Jharkhand News: झारखंड के चाईबासा में अनुकंपा समिति सरकारी कर्मियों के परिजनों की आस बनती जा रही है. खासकर उनके लिए जो अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए अब नहीं रहे. इस समिति के गठन का मुख्य उद्देश्य सेवा काल में दिवंगत सरकारी सेवकों के आश्रितों को अनुकंपा पर नौकरी प्रदान करने के लिए अनुशंसा करना है. इस समिति के द्वारा संबंधित दिवंगत सरकारी सेवक के परिवार को वित्तीय राहत देने तथा आपात स्थिति से उबारने में सहायता प्रदान की जाती है.
111 आश्रित परिवारों को मिला लाभ
पश्चिमी सिंहभूम जिले में अप्रैल-2021 से मई-2022 तक अनुकंपा समिति के सदस्यों की उपस्थिति में तकरीबन 8 बार जिला अनुकंपा समिति की बैठक हुई. प्रत्येक बैठक के दौरान स्थापना कार्यालय में प्राप्त अनुकंपा मामलों के आवेदनों पर विधिवत जांच कर फैसले लिए गए तथा संबंधित आश्रितों को स्थायी नौकरी देने की अनुशंसा की गयी. विभिन्न कार्यालयों में ग्रुप सी सेवा वर्ग के तहत 82 तथा ग्रुप डी सेवा अंतर्गत 29 सहित कुल 111 आश्रित परिवारों के युवक-युवतियों को सरकारी नौकरी दी गयी.
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नौकरी से जीवन में आईं खुशियां
वर्तमान में स्थापना कार्यालय में कार्यरत अभिषेक कारवां बताते हैं कि उनके पिताजी स्व शिवप्रसाद कारवां चाईबासा नगर परिषद में कार्यरत थे. सेवाकाल के दौरान ही उनकी मृत्यु हो गई. उन्होंने अनुकंपा पर नौकरी के लिए स्थापना कार्यालय में आवेदन किया था. वर्ष 2021 में अनुशंसा के बाद उन्हें सरकारी नौकरी मिल गई. आज वह और उनका परिवार बहुत खुश है. समाहरणालय में ही अपनी सेवा दे रहे मो सलमान जफर कहते हैं कि उनके पिता दिवंगत मो असलम जो झारखंड राज्य ट्रांसपोर्ट निगम में कार्यरत थे, उनकी मृत्यु के बाद लंबे समय तक संघर्षशील रहने के बाद उन्हें पिछले वर्ष स्थायी नौकरी के लिए अनुशंसित किया गया.
सरकारी नौकरी से खिले चेहरे
खेल विभाग में कार्यरत सुश्री मनीषा गोप बताती हैं कि समाहरणालय स्थित स्थापना कार्यालय में कार्यरत पिता स्व संजय गोप की मृत्यु के बाद उनका पूरा परिवार कष्टमय जीवन व्यतीत कर रहा था, लेकिन वर्ष 2022 में उनके आवेदन पर विचार करते हुए जिला अनुकंपा समिति के द्वारा सरकारी नौकरी के लिए अनुशंसित किया गया. उपायुक्त कार्यालय में कार्यरत श्री अनिल कुमार कहते हैं कि स्वर्गीय पिता लखन प्रसाद, जो भूमि सुधार उप समाहर्ता कार्यालय में अपनी सेवा दे रहे थे, उनकी मृत्यु 12 अप्रैल 2019 को हो गई थी. अनुकंपा समिति का सहयोग मिला और उनके निराश जीवन में प्रकाश आया.
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आश्रितों का सहारा बन रही अनुकंपा समिति
पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त अनन्य मित्तल ने बताया कि अनुकंपा समिति की अनुशंसा के बाद मृत सरकारी सेवकों के आश्रितों को दिया जाने वाला स्थायित्व उनका अधिकार है. इस प्रकार जहां हम सब रहते हैं, वह पूरा समाज परिवार का सदस्य होता है. यदि परिवार का कोई सदस्य हम सबों से बिछड़ जाए, तो समाज के सदस्यों का कर्तव्य बनता है कि हम उस सदस्य के आश्रितों का सहारा बने और उन्हें संबल प्रदान करें. जिला अनुकंपा समिति इसी फर्ज को पूरा कर रही है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra