दुमका, आदित्य पत्रलेख. ऑल इंडिया रेडियो पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय कार्यक्रम ‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड (Mann Ki Baat 100 Episode) रविवार (30 अप्रैल 2023) को प्रसारित होगा. इसके लिए देश भर में विशेष आयोजन किये गये हैं. भारतीय जनता पार्टी ने 81 विधानसभा क्षेत्रों में 8100 जगहों पर ‘मन की बात’ सुनने का कार्यक्रम तैयार किया है. कई विशेष आयोजन भी हो रहे हैं. झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के साथ कुछ खास लोगों को राजभवन में ‘मन की बात’ सुनने का मौका मिलेगा. ऐसे ही एक शख्स हैं दुमका जिले के इनोवोटिव टीचर सपन कुमार पत्रलेख.
वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में दुमका जिले के जरमुंडी ब्लॉक में स्थित एक छोटे से गांव डुमरथर में बच्चों की स्कूलिंग बंद नहीं होने दी. कोरोना संकट के दौरान भी गांव के बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकी. बिना किसी स्मार्टफोन के बच्चों ने पढ़ाई की. ब्लैकबोर्ड पर. हर बच्चे का अपना ब्लैकबोर्ड था. बता दें कि राजधानी नयी दिल्ली में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से एक सप्ताह तक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इसके तहत देश की राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में ‘राष्ट्रीय कॉन्क्लेव : मन की बात @100’ में सपन पत्रलेख ने अपने अनुभव और विचार रखे. इसमें देश के 100 विशिष्ट लोगों को बुलाया गया था, जिसमें झारखंड के सपन संभवत: एकमात्र शिक्षक हैं.
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डॉ सपन देश की उन शख्सियतों में शामिल हैं, जिनकी चर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में किया. सपन पत्रलेख ने प्रभात खबर से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि वह महात्मा गांधी से प्रभावित हैं और गांवों को सशक्त बनाने के उनके सपने को पूरा करने में अपनी छोटी सी भूमिका निभाना चाहते हैं. सपन पत्रलेख ने इस सम्मान को जरमुंडी ब्लॉक के डुमरथर गांव के लोगों और स्कूल में पढ़ रहे छोटे-छोटे बच्चों के साथ-साथ झारखंड को समर्पित किया है. अपने अनुभव शेयर करते हुए सपन पत्रलेख भावुक हो गये. कहा कि प्रधानमंत्री की ओर से उन्हें जो सम्मान मिला है, वह झारखंड के सभी लोगों के साथ राज्य के सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियो का सम्मान है.
उन्होंने कहा कि वह एक ऐसे दुर्गम सुदूर ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं, जहां पहुंचना काफी कठिन है. यह आदिवासी बहुल इलाका है, लेकिन यह ऐसा क्षेत्र है, जहां 99 प्रतिशत से अधिक ऐसे लोग हैं, जिन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई नहीं की है. अधिकांश लोगो ने कॉपी-कलम को कभी हाथ नहीं लगाया. इस क्षेत्र के आदिवासियों के लिए दुमका ही उनकी दुनिया है. दुनिया का सबसे बड़ा शहर दुमका ही होता था. वे दिल्ली, जापान, अमेरिका को नहीं जानते थे. यहां तक कि रांची के बारे में भी उन्हें कुछ नहीं मालूम था. अब हालात बदल रहे हैं. बच्चे देश-विदेश के शहरों के बारे में जानने लगे हैं. अपने माता-पिता, दादा-दादी को गांव की दीवारों पर बने ब्लैकबोर्ड पर पढ़ा रहे हैं.
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सपन पत्रलेख कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक भारत श्रेष्ठ भारत एवं बापू के सपनों का ग्राम स्वराज बनाने का प्रयास कर रहे हैं. गांव के बच्चे और बड़े सभी उनकी मदद कर रहे हैं. पड़ोसी राज्यों में उनके ब्लैकबोर्ड मॉडल को अपनाया गया. यही उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान है. उन्होंने बताया कि कोविड के समय की बात हो या कोविड के बाद की, कठिन परिस्थिति में ब्लैकबोर्ड बाजार से नहीं खरीदा. आपसी सहयोग से सभी ने मिलकर प्राकृतिक संसाधनों से गांव की दीवारों को ही ब्लैकबोर्ड में तब्दील कर दिया.
डस्टर, झाड़ू, चटाई और अन्य जरूरत की चीजों का निर्माण गांव में ही किया गया. यही तो बापू के सपनों का ग्राम स्वराज है. स्वालंबन है. आज हमारे विद्यालय के बच्चे अमेरिका, जापान को भी जानते हैं, रांची और दिल्ली को भी जानते हैं. उन्होंने कहा कि वह एक अत्यंत पिछड़े क्षेत्र के शिक्षक हैं, जहां शिक्षा की रोशनी जलाने का प्रयास अब तेज हो गया है. ज्ञात हो कि कोरोना काल में लॉकडाउन के समय सपन कुमार पत्रलेख ने समाज एवं बच्चों के सहयोग से गांव की सभी दीवारों पर ब्लैक बोर्ड बनाकर किताब के पाठ लिखे, उन पर चित्र बनाकर बच्चों को पढ़ाना जारी रखा.
प्रभात खबर ने जब उनके कार्यों की रिपोर्ट छापी, तो वह देश भर में मशहूर हो गये. उनके काम की चर्चा प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में की. नयी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित ‘राष्ट्रीय कॉन्क्लेव : मन की बात @ 100’ का उद्घाटन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किया. कार्यक्रम में इस मौके पर सूचना प्रसारण इस मौके पर सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, किरण बेदी, आमिर खान, रवीना टंडन समेत विभिन्न प्रदेशों के 100 विशेष अतिथि शामिल हुए. इस मौके पर कॉफी टेबल बुक, डाक टिकट एवं सिक्का जारी किया गया. 30 अप्रैल को मन की बात के 100वें एपिसोड के प्रसारण के दौरान सपन पत्रलेख रांची स्थित राजभवन में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होंगे. यहां राज्यपाल उनका सम्मान भी करेंगे.