रांची : सर, नौकरी नहीं दे सकते हैं तो हमें एक लाइन में खड़ा कर गोली मार दीजिये. बात ही खत्म हो जायेगी. कम से कम तिल-तिल कर तो नहीं मरेंगे़ एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा व ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग से सहायक पुलिसकर्मियों ने ये बातें कही. दरअसल, शुक्रवार दोपहर तीन बजे मोरहाबादी मैदान में स्थायीकरण की मांग को लेकर 12 सितंबर से आंदोलन कर रहे राज्य के 12 जिले के लगभग 2350 पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज व आंसू गैस का प्रयाेग किया गया. इसमें कई घायल हो गये. घायलों को एंबुलेंस तक ले जाने के लिए सहायक पुलिसकर्मियों में अफरातफरी मची हुई थी. इसी दौरान एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा व ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग उग्र सहायक पुलिसकर्मियों को समझाने पहुंचें. उन्हें सहायक पुलिसकर्मियों के आक्रोश का सामना करना पड़ा.
भगदड़ में गिर गया महिला पुलिसकर्मी का बच्चा : मोरहाबादी मैदान में अपने बच्चे के साथ एक सहायक महिला पुलिसकर्मी प्रदर्शन कर रही थी. भगदड़ में बच्चा उसके गोद से गिर गया. महिला पुलिसकर्मी ने अपनी जान पर खेल कर बच्चे को बचाया और भीड़ से बाहर लेकर आयी. उसके बाद वह सहायक महिला पुलिसकर्मी के साथ प्रदर्शन में शामिल अन्य महिला पुलिसकर्मी के साथ धक्का-मुक्की भी करने लगी. सहायक महिला पुलिसकर्मियों का कहना था कि महिला सहायक पुलिसकर्मियों पर पुरुष पुलिसकर्मियों ने लाठी चलाया़
डाब, अनानास व पत्थर फेंक रहे थे सहायक पुलिसकर्मी : भगदड़ के दौरान सहायक पुलिसकर्मी खाली डाब, अनानास व पत्थर फेंक रहे थे. जब कुछ लोग घायल हो गये, उसके बाद सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज शुरू कर दिया.
महिला पुलिसकर्मियों ने रो-रो कर सुनाया अपना दर्द : सहायक महिला पुलिसकर्मियों ने रो-रोकर अपना दर्द सुनाया. बोलीं कि 10,000 रुपये में क्या होता है? कई महिला शादीशुदा है. पति भी बेरोजगार हैं. वहीं, संविदा खत्म होने के बाद अब पैसा भी नहीं मिल रहा है. घरवालों से पैसा मंगा कर खाना खा रहे हैं. साथ में बच्चे भी हैं. केवल अपना देखना होता, तो एक शाम भूखे भी रह जाते, लेकिन बच्चे को दूध व अन्य तरह की जरूरत का सामान तो देना है. आठ दिनों से यहां पड़े हैं. हमारी क्या स्थिति है, कोई देखनेवाला तक नहीं है.
सरकार कुछ नहीं करेगी तो नक्सली बन जायेंगे : सहायक पुलिसकर्मी ने कहा कि हमलोग अति नक्सल प्रभावित इलाके से आते हैं. सरकार यदि हमें नौकरी पर दोबारा बहाल नहीं करती है, तो हम भी नक्सली संगठन में शामिल हो जायेंगे. नक्सलियों ने हमें ले जाने के लिए गांव में पोस्टर भी साट दिया है. हमारे घरवालों को भी धमकी मिलती रहती है. तीन साल तक सेवा देने के बाद भी हमें अपने सहयोगियों की ही लाठी खानी पड़ रही है. इससे बड़ी बात क्या हो सकती है, जिसके साथ हमने काम किया वही हम पर आज लाठी बरसा रहे हैं.
प्रधान सचिव से मिलाने ले गये और रिसिविंग थमा दिया : सहायक पुलिसकर्मी ने कहा कि एसएसपी साहब, 12 सितंबर को हमें मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव से मिलाने के लिए ले गये. हमें कहा गया कि प्रधान सचिव से पूरी बात करवा दी जायेगी, लेकिन वहां सीएमओ में मांग पत्र ले लिया गया और रिसीव कर झारखंड सरकार का मोहर लगा कर दे दिया गया. आम लोगों की तरह हमारा ज्ञापन लेकर हमें टरका दिया गया. सरकार का कोई भी अफसर या मंत्री हमसे एक बार भी मिलने नहीं आया है.
स्थायीकरण की मांग को लेकर आठ दिनों से डटे हैं आंदोलनरत : स्थायीकरण की मांग को लेकर सात सितंबर से सहायक पुलिसकर्मी हड़ताल पर हैं. वे 12 सितंबर को राजभवन के समीप पर धरना देने के लिए रांची आये, लेकिन वहां धरना नहीं देने दिया गया. 2017 में राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों में 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की 10 हजार रुपये मानदेय पर नियुक्ति की गयी थी. हालांकि 2350 सहायक पुलिसकर्मियों ने ही नौकरी ज्वॉइन की थी. इन पुलिसकर्मियों का कहना है कि नियुक्ति के समय बताया गया था कि तीन साल बाद उनकी सेवा स्थायी हो जायेगी. लेकिन, तीन वर्ष पूरा होने के बाद भी स्थायीकरण नहीं हुआ है. सिटी एसपी समेत दो दर्जन से ज्यादा घायल
लाठीचार्ज में पुलिस व प्र्रदर्शनकारियों की ओर से दो दर्जन से ज्यादा घायल हुए. घायलों में सिटी एसपी सौरभ, सिटी डीएसपी अमित कुमार, कोतवाली डीएसपी अजीत कुमार विमल, सार्जेंट मेजर शशि उरांव, सिपाही सीमा देवी, अनिता लकड़ा, तुलसी महतो, आइजेड हेम्ब्रम, पंकजा कुमार सिंह, अजय कुमार मंडल, विनय कुमार गुप्ता तथा सहायक पुलिसकर्मी की ओर से हेमंत साहू, रोहित दास, प्रेमचंद चिक बड़ाइक सहित अन्य हैं.
भाजपा हमलावर, कांगेस ने भी किया पलटवार : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश ने अनुबंध पर कार्यरत सहायक पुलिसकर्मियों पर हुए लाठीचार्ज को दमनकारी कार्रवाई बताते हुए कड़े शब्दों में भर्त्सना की है. उन्होंने कहा कि यह सरकार संकट में भी गरीबों का निवाला छीन रही है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि सरकार की यह कार्रवाई घोर निंदनीय है. नक्सलियों और अपराधियों के सामने पस्त झारखंड सरकार अपने डंडे का जोर निहत्थे सहायक पुलिसकर्मियों पर आजमा रही है.
रघुवर बतायें कि उनके कार्यकाल में क्यों नहीं किया गया स्थायी : दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव, डाॅ राजेश गुप्ता छोटू व अमूल्य नीरज खलखो ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास व्यवस्था को चौपट करने के बाद बिना सिर-पैर की सलाह देते घूम रहे हैं. श्री दास को बताना चाहिए कि सहायक पुलिसकर्मियों को किस तरह का प्रशिक्षण दिया गया है. उन्होंने अपने कार्यकाल में उनको स्थायी क्यों नहीं किया था. हेमंत सरकार रोजगार को बढ़ावा देने के साथ सभी सरकारी कार्यालयों और विभागों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर रही है.
Post by : Pritish Sahay