Sarhul 2022: सरहुल से पहले आज होता है केकड़ा पकड़ने का विधान, जानें इसके पीछे की मान्यता
सरहुल से एक दिन पहले सुबह में केकड़ा और मछली पकड़ने का विधान होता है, जिसका एक खास महत्व है. ऐसी मान्यता है कि बुआई के समय इसका इस्तेमाल करने से धान की बालियां असंख्य होगी.
रांची: आज से सरहुल पूजा के लिए सरना धर्मावलंबियों ने उपवास रखना शुरू कर दिया है. रीति के अनुसार आज सुबह में केकड़ा व मछली पकड़ने का विधान हुआ, जिसके बाद आज रात में पाहन सरना स्थलों पर जल रखाई पूजा करेंगे. पाहन द्वारा कल पानी के घड़े को देखकर वर्षा का अनुमान लगाया जाएगा. दोपहर बाद शोभा यात्रा निकाली जाएगी.
केकड़े का है खास महत्व
शायद बहुतों को ये नहीं पता होगा कि प्राकृति के इस पर्व में केकड़े का क्या महत्व है. दरअसल सुबह के वक्त को केकड़ा पकड़ा जाता है और उसे पूजा घर में अरवा धागा से बांध कर टांग दिया जाता है. फिर जब धान की बुआई की जाती है तो इसका चूर्ण बनाकर गोबर मिला दिया जाता है. उसके बाद बुआई होती है. ऐसी मान्यता है कि जिस तरह केकड़े के असंख्य बच्चे होते हैं उसी तरह धान की बालियां भी असंख्य होंगी.
क्या है सरहुल का अर्थ
दरअसल ये दो शब्दों से मिलकर बना होता है, सर का मतलब होता है सरई या सखुआ फूल और हुल मतलब क्रांति. इसलिए सखुआ के फूलों की क्रांति को सरहुल के नाम से जाना जाता है. ये त्योहार खास तौर से धरती माता को समर्पित किया होता है. यह पर्व प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष के तृतीय से शुरू होकर चैत्र पूर्णिमा के दिन संपन्न होता है और इसी दिन से आदिवासियों का नव वर्ष शुरू हो जाता है.
रात 8 बजे होगी जलरखाई की पूजा
हातमा मौजा में मुख्य पाहन, जगलाल पाहन ने सभी सरना धर्मावलंबियों से उपवास और पूजा-पाठ करने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि रात आठ बजे तक जल रखाई पूजा की शुरू कर दें. वहीं कल 10 बजे तक घरों में पूजा संपन्न करने की अपील की है. जिसके बाद सरना स्थल पर पूजा होगी. जो कि 11 बजे तक चलेगा. प्रसाद ग्रहण करने के बाद सरहुल की शोभा यात्रा निकाली जाएगी.
Posted By: Sameer Oraon