आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा कि प्रकृतिपूजक आदिवासियों लिए सरना धर्म कोड नहीं देना, उन्हें हिंदू, मुसलमान, ईसाई बनने- बनाने के लिए मजबूर करना है. मुर्मू शनिवार को विधानसभा अतिथि गृह में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि सरना धर्म कोड की मान्यता देश के लगभग 15 करोड़ प्रकृति पूजक आदिवासियों के अस्तित्व, पहचान, हिस्सेदारी के लिए अहम है. यह संवैधानिक मौलिक अधिकार भी है. 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 50 लाख आदिवासियों ने सरना धर्म लिखा था, जबकि मान्यता प्राप्त 44 लाख जैनों ने लिखा. तब भी सरना धर्म कोड की मान्यता नहीं देना भारत के आदिवासियों को उनकी धार्मिक आजादी से वंचित करना है. जबरन हिंदू, मुसलमान, ईसाई बनने- बनाने के लिए मजबूर करना है.
आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को सर्वोच्च संवैधानिक पद राष्ट्रपति बनानेवाली बीजेपी के पास एक सुनहरा अवसर सरना धर्म कोड देकर भारत के आदिवासियों को अपने साथ जोड़ लेने का है. इसका प्रचंड प्रभाव झारखंड, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, असम, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे बड़े प्रदेशों में पड़ेगा. जब हिंदू के इर्द-गिर्द सिख, जैन, बौद्ध रह सकते हैं, तो सरना क्यों नहीं ? उन्होंने कहा कि भाजपा के साथी सुदेश महतो की आजसू पार्टी द्वारा सरना धर्म कोड का समर्थन स्वागत योग्य है, जबकि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा का सरना धर्म कोड विरोधी बयान निंदनीय, बेतुका और भ्रामक है.
सरना धर्म कोड को लेकर सभा आठ को
आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा आठ नवंबर को मोरहाबादी मैदान में सरना धर्म कोड जनसभा का आयोजन किया गया है, जिसमें देश-विदेश से लाखों आदिवासी शामिल हाेंगे. इसमें विशिष्ट अतिथि सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा, सुदेश महतो (आजसू) व असम से आदिवासी विकास काउंसिल के चेयरमैन असीम हांसदा आमंत्रित रहेंगे. इनके अलावे सरना धर्म कोड आंदोलन के समर्थक लगभग 100 अन्य व्यक्तियों को सम्मानित किया जायेगा, जो विभिन्न राज्यों और आदिवासी उप जातियों से होंगे. यह जानकारी सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने दी है.
Also Read: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कल देंगे शिक्षकों को नियुक्ति पत्र, लॉन्च करेंगे जे गुरुजी ऐप