भुरकुंडा में बन रही है राज्य की सबसे बड़ी सखुआ की नर्सरी

पर्यावरण संरक्षण को लेकर पतरातू प्रखंड की भुरकुंडा पंचायत में वन विभाग की बड़ी परियोजना शुरू हो गयी है. यहां करीब नौ एकड़ जमीन में साल (सखुआ) की नर्सरी स्थापित की जा रही है.

By Prabhat Khabar News Desk | May 27, 2024 12:35 AM
an image

कुमार आलोक(भुरकुंडा).

पर्यावरण संरक्षण को लेकर पतरातू प्रखंड की भुरकुंडा पंचायत में वन विभाग की बड़ी परियोजना शुरू हो गयी है. यहां करीब नौ एकड़ जमीन में साल (सखुआ) की नर्सरी स्थापित की जा रही है. पहले फेज में तीन एकड़ में काम चल रहा है. भूमि समतलीकरण, ट्रेंच कटिंग व घेराबंदी का काम पूरा हो चुका है. जून से नर्सरी में पौधे को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी. मार्च में साल का बीज डाल कर पौधा उगाया जायेगा. जून में पौधों की बिक्री शुरू हो जायेगी. नर्सरी से करीब 50 हजार साल के पौधे बेचने का लक्ष्य रखा गया है. जहां नर्सरी का निर्माण हो रहा है, वहां पार्क भी बनेगा. लोगों के सैर-सपाटे की भी व्यवस्था होगी. नर्सरी का निर्माण भुरकुंडा पावर हाउस से लेकर लोकल सेल डीपो तक की सीसीएल की बेकार पड़ी जमीन पर हो रहा है. इस मेगा प्रोजेक्ट के पूरा होने में करीब तीन साल लगेंगे.

40 एकड़ में चल रहा वाटिका बनाने का काम :

नर्सरी के पास ही बलकुदरा ओबी डंपिंग पहाड़ के ऊपर 40 एकड़ में कायाकल्प वाटिका तैयार की जा रही है. इस योजना को भी करीब तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य है. जमीन समतलीकरण व वाटिका निर्माण की तैयारियां चल रही हैं. जल्द ही यहां पौधे लगाये जायेंगे.

पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं साल के पेड़ :

झारखंड की मिट्टी व जलवायु साल के पेड़ों के लिए अनुकूल है. साल या सखुआ का पेड़ पर्यावरण के लिए फायदेमंद होता है. यह एक मजबूत व उपयोगी इमारती लकड़ी है. इसका उपयोग पूरी दुनिया में दरवाजे, खिड़की के पल्ले, नाव इत्यादि बनाने में होता है. इतना ही नहीं रेलवे के स्लीपर बनाने में भी इसका उपयोग होता है. झारखंड के वन क्षेत्रों में रहनेवाली बड़ी आबादी जीविकोपार्जन के लिए भी साल वृक्ष पर निर्भर करती है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version