों में शुरू हुई सहाय योजना, सीएम हेमंत ने बताया ये आईडिया उनके दिमाग में कैसे आया

कल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 5 नक्सल प्रभावित जिलों में सहाय योजना की शुरुआत की. जिसमें उन्होंने कहा कि राज्य अब उग्रवाद नहीं बल्कि खेल की नर्सरी के रूप में जाना जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि इसकी ख्याल उनके दिमाग में कैसे आया.

रांची : नक्सल प्रभावित पांच जिलों के लिए स्पोर्ट्स एक्शन टूवार्ड्स हार्नेसिंग एस्पेरेशन ऑफ यूथ (सहाय) योजना की शुरुआत बुधवार को चाईबासा के एसोसिएशन मैदान से हुई. योजना का शुभारंभ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने फुटबॉल को किक मारकर किया. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड अब उग्रवाद की नर्सरी नहीं, बल्कि खेल की नर्सरी के रूप में जाना जायेगा.

उन्होंने इस पहल के माध्यम से नक्सल क्षेत्र के नौजवानों से अपील करते हुए कहा कि वह खेल के लिए आगे आयें. इससे पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेशनल एथलीट सोनिया तिरिया, संजीव बानरा और हीरामुनी तिर्की के हाथों में मशाल थमा प्रतियोगिता की शुरुआत की. योजना के जरिये प्रथम चरण में नक्सल प्रभावित चाईबासा, सरायकेला-खरसावां, खूंटी, गुमला एवं सिमडेगा के 14 से 19 वर्ष तक के 72 हजार युवक-युवतियों को खेल के क्षेत्र में अपना हुनर दिखाने का अवसर मिलेगा.

खनिज जंगल में है, पर यहां से आइएएस, आइपीएस, डाॅक्टर, इंजीनियर कितने बने :

श्री सोरेन ने कहा कि खनिज को लेकर झारखंड की 100 सालों से पहचान है. इससे इन क्षेत्रों को क्या मिला. उन्होंने सवाल उठाया- जंगल से कितने आइएएस, आइपीएस, डॉक्टर और इंजीनियर बनें. हम जहां थे, वहीं खड़े हैं. खेल में झारखंड के बच्चे देश में अच्छा कर रहे हैं. खिलाड़ी मेडल लेकर आ रहे थे और कहीं बर्तन मांज रहे थे, रेजा, कुली व मजदूरी का काम कर रहे थे. अब खिलाड़ियों को सीधे नौकरी दी जा रही है.

सहाय योजना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का है ड्रीम प्रोजेक्ट

सहाय योजना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का ड्रीम प्रोजेक्ट है और इसका विचार उन्हें आठ-नौ माह पहले एक हवाई सफर के दौरान आया था. सीएम ने बताया कि वर्षों से हमारा कुछ क्षेत्र उग्रवाद प्रभावित रहा है. लोगों ने डरावना माहौल बनाया, लेकिन मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ.

यह एक अनोखी योजना है, जो उग्रवाद प्रभावित जिलों की तस्वीर बदल देगी. पंचायत से लेकर राज्य स्तर तक खेल प्रतिभाओं का चयन होगा. हम खेल के दम पर झारखंड की तसवीर बदल देंगे. जहां नक्सलियों की गोलियां गूंजती थी, वहां अब खिलाड़ियों और पर्यटकों के ठहाके गूंजेंगे.

Posted By : Sameer Oraon

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