संवाददाता, रांची
सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान, केंद्रीय सरना समिति रांची, आदिवासी छात्र संघ रांची, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद रांची, सरना धर्म समन्वय समिति खूंटी,आदिवासी हो समाज महासभा सरायकेला, राजी पड़हा प्रार्थना सभा लोहरदगा आदि द्वारा कई जगहों पर रेल- रोड चक्का जाम किया गया. आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने कहा है कि पांच राज्यों में कई जगहों पर रेल- रोड चक्का जाम किया गया.
सराइकेला -खरसावां रेलमार्ग पर चांडिल स्टेशन, मीरूडीह रेल फाटक, गम्हरिया -आदित्यपुर रेलमार्ग के बीच, पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर प्रखंड में मालूका रेल स्टेशन और असम के कोकराझार जिला के गोसाईगांव व श्रीरामपुर स्टेशन के बीच रेल चक्का जाम किया गया. पश्चिम बंगाल में पश्चिम वर्धमान के काली पहाड़ी, बीरभूम जिला के नोलहाटी रेलवे स्टेशन जाम और बिहार के कटिहार जिला में रेलवे स्टेशन बारसोई जंक्शन व मुंगेर जिला के बरियारपुर रेलवे स्टेशन पर रेल चक्का जाम किया गया. सड़क जाम के बारे में उन्होंने बताया कि बोकारो जिला में पांच, हजारीबाग जिले में एक, रामगढ़ जिले में एक, पूर्वी सिंहभूम जिले में तीन, पश्चिमी जिले में सात, दुमका, पाकुड़, जामताड़ा व गिरिडीह जिले में एक- एक, ओडिशा में पांच, असम में दो और पश्चिम बंगाल में 19 जगहों पर सड़क जाम किया गया है.
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सरना धर्म कोड की मांग पर भारत बंद को लेकर शनिवार को चुटू रिंग रोड पर क्षेत्रीय सरना समिति झारखंड प्रदेश ने आग जलाकर विरोध-प्रदर्शन किया. इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष बच्चन उरांव ने कहा कि केंद्र सरकार आदिवासियों का सरना धर्म कोड लागू करे. यह कोड आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा के लिए जरूरी है. इनके अलावे संजय पाहन, भुनेश्वर पाहन, रमेश पाहन, भगवन दास उरांव, राजू उरांव, राजू पाहन ने अपनी बातों को रखा. इससे पूर्व प्रदर्शनकारी नारेबाजी करते हुए जुलूस की शक्ल में रिंग रोड गोलंबर से चुटू ओवरब्रिज तक गये.
लोहरदगा: आदिवासी संगठनो द्वारा आहूत भारत बंद को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठन के लोग सड़कों पर उतरे और बंद को सफल बनाया. मौके पर भारत बंद के समर्थन में उतरे लोगों का कहना था कि भारत के 12 करोड़ आदिवासी का पुराना मांग सरना धर्म कोड है. परंतु केंद्र सरकार लंबे समय से इस मांग को लटका के रखा हुआ है. झारखंड सरकार सरना धर्मकोड की मांग को राज्य से पारित कर भारत सरकार को भेज दिया है. परंतु भारत सरकार का किसी तरह का कोई जवाब नहीं मिल रहा है. इसलिए आदिवासी समाज का आशा टूटता जा रहा है. जिसका परिणाम है कि आए दिन सड़कों पर आदिवासी समाज के लोग उत्तर रहे हैं. यदि बंदी से भी भारत सरकार नहीं चेती तो आगे आर्थिक नाकेबंदी भी किया जा सकता है.