रांची : भारत सरकार ने समग्र शिक्षा अभियान के तहत दी जानेवाली राशि के आवंटन और खर्च की प्रक्रिया में बदलाव किया है. इसके तहत पहले स्कूलों में काम होगा और उसके बाद बिल पास होने पर राशि का भुगतान होगा. इस फॉर्मूला के तहत हेडमास्टर साहब को पहले सामान खरीदना होगा या निर्माण कार्य कराना होगा. इसके बाद उनका बिल पास होगा, फिर तब जाकर राशि का भुगतान किया जायेगा.
नयी प्रक्रिया शुरू होने के बाद प्रधानाध्यापक ऐसे दुकानदार और ठेकेदार को खोज रहे हैं, जो पहले बिना पैसा का उन्हें सामान दे या ठेकेदार उनका काम कर दे. ताकि बिल पास होने के बाद वह दुकानदार-ठेकेदार को राशि का भुगतान कर सकें. नयी प्रणाली में स्कूल द्वारा संबंधित राशि के व्यय से संबंधित बिल पोर्टल पर अपलोड करना होता है. उसकी हार्ड कॉपी प्रखंड संसाधन केंद्र में जमा करते हैं, फिर प्रखंड संसाधन केंद्र में बीआरसी द्वारा उस बिल की जांच की जाती है.
बिल के साथ काम करनेवाली एजेंसी या व्यक्ति की पूरी जानकारी देनी होती है. राशि का भुगतान संबंधित व्यक्ति एवं एजेंसी के बैंक खाते में किया जाता है. ऐसे में अगर प्रधानाध्यापक अपनी राशि लगाकर काम कराते हैं, तो उन्हें उस व्यक्ति या एजेंसी से राशि मांगनी होगी.
समग्र शिक्षा अभियान में अब पहले काम-फिर भुगतान का फॉर्मूला लागू
विद्यालय विकास अनुदान के लिए मिले 136 करोड़, नहीं हो रहा खर्च
विद्यालय में साफ-सफाई के लिए मजदूरी देना, शौचालय की सफाई, झाड़ू, चाक, डस्टर, रजिस्टर, स्कूल में होनेवाले कार्यक्रम, मध्याह्न भोजन का चावल उठाव, मध्याह्न भोजन के लिए सब्जी,तेल, मसाला क्रय करने जैसे कार्य भी होते हैं. इन कार्यों के लिए तत्काल राशि की आवश्यकता होती है. प्रधानाध्यापकों का कहना है कि कोई व्यक्ति मजदूरी करके 15 दिनों तक बिल पास होने का इंतजार नहीं कर सकता है. ऐसे में उन्हें अपने स्तर से ही राशि देनी पड़ती है.
पहले विद्यालयों को राशि उपलब्ध करा दी जाती थी. राशि विद्यालय प्रबंध समिति के बैंक खाते में जमा रहती थी. प्रधानाध्यापक आवश्यकता अनुरूप राशि खर्च करते थे और इस का उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा करते थे.
वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए राज्य के स्कूलों को विद्यालय विकास अनुदान के मद में 136 करोड़ रुपये दिये गये हैं. स्कूलों द्वारा अब तक काफी कम राशि खर्च की गयी है.
Posted By : Sameer Oraon