जमीन पर नहीं, कागजों में हो रहा पौधरोपण

जमीनी हकीकत टटोलने नहीं जाते हैं नगर निगम के अधिकारी. सताने लगी गर्मी तो लोगों को आयी पर्यावरण संरक्षण की याद.

By Prabhat Khabar News Desk | June 1, 2024 11:41 PM

उत्तम महतो, रांची. राजधानी रांची समेत पूरे राज्य के लोग इन दिनों भीषण गर्मी से परेशान हैं. गर्मी और लू से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है. ऐसे में लोगों को पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति की याद आ रही है. लोग ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की बात कर रहे हैं. इधर, शहर में हरियाली कैसे बची रहे और आम लोग अधिक से अधिक पेड़ लगा कर कैसे उसे संरक्षित रखें, इसे देखने की जिम्मेदारी रांची नगर निगम की है. लेकिन, निगम के अधिकारियों को फुरसत ही नहीं है कि वह स्पॉट पर जाकर देखे कि पेड़ सही मायने में लगाये गये हैं या नहीं. सिर्फ कागज पर काम हो रहा है.

पेड़ लगाने के नाम पर ऐसे होता है खेल

आमतौर पर कोई भी व्यक्ति या बिल्डर जब अपने मकान का नक्शा नगर निगम में जमा करता है, तो उसे नक्शे में यह दर्शाना होता है कि वह भवन के किस-किस हिस्से में बिल्डिंग बायलॉज के अनुरूप पेड़ लगायेगा. हालांकि, निगम में चढ़ावा देने के बाद भवन का नक्शा तो पास हो जाता है, लेकिन निगम के अधिकारी यह देखने नहीं जाते हैं कि पेड़ लगाने की जिन शर्तों के साथ नक्शे को पास किया गया है, उन शर्तों का पालन आवेदक द्वारा किया गया है या नहीं. नतीजा आवेदक कागज में तो यह दर्शा देते हैं कि वे भवन के इन-इन हिस्सों में पेड़ लगायेंगे. लेकिन, धरातल पर पेड़ का कहीं नामोनिशान नहीं होता है.

सभी भवनों में लगते पेड़, तो आज दो लाख से अधिक पेड़ होते

रांची नगर निगम क्षेत्र में 30 हजार से अधिक भवनों का नक्शा पास है. छोटे भवनों के लिए जहां पेड़ों की संख्या जगह के हिसाब से तीन से पांच तक है. वहीं, बड़े-बड़े अपार्टमेंटों में पेड़ों की संख्या 20 से लेकर 50 तक तय की गयी है. इस हिसाब से अगर नक्शा पास कराये गये सभी भवनों में पेड़ लगाये जाते, तो शहर के उक्त भवनों में लगभग दो लाख से अधिक पेड़ लगे होते. लेकिन, निगम की नक्शा शाखा के कर्मियों की लापरवाही के कारण पेड़ नहीं लग पा रहे हैं. इसका खमियाजा आमलोगों को ही भुगतना पड़ रहा है.

छोटे भवनों में पांच व बहुमंजिली इमारतों में 10 प्रतिशत भूमि पर करना है पौधरोपण

शहर में हरियाली बनी रहे, इसके लिए बिल्डिंग बायलॉज में यह प्रावधान किया गया है कि छोटे भवनों में पांच प्रतिशत जमीन पर व बहुमंजिली इमारतों में 10 प्रतिशत भूखंड पर पौधरोपण किया जाना है. लेकिन, इसका पालन नहीं किया जा रहा है.

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