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Sarkari Naukri: ICFRE में 10 साल बाद भी 70 पदों पर बहाली नहीं, सीनियर टेक्निकल ऑफिसर के बिना प्रभावित होगा शोध

इतने लंबे अरसे बाद भी इनमें से एक भी पद पर नियुक्ति नहीं हुई. अब इन पदों को समाप्त किया जा रहा है, जिसका फोरम ने विरोध किया है. फोरम ने आग्रह किया है कि इन पदों को पुनर्जीवित किया जाए.

Sarkari Naukri: इंडियन काउंसिल ऑफ फॉरेस्ट्री रिसर्च एंड एजुकेशन (ICFRE) में 10 साल बाद भी 70 पदों पर बहाली नहीं हो पाई है. पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग में इन पदों पर बहाली नहीं होने की वजह से मेधावी युवा तो रोजगार से वंचित हो ही रहे हैं, आने वाले दिनों में वैज्ञानिकों के शोध भी प्रभावित होंगे. दरअसल, सीनियर टेक्निकल ऑफिसर्स ही वैज्ञानिकों को शोध संबंधी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं. इनकी जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है. ऑल इंडिया आईसीएफआरई टेक्निकल सर्विस फोरम की 20 साल की जद्दोजहद के बाद 70 पदों का सृजन हुआ था. इन पदों पर सीधी भर्ती होनी थी. इसके लिए आवश्यक योग्यता एमएससी रखी गई थी. तत्कालीन पर्यावरण एवं वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के हस्तक्षेप के बाद भारतीय वानिकी अनुसंधान शिक्षा परिषद देहरादून में तकनीकी सेवाओं के 70 पदों को 18 दिसंबर 2013 को नोशनल रूप से और 1 मार्च 2017 को भौतिक रूप से मंजूरी दी गई. इतने लंबे अरसे बाद भी इनमें से एक भी पद पर नियुक्ति नहीं हुई. अब इन पदों को समाप्त किया जा रहा है, जिसका फोरम ने विरोध किया है. फोरम ने आग्रह किया है कि इन पदों को पुनर्जीवित किया जाए. इन पदों को खत्म किया जाना बेहद चिंता का विषय है. साथ ही चेतावनी दी है कि अगर इन पदों को पुनर्जीवित करने के लिए सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए, तो फोरम उच्च स्तर पर कार्रवाई के लिए बाध्य होगा. बता दें कि इस फैसले का असर झारखंड की राजधानी रांची में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी (आईएफपी) के कर्मचारियों पर भी पड़ेगा.

आईएफपी रांची के कर्मचारी भी होंगे प्रभावित

अगर इन पदों पर नियुक्ति नहीं होगी, तो अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी इससे प्रभावित होंगे. बता दें कि टेक्निकल सेवाओं का जो वर्गीकरण किया गया है, उसमें सबसे नीचे टेक्नीशियन होते हैं, इसके बाद सीनियर टेक्नीशियन, फिर टेक्निकल असिस्टेंट, सीनियर टेक्निकल असिस्टेंड, टेक्निकल ऑफिसर, सीनियर टेक्निकल ऑफिसर, असिस्टेंट चीफ टेक्निकल ऑफिसर और सबसे ऊपर चीफ टेक्निकल ऑफिसर होते हैं. ऊपर के तीन पदों पर यानी चीफ टेक्निकल ऑफिसर, असिस्टेंट चीफ टेक्निकल ऑफिसर और सीनियर टेक्निकल ऑफिसर किसी तरह से प्रभावित नहीं होंगे. लेकिन टेक्निकल ऑफिसर की नियुक्ति नहीं होने की वजह से सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट, टेक्निकल असिस्टेंट, सीनियर टेक्नीशियन और टेक्नीशियन की पदोन्नति रुक जाएगी. इन लोगों के टेक्निकल ऑफिसर बनने का कोई स्कोप नहीं रह जाएगा. इसकी वजह से अनुसंधान कार्य प्रभावित होंगे.

कैटेगरी-III की एकमात्र सीधी भर्ती वाला है ये पद

झारखंड की राजधानी रांची में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट प्रोडक्टिविटी (आईएफपी रांची) में तैनात कर्मचारी और अधिकारी भी प्रभावित होंगे. ऑल इंडिया आईसीएफआरई टेक्निकल सर्विस फोरम ने बताया कि इन तकनीकी सेवाओं में पदों की वरिष्ठता के आधार पर बनाई गई तीन श्रेणियों (Cat-I, Cat-II और Cat-III) में प्रत्येक में सबसे निचले पद पर सीधी भर्ती के लिए अलग-अलग पद, Cat-I में तकनीशियन, पे लेवल-2 एवं 3 के 394 पद, Cat-II में तकनीकी सहायक, पे लेवल-5 के 218 पद तथा Cat-III में वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, पे लेवल-10 के 70 पद वर्ष 2016 में स्वीकृत हुए थे. फोरम के बार-बार अनुरोध के बावजूद परिषद् ने Cat-III की एकमात्र सीधी भर्ती के माध्यम से भरे जाने वाले 70 वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों के पदों को भरे जाने में कोई रुचि नहीं ली.

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योग्य कर्मी का प्रोमोशन भी रुक जाएगा

इसका नतीजा यह हुआ कि तकनीकी सेवाओं की निचली श्रेणियों में कार्यरत योग्य कर्मियों को इस पद पर सीधी भर्ती के लिए आवेदन करने का मौका ही नहीं मिला. साथ ही देश के बेरोजगार मेधावी एवं योग्य युवाओं को भी ए कैटेगरी के इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति से वंचित रहना पड़ा. अब फोरम को प्रथम बार जनवरी, 2023 में यह ज्ञात होने पर कि भा.वा.अ.शि.प., देहरादून द्वारा तकनीकी सेवाओं के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी (STO) के सभी 70 पदों को गत 05 वर्षों से अधिक समय से नहीं भरे जाने के कारण समाप्त किया जा रहा है, इस फोरम ने अपनी घोर आपत्ति दर्ज करते हुए महानिदेशक, भा. वा. अ. शि.प., देहरादून को दिनांक 24.01.2023 को पत्र लिखकर परिषद् द्वारा उक्त पदों की भर्ती में बरती गई शिथिलता का उल्लेख करते हुए और इन पदों के अभाव में भविष्य में तकनीकी सेवाओं को होने वाले नुकसान एवं युवा पीढ़ी के साथ किये जा रहे खिलवाड़ की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए समस्त 70 पदों को पुर्नजीवित (Revival) कराने के लिए अनुरोध किया . फोरम ने यह भी अनुरोध किया कि उक्त पदों की भर्ती करने में शिथिलता बरतने वाले संबंधितों के खिलाफ कार्यवाही की जाए. परन्तु परिषद् द्वारा दोषिओं के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गयी.

अन्य सेवाओं के 52 पदों को किया पुनर्जीवित

जून 2023 में फोरम को बताया गया कि वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी (STO) के सभी 70 पदों को छोड़कर परिषद के 142 पदों में से अन्य सेवाओं के 52 पदों को पुनर्जीवित कर दिया गया है. इसके बाद फोरम ने 26 जून 2023 को इन पदों को पुनर्जीवित करने के लिए आईसीएफआरई देहरादून के महानिदेशक को पत्र लिखा. फिर 4 जुलाई 2023 को एक पत्र लिखकर आईसीएफआरई देहरादून के महानिदेशक को इन 70 पदों की जरूरत के बारे में बताते हुए इसे पुनर्जीवित करने और इन पदों पर जल्द से जल्द बहाली कराने का अनुरोध किया गया है. इस संबंध में गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी विभागीय मंत्री भूपेंद्र यादव को पत्र लिखकर तकनीकी सेवाओं के इन महत्वपूर्ण 70 पदों की महती आवश्यकताओं एवं देश के युवाओं के हित को ध्यान में रखते हुए वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के पदों को पुर्नजीवित (Revival) करने का अनुरोध किया. जल शक्ति मंत्री ने 11 अगस्त 2023 को भी वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का ध्यान इस ओर आकृष्ट करवाया.

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आईसीएफआरई के दोहरे रवैये से फोरम में क्षोभ

ऑल इंडिया आईसीएफआरई टेक्निकल सर्विस फोरम ने कहा है कि सितंबर, 2023 में ही उसे सूचित किया गया था कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को 74 पदों, जिनमें 70 वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के पद भी शामिल हैं, को पुर्नजीवित करने के संबंध में मंत्रालय ने जो सूचना मांगी है, उसे भेजा जा रहा है. लेकिन, इसके 7 दिन बाद ही भावाअशिप देहरादून ने मंत्रालय को पत्र लिखकर सूचित किया कि 70 वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी के पदों को मिशन मोड में न भरा जाए. फोरम ने परिषद के इस रवैये पर क्षोभ व्यक्त किया है.

एसटीओ का पद खत्म करने के होंगे ये नुकसान

  • एसटीओ तकनीकी सेवाओं का अत्यंत महत्वपूर्ण पद है, जो ए कैटेगरी के अफसर होते हैं.

  • परिषद की तकनीकी सेवाओं की अन्य निचली श्रेणियों में काम कर रहे लोग सीधी भर्ती के माध्यम से उच्च पदों पर नहीं जा पाएंगे.

  • देश के अनेक बेरोजगार युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा.

  • तकनीकी सेवाओं के इन पदों को पुर्नजीवित नहीं किया गया, तो कैटेगरी-III की सीधी भर्ती वाले एकमात्र तकनीकी सेवाओं की वजह से पदों की संरचना असंतुलित हो जाएगी.

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