साहिबगंज अवैध खनन मामला : झारखंड सीएम हेमंत सोरेन से ईडी की पूछताछ, अटकलों में अजब-गजब के दावे

कयासवीरों के अनुसार, जांच एजेंसी को यह साबित करना है कि झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने अवैध खनन मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत संवैधानिक पद पर रहते हुए मनी लॉन्ड्रिंग कानून का उल्लंघन किया है.

By KumarVishwat Sen | November 18, 2022 6:29 AM
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रांची : साहिबगंज अवैध खनन मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार 17 नवंबर 2022 की दोपहर करीब 12.30 से झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से पूछताछ शुरू कर दिया है. हालांकि, गुरुवार को करीब 10 घंटे से अधिक समय तक उनसे पूछताछत चली. झारखंड की राजधानी रांची के हिनू स्थित प्रवर्तन निदेशालय के क्षेत्रीय कार्यालय में उनसे करीब साढ़े आठ घंटे तक पूछताछ की गई. जिस समय से सीएम हेमंत सोरेन की पूछताछ की खबर रांची में फैली, अजग-गजब की अटकलों का बाजार गर्म हो गया. गुरुवार की सुबह 10 बजे के बाद सीएम हेमंत सोरेन द्वारा मीडिया के संबोधन के बाद प्रवर्तन निदेशालय के आसपास एकत्र कई लोगों ने कयास लगाना शुरू कर दिया कि अवैध खनन मामला दोनों के लिए चुनौती है.

दोनों के लिए मामला चुनौतीपूर्ण

कयासवीरों के अनुसार, जांच एजेंसी को यह साबित करना है कि झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने अवैध खनन मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत संवैधानिक पद पर रहते हुए मनी लॉन्ड्रिंग कानून का उल्लंघन किया है. वहीं, कुछ लोगों ने इस बात को लेकर भी कयास लगाए कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भी प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ के दौरान यह साबित करना होगा कि साहिबगंज अवैध खनन मामले में वह निर्दोष हैं और इस मामले में उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस नहीं बनता. इसलिए, यह मामला दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण है.

हेमंत ने लांघी लक्ष्मण रेखा

इसके साथ ही, एक अन्य अटकलबाज ने तो यहां तक कह दिया कि ईडी कार्यालय पहुंचकर सीएम हेमंत सोरेन ने लक्ष्मण रेखा लांघ दी है. ऐसा करने से उनकी व्यक्तिगत और दलगत राजनीति पर गहरा असर पड़ेगा. जबकि, कुछ अन्य लोगों ने यूपीए के घटक दल आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस समेत कई पार्टियों का हवाला देते हुए कहा कि ईडी कार्यालय में पहुंचकर सीएम हेमंत सोरेन ने राष्ट्रीय और राज्यस्तरीय राजनीति में एक नई पहचान बनाई.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

वहीं, हेमंत सोरेन मामले पर झारखंड हाईकोर्ट के अधिवक्ता आलोक आनंद कहते हैं कि कोई भी आरोप पीएमएलए के तहत तब तक मनी लॉन्ड्रिंग का मामला नहीं बनता, जब तक प्रवर्तन निदेशालय यह साबित नहीं कर देता कि आरोपी ने जिस किसी भी अवैध साधन से जो संपत्ति अर्जित किया है, वह उस संपत्ति को पैरेलल इकोनॉमी में खपाने के प्रयास किए हैं. यानी कालेधन को सफेद बनाने की कोशिश की हो. इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि जहां तक झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पूछताछ का मामला है, तो यह अभी शुरुआती दौर में है और इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करना उचित नहीं होगा.

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