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Sarhul 2022:सीएम हेमंत सोरेन की घोषणा, हॉस्टल में होंगे रसोईया व चौकीदार, सरना स्थलों का होगा जीर्णोद्धार

Sarhul 2022: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि कल्याण विभाग द्वारा संचालित हॉस्टल्स का जीर्णोद्धार कर हॉस्टल की खामियों को दूर किया जा रहा है. अब इन बालक-बालिका छात्रावास में रसोईया और चौकीदार की व्यवस्था होगी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 4, 2022 4:48 PM

Sarhul 2022: झारखंड में सरहुल का उल्लास है. सीएम हेमंत सोरेन ने सरहुल के मौके पर मांदर बजाया और जमकर थिरके. उन्होंने कहा कि कल्याण विभाग द्वारा संचालित हॉस्टल्स का जीर्णोद्धार कर कमियों को दूर किया जा रहा है. अब इन बालक-बालिका छात्रावास में रसोईया और चौकीदार की व्यवस्था होगी. आदिवासी बच्चियों के लिए हॉस्टल बनाने का निर्णय लिया गया है, ताकि उन्हें शहर आकर पढ़ाई करने में असुविधा ना हो. इतना ही नहीं, झारखंड के सभी सरना स्थलों का जीर्णोद्धार किया जायेगा.

द्वेष और घृणा से कोसों दूर आदिवासी

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रांची के करम टोली स्थित आदिवासी बालक-बालिका छात्रावास में आयोजित सरहुल महोत्सव में शामिल हुए. उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद एक बार फिर हम सब जुटे हैं. अपनी सभ्यता, संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने में सुखद अनुभूति होती है. हम जहां भी हैं, वहां सभी के साथ मिलकर अपनी परंपरा और संस्कृति को आगे बढ़ाते हैं. आदिवासी हमेशा से द्वेष और घृणा से कोसों दूर हैं. हमें आदिकाल से चली आ रही परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखने की आवश्यकता है.

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हॉस्टल में होंगे रसोईया और चौकीदार

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया कि कल्याण विभाग द्वारा संचालित हॉस्टल्स का जीर्णोद्धार कर हॉस्टल की खामियों को दूर किया जा रहा है. अब इन बालक – बालिका छात्रावास में रसोईया और चौकीदार की व्यवस्था होगी. यहां रहने वाले स्टूडेंट्स को भोजन भी सरकार उपलब्ध करायेगी. हॉस्टल को नया स्वरूप देने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार ने आदिवासी बच्चियों के लिए हॉस्टल बनाने का निर्णय लिया है, ताकि उन्हें शहर आकर पढ़ाई करने में असुविधा ना हो.

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सरना स्थलों के जीर्णोद्धार का संकल्प

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सरहुल पूजा के अवसर पर सिरम टोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यहां सिरम टोली की पावन भूमि पर आकर सुखद अनुभति हो रही है. मार्गदर्शक रामदयाल मुंडा का कथन था कि आदिवासियों का चलना ही नृत्य है और बोलना ही संगीत है. हम सब आज यहां आज जुटे हैं. हमारी विचारधारा हमलोगों को खूबसूरत और सौहार्दपूर्ण जीवन जीने का संदेश देती है. अपनी परंपरा और संस्कृति को अक्षुण्ण रखने का प्रयास करना है. जल, जंगल और जमीन हमारा है. इसे बचाना है. हमें अपनी परंपरा और संस्कृति को सहेजने में योगदान देना है. इस स्थल के साथ-साथ राज्य के सभी सरना स्थलों का जीर्णोद्धार करने का संकल्प सरकार ने लिया है. इस मौके पर पूर्व सांसद सुबोधकांत सहाय एवं केंद्रीय सरना समिति के सदस्य उपस्थित थे.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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