वित्तीय साक्षरता केंद्र काउंसलर: ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बदलाव ला रहीं सखी मंडल की दीदियां, बन रही पहचान
एफएलसीसी आमतौर पर सेवानिवृत्त बैंकिंग अधिकारी होते हैं. झारखंड में पहली बार झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक और जेएसएलपीएस के सहयोग से सखी मंडल की सदस्यों को एफएलसीसी के रूप में काम करने का मौका मिल रहा है. बैंकिंग सेवा को ग्रामीणों तक पंहुचाने की यह एक अभिनव पहल है.
Jharkhand News: ग्रामीण झारखंड की तस्वीर बदलती नजर आ रही है. अब ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में सखी मंडल की माहिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं. ग्रामीणों को बैंकिंग से जुड़ी तकनीक की जानकारी देने एवं जागरूक करने के लिए झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक और जेएसएलपीएस की संयुक्त पहल से सखी मंडल की चयनित महिलाओं को एफएलसीसी (वित्तीय साक्षरता केंद्र काउंसलर) के रूप में तैयार किया गया है. एफएलसीसी आमतौर पर सेवानिवृत्त बैंकिंग अधिकारी होते हैं. झारखंड में पहली बार झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक और जेएसएलपीएस के सहयोग से सखी मंडल की सदस्यों को एफएलसीसी के रूप में काम करने का मौका मिल रहा है. बैंकिंग सेवा को ग्रामीणों तक पंहुचाने की यह एक अभिनव पहल है.
पूरी प्रक्रिया के तहत किया जाता है एफएलसीसी का चयन
समूह के सदस्य, जो बैंक सखी का काम कर चुकी हैं (बैंक सखी एक प्रशिक्षित एसएचजी सदस्य हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को बैंक लिंकेज फॉर्म भरने, एसएचजी बचत खाता खोलने, व्यक्तिगत बचत खाता, बैंकों में लेनदेन करने और बैंकों से संबंधित किसी भी अन्य सेवा जैसे बैंकिंग लेनदेन करने में सहायता करती हैं) जिनके पास स्नातक की डिग्री है और जिन्हें स्थानीय भाषा में पढ़ना, लिखना, बोलना और समझना आता हो. इन महिलाओं का चयन एफएलसीसी के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के आधार पर होता है.
बिरानी के जीवन में समूह के साथ से आया बदलाव
बिरानी टूटी, झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक के खूंटी शाखा में वित्तीय साक्षरता केंद्र काउंसलर (एफएलसीसी) हैं. खूंटी के मुरहू प्रखंड की सुरंडा गांव की बिरानी, एफएलसीसी के तौर पर वित्तीय साक्षरता शिविर द्वारा बैंक खाता खोलने, बीमा योजनाएं और व्यवसाय करने के लिए संयुक्त या व्यक्तिगत ऋण जैसी सुविधाएं प्रदान करती हैं. बिरानी ग्रामीणों को बैंकों द्वारा उपलब्ध विभिन्न वित्तीय उत्पादों की जानकारी देती हैं, जिससे उनकी खुद की भी आजीविका चल रही है. आज बिरानी की मासिक आमदनी 15,000 रुपए है.
बिरानी की जिंदगी में आया ऐसे बदलाव
बिरानी ने सखी मंडल से जुड़ने के बाद चार वर्षों तक बैंक सखी के रूप में काम किया, जहां वित्तीय ज्ञान और विभिन्न बैंकिंग सेवाओं की जानकारी प्राप्त की. बिरानी अन्य बैंक सखियों को भी प्रशिक्षण देती थीं और प्रति माह लगभग 8,000 रुपये तक की आमदनी कर लेती थीं. झारखंड राज्य ग्रामीण बैंक द्वारा आयोजित लिखित परीक्षा और साक्षात्कार में उत्तीर्ण होने के बाद बिरानी का चुनाव एफएलसीसी के लिए हुआ. एफएलसीसी के रूप में कार्य करते हुए आज वह विभिन्न गांवों में प्रति माह 7 से 10 शिविर का आयोजन कर रही हैं. शिविर में वह वरिष्ठ नागरिकों और स्कूली बच्चों सहित अन्य ग्रामीणों को विभिन्न वित्तीय सेवाएं एवं जानकारियां प्रदान करती हैं. एक कैंप में औसतन बिरानी 40 से 50 लोगों का बीमा भी करती हैं.
आज है अपनी पहचान
बिरानी बताती हैं कि अब मेरी अपनी पहचान है. समूह में शामिल होने से पहले मैं अपनी मां के साथ घास काटा करती थी. हालांकि, मेरे पास स्नातक की डिग्री थी, लेकिन, तब डिग्री होने के बावजूद डिग्री लायक कोई काम नहीं था, लेकिन एफएलसीसी के तौर पर कार्य कर आज मेरी अपनी पहचान बनी है साथ ही आमदनी सुनिश्चित हो रही है.
बिरानी की तरह पलानी गांव की रहने वाली अनीता
रामगढ़ की अनीता कुमारी एक साल से एफएलसीसी के तौर पर काम कर रही हैं. वह कहती हैं कि मुझे अपना काम करने में बहुत मज़ा आता है. मुझे लोगों की मदद करना और वित्तीय उत्पादों के बारे में जागरूकता बढ़ाना अच्छा लगता है. मैंने खुद भी सभी बीमा योजनाएं ली हैं. एक कैंप में मैं औसतन 40-45 लोगों का बीमा करती हूं. लोग मेरे पास वित्त संबंधी सुझाव लेने आते हैं. मैंने अपनी खुद की पहचान बनाई है और महीने के 15,000 रुपये की आमदनी कर रही हूं. वित्तीय साक्षरता केंद्र काउंसलर की पहल से जहां एक तरफ कार्यरत एफएलसीसी अपनी आजीविका सुनिश्चित कर रही हैं, वहीं ग्रामीणों को भी बैंकिंग सेवाओं का लाभ लेना आसान हुआ है. खूंटी के जेआरजीबी मुख्य प्रबंधक एके प्रसाद ने बताया कि एसएचजी सदस्यों की स्थानीय भाषा में अच्छी पकड़ है, जो लोगों को विभिन्न वित्तीय सेवा को समझाने में मदद करती हैं. एफएलसीसी के रूप में एसएचजी सदस्य, वित्तीय सेवा को बढ़ावा देने, आवश्यकताओं को समझने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लोकप्रिय बनाने के लिए एक अच्छा विकल्प है.
12 एफएलसीसी है कार्यरत
एफएलसीसी के रूप में एसएचजी सदस्य ग्रामीणों को लाभान्वित कर रही हैं. झारखंड के 12 अलग-अलग जिलों देवघर, गिरिडीह, कोडरमा, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां, खूंटी, धनबाद और गुमला में कुल 12 एफएलसीसी कार्यरत हैं. समूह की महिलाओं के अच्छे कार्य ने जेआरजीबी को एफएलसीसी के रूप में अधिक एसएचजी सदस्यों की भर्ती के लिए प्रोत्साहित किया है. वे ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय उत्पादों पर बहुत कुशलता से जागरूकता बढ़ाती हैं और बैंक व्यवसाय बढ़ाने और ग्रामीण लोगों के बीच वित्तीय जागरूकता बढ़ाने के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति कर रही हैं.