रांची में सैयां भए कोतवाल नाटक का मंचन, कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति से मोहा मन
रांची के अशोक नगर क्लब के सभागार में सैयां भए कोतवाल नाटक का मंचन किया गया. शानदार प्रस्तुति से कलाकारों ने लोगों का मन मोह लिया.
रांची: रांची की प्रसिद्ध नाट्य संस्था एक्स्पोजर की ओर से अशोक नगर क्लब के सौजन्य से सैयां भए कोतवाल नाटक का मंचन अशोक नगर क्लब के सभागार में किया गया. मुख्य अतिथि झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार भी रंगमंच के प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिबद्ध है. यह एक कठिन विधा है. इस विधा में सभी कलाओं का समावेश होता है और इसे निश्चित रूप से संरक्षित किया जाना चाहिए. नाटक की प्रस्तुति प्रसार फाउंडेशन के सहयोग से की गयी.
रंगमंच के उत्थान के लिए की गयी नयी शुरुआत
वरिष्ठ रंगकर्मी एवं अशोक नगर क्लब के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ विनोद कुमार ने कार्यक्रम की शुरुआत की. अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि रंगमंच को यदि संरक्षण नहीं दिया जाए तो यह मृतप्राय होती चली जाएगी. यही वजह है कि अशोक नगर क्लब में रंगमंच के उत्थान के लिए इसकी शुरुआत की गई है.
कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति से मोहा मन
नाटक की परिकल्पना एवं निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के एलुमनी संजय लाल ने किया. नाटक में कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुति से सब का मन मोह लिया और खूब तालियां बटोरीं. संगीत निर्देशन राज्य के शास्त्रीय संगीतज्ञ रथीन मुखर्जी का था. खूबसूरत वस्त्र विन्यास सुनीता लाल ने डिजाइन किया जबकि नृत्य की परिकल्पना दिव्या गुप्ता ने की. जबकि म्यूजिक ऑपरेशन अवनीश पाठक, मेकअप विपिन ठाकुर, गीत संगीत और नृत्य से ओतप्रोत यह नाटक व्यंग्यात्मक तरीके से नाटक एक भ्रष्ट अधिकारी के कुकृत्यों को दर्शकों के समक्ष मनोरंजक तरीके से लेकर आया. हास्य व्यंग्य से भरपूर नाटक को देखने के लिए बड़ी संख्या में अशोकनगर क्लब के सदस्य पहुंचे. नाटक के जरिए कलाकारों ने भ्रष्टाचार की असलियत सामने रख दी.
नाटक में क्या है खास?
नाटक की शुरुआत गणेश वंदना से होती है और फिर राज दरबार में जहां राजा यह निर्णय लेता है कि वह शिकार खेलने जंगल जाएगा. इसी बीच कोतवाल की मृत्यु हो जाती है. राजा राज्यप्रधान से कहता है कि वह किसी योग्य व्यक्ति को कोतवाल के पद पर नियुक्त करें, लेकिन प्रधान अपने अयोग्य साले को इस प्रतिष्ठित पद पर नियुक्त कर देता है, जबकि यह पद हवलदार को पदोन्नति के बाद मिलना चाहिए था. हवलदार दुखी होकर अपनी प्रेमिका मैनावती के साथ मिलकर कोतवाल को अपने बनाए हुए जाल में फंसाने की योजना बनाता है. कोतवाल मैनावती के नृत्य और संगीत से आकर्षित होकर राजा की बहुमूल्य चीज की चोरी कर मैनावती को उपहार स्वरूप दे देता है. जब राजा को इस चोरी का पता नहीं चलता है तो हवलदार सिपाही और मैनावती के साथ मिलकर कोतवाल से राजा की छपरी पलंग की चोरी कराने लेने की योजना बनाता है. कोतवाल मैनावती से शादी करने के लिए लालसा में राजा का छपरी पलंग चोरी करवा देता है. जब राजा को इस चोरी का पता चलता है तो गुस्से में आ जाता है. हवलदार राजा को कहता है कि आपका छपरी पलंग की चोरी का राज खुल जाएगा. आप ब्राह्मण के वेश में कल कोतवाल की शादी के मंडप पर आ जाएं. तो राजा राजी हो जाता है. शादी के मंडप पर मैनावती अपनी जगह अपनी किन्नर दासी सख्या को भेज देती है. कोतवाल शादी से खुश होकर राजा को अपनी चोरी का सारा राज बता देता है. राजा कोतवाल को सजा देता है और हवलदार को कोतवाल के पद पर नियुक्त कर देता है.
संगीत, नृत्य और संवादों से कलाकारों ने किया रोमांचित
नाटक में कलाकार ने अभिनय संगीत नृत्य तथा संवादों के जरिए लोगों को रोमांचित कर दिया. कोतवाल की भूमिका में श्वेतांग सागर ने अपनी भाव भंगिमा से सबको मोहित कर लिया. राजा की भूमिका में रोशन प्रकाश ने अपने चरित्र के साथ न्याय किया. शिवांग चौबे और तुषार सोनी ने हवलदार और सिपाही की भूमिका में दर्शकों का मन गुदगुदाया. दिव्या गुप्ता अपने नृत्य और संगीत से सब को लुभाया. किन्नर की भूमिका में बादल कुम्हार को लोगों ने पसंद किया. रतन तिग्गा ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों की वाहवाही लूटी तो वहीं दूसरी ओर स्वेता भारती, सोनिया मिश्रा, प्रीति सोरेन, एस्थर कुजूर और सोनिया ने अपने कथा गायन एवं नृत्य से दर्शकों का मन मोह लिया.
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