Sarhul 2024: सरहुल पर निकली शोभायात्रा में उमड़ी भीड़, नगाड़ा व मांदर से गूंजा गुमला
सरहुल को लेकर रांची समेत पूरे झारखंड में उल्लास है. मांदर की थाप पर लोग थिरक रहे हैं. प्रकृति पर्व सरहुल से जुड़ी पल-पल की खबरों के लिए बने रहें प्रभात खबर डॉट कॉम के Live सेक्शन में.
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सरहुल पर निकली शोभायात्रा में उमड़ी भीड़, नगाड़ा व मांदर से गूंजा गुमला
गुमला: गुमला में प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. गुरुवार को गुमला शहर का मौसम खुशनुमा था. मानो प्रकृति खुद लोगों को छांव दे रही थी. तीन बजे जुलूस शुरू हुआ. 50 हजार से अधिक लोग शामिल थे. लोगों का उत्साह चरम पर था. हर पांव सड़कों पर थिरकते नजर आया. हर हाथ मांदर व नगाड़ा को मधुर धुन देने में व्यस्त था. लोग एक दूसरे का हाथ पकड़ नाच रहे थे. गुमला शहर में दिन के तीन बजे भव्य शोभायात्रा निकाली गयी. आदिवासी समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में थे. मांदर, ढोल व नगाड़ा की थाप पर थिरक रहे थे. शोभायात्रा में केंद्रीय सरहुल संचालन समिति के पदाधिकारी, सांसद, लोहरदगा लोकसभा के प्रत्याशी , पूर्व विधायक, जिला परिषद सदस्य के लोग व प्रशासनिक अधिकारी थे.
सरहुल महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, कहा-मानव एवं प्रकृति का अन्योन्याश्रय संबंध
रांची: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सरहुल पर्व के अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा आयोजित 'सरहुल महोत्सव' के मौके पर राज्यवासियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि मानव एवं प्रकृति का अन्योन्याश्रय संबंध है. सरहुल का वास्तविक अर्थ वृक्षों एवं प्रकृति की पूजा करना है. इस पर्व में यह संदेश निहित है कि प्रकृति के बिना मानवजाति का अस्तित्व नहीं है.
सरहुल महोत्सव में शामिल हुए कालीचरण मुंडा व विधायक भूषण बाड़ा
खूंटी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा और सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा गुरुवार को पालकोट प्रखंड के सरहुल महोत्सव में शामिल हुए. इनका ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति-रिवाज से स्वागत किया. इस दौरान ये ढोल-नगाड़े पर जमकर थिरके. कालीचरण मुंडा ने कहा कि सरहुल महोत्सव हमारी पौराणिक संस्कृति है. जरूरत है हमें इसे संजोने की. सरहुल आदिवासी समाज का पारंपरिक पर्व है. मौके पर डेविड तिर्की, विकास कुमार गुप्ता, वीरेंद्र तिर्की, बसंत गुप्ता, प्रदीप केसरी समेत अन्य मौजूद थे.
सरहुल महोत्सव में शामिल हुए कालीचरण मुंडा व विधायक भूषण बाड़ा
खूंटी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा और सिमडेगा विधायक भूषण बाड़ा गुरुवार को पालकोट प्रखंड के सरहुल महोत्सव में शामिल हुए. इनका ग्रामीणों ने पारंपरिक रीति-रिवाज से स्वागत किया. इस दौरान ये ढोल-नगाड़े पर जमकर थिरके. कालीचरण मुंडा ने कहा कि सरहुल महोत्सव हमारी पौराणिक संस्कृति है. जरूरत है हमें इसे संजोने की. सरहुल आदिवासी समाज का पारंपरिक पर्व है. मौके पर डेविड तिर्की, विकास कुमार गुप्ता, वीरेंद्र तिर्की, बसंत गुप्ता, प्रदीप केसरी समेत अन्य मौजूद थे.
सरहुल महोत्सव में शामिल हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, कहा-मानव एवं प्रकृति का अन्योन्याश्रय संबंध
रांची: राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सरहुल पर्व के अवसर पर रांची विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा आयोजित 'सरहुल महोत्सव' के मौके पर राज्यवासियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि मानव एवं प्रकृति का अन्योन्याश्रय संबंध है. सरहुल का वास्तविक अर्थ वृक्षों एवं प्रकृति की पूजा करना है. इस पर्व में यह संदेश निहित है कि प्रकृति के बिना मानवजाति का अस्तित्व नहीं है.
सरहुल पूजा में शामिल हुए मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन
झारखंड के मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन सरहुल के अवसर पर गुरुवार को आदिवासी कॉलेज छात्रावास आयोजित पूजा में शामिल हुए. साथ ही राज्यवासियों के खुशहाली की कामना की.
पूर्वीं सिंहभूम में सरहुल पर जुटेंगे चार राज्यों के लोग
पूर्वीं सिंहभूम के हरिणा में आदिम भूमिज मुंडा समाज कल्याण समिति बुनुडीह की ओर से 11 अप्रैल को हरिणा मागाड़बुरु दिशोम जाहेरथान में दिशोम हादी बोंगा (सरहुल पूजा ) का आयोजन धूमधाम के साथ होगा. आयोजन समिति द्वारा इस भव्य आयोजन की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया गया है. आयोजन के एक दिन पूर्व विधायक संजीव सरदार बुधवार को हरिणा पहुंच कमेटी के सदस्यों से मिले. जहां तैयारियों पर आवश्यक दिशा निर्देश दिया.
सिल्ली में आज निकलेगी की सरहुल की शोभायात्रा
सरहुल के मौके पर सिल्ली सरना समिति की ओर से लुपुंग मैदान में महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. महोत्सव में कई अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. सिल्ली प्रखंड के अलग-अलग गांवों में इसे लेकर उत्साह है. सरहुल के अवसर पर अलग-अलग गांवों से शोभायात्रा निकाली जायेगी. शोभायात्रा को लेकर प्रशासन की ओर से कई निर्देश जारी किये गये हैं. शोभायात्रा को देखते हुए झारखंड मोड़ से बुंडू मोड़ तक दिन के दो बजे से शाम छह बजे तक भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित रहेगा. इस दौरान इलाके की बिजली भी बंद रहेगी.