रांची: राज्य में पिछले चार वर्षों से बालू घाटों की बंदोबस्ती लंबित है. इनमें ढाई वर्ष हेमंत सोरेन के कार्यकाल के हैं. इन ढाई वर्षों में केवल एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मंगा कर माइंस डेवलपर ऑपरेटर (एमडीओ) की नियुक्ति की जा सकी है. ऐसे में आनेवाले समय में राज्य में बालू संकट की स्थिति उत्पन्न हो जायेगी. गौरतलब है कि कैटेगरी दो के सभी बालू घाटों का संचालन जेएसएमडीसी को करना है.
यह तत्कालीन रघुवर दास की सरकार ने तय किया था. कैटेगरी दो में राज्य के 608 बालू घाट चिह्नित हैं. वर्तमान सरकार ने सितंबर 2021 में बालू घाटों की बंदोबस्ती के लिए टेंडर निकाला, पर यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. इधर, पंचायत चुनाव को लेकर राज्य में आचार संहित लग गयी. उम्मीद की जा रही थी कि जून में निविदा प्रक्रिया पूरी हो जायेगी, पर एनजीटी ने 14 जुलाई तक बंदोबस्ती पर रोक लगा दी है.
दूसरी ओर 10 जून से 15 अक्तूबर तक मॉनसून की वजह से घाटों से बालू के उठाव पर रोक लग जाती है. खान विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बंदोबस्ती नहीं होने की वजह से स्टॉकिस्ट भी बालू जमा करके नहीं रख सकते. ऐसे में मॉनसून में बालू की कमी की हो सकती है. इधर, पूर्व से ही बालू की कालाबाजारी जारी है. फिलहाल राज्य में सिर्फ 18 घाटों से वैध रूप से बालू का उठाव हो रहा है.
इधर, झारखंड में नौ खनिज ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया भी ढाई वर्षों में पूरी नहीं हो सकी है. 27 जनवरी 2022 से नीलामी प्रक्रिया खान विभाग द्वारा शुरू की गयी. इनमें रेवा रातू ग्रेफाइट खनिज ब्लॉक (27.78 हेक्टेयर) पलामू, चीरोपाट बॉक्साइट खनिज ब्लॉक (63.00 हेक्टेयर) लोहरदगा एवं गुमला, चूरी लाइम स्टोन खनिज ब्लॉक (27.52 हेक्टेयर) रांची, लोधापाट बॉक्साइट खनिज ब्लॉक (0.752 हेक्टेयर) गुमला, हरिहरपुर लेम बीचा लाइम स्टोन ब्लॉक-1(179.97, रामगढ़, हरिहरपुर लेम बीचा लाइम स्टोन ब्लॉक-2(373.24 हेक्टेयर) रामगढ़, मेरालगड़ा लौह अयस्क ब्लॉक (115.220 हेक्टेयर) पश्चिमी सिंहभूम, घाटकुरी लौह अयस्क ब्लॉक-1 (149.73 हेक्टेयर) व पश्चिमी सिंहभूम घाटकुरी लौह अयस्क खनिज ब्लॉक-2(138.84 हेक्टेयर) पश्चिमी सिंहभूम शामिल है.
Posted By: Sameer Oraon