विद्यार्थी परिषद से राजनीतिक जीवन की शुरुआत करनेवाली आशा लकड़ा भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री हैं. वह पश्विम बंगाल के लिए भाजपा की सह प्रभारी नियुक्त की गयी हैं. उन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के लिए पांच राज्यों की जिम्मेवारी भी है. इसके साथ ही वह राजधानी रांची की मेयर भी हैं. ‘प्रभात खबर संवाद’ कार्यक्रम में इस बार आशा लकड़ा आयीं. राजनीति, संगठन, सरना धर्मकोड समेत कई मुद्दों पर उन्होंने अपनी बात रखी. राजनीतिक जीवन के अनुभव और भविष्य की योजना पर भी बातें की.
कोड सभी आदिवासी समुदाय को इंगित करने वाला होना चाहिए. पर झारखंड सरकार को सरना धर्मकोड के नाम पर केवल जनता को छलना था. हेमंत सरकार ने आदिवासी समुदाय या उनके प्रतिनिधियों से इस विषय पर बात ही नहीं की. अपना काम पूरा किये बिना ही केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेज अपना पल्ला झाड़ लिया.
श्रीमती लकड़ा ने कहा कि हेमंत सरकार 1932 खतियान के आधार पर स्थानीय व नियोजन नीति लागू कर सकती थी, लेकिन झामुमो को केवल राजनीति करनी है. इसलिए उन्होंने 1932 के खतियान का मामला विधानसभा से पास कर केंद्र के पाले में फेंंक दिया. 1932 का खतियान लागू करना झामुमो के चुनावी मैनिफेस्टो में है. इसे लागू करने का मसला केंद्र के माथे मढ़ने से पहले झामुमो से पूछा जाना चाहिए कि इसे किस परिस्थिति में भारत सरकार को भेजा गया है. पूरी योजना जनता को उलझाने की रणनीति के तहत बनायी गयी है.
उन्होंने इसका खंडन किया कि भाजपा नेता आज-कल सड़क पर कम और सोशल मीडिया पर ज्यादा दिखते हैं. कहा कि आज के दौर में सोशल मीडिया जरूरी है. जनहित के मुद्दों पर समय-समय पर सड़क पर पार्टी का आंदोलन चलता रहता है. राज्य में भाजपा विपक्ष की जिम्मेदारी बखूबी निभा रही है. झारखंड में संगठन बहुत बढ़िया से चल रहा है. पार्टी में खेमेबाजी जैसा कुछ नहीं है. प्रदेश अध्यक्ष सभी को साथ लेकर चल रहे हैं. कहीं कोई दिक्कत नहीं है.
श्रीमती लकड़ा ने कहा कि भाजपा ने महिलाओं को हमेशा मान-सम्मान दिया है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव में महिलाओं को उनका हक दिया है. आदिवासी समुदाय को समाज में आगे करने का प्रयास किया है. मैंने महत्वाकांक्षा को लेकर कभी कोई काम नहीं किया. सिर्फ राष्ट्र और समाज के उत्थान को लेकर प्रयासरत रही हूं. हमेशा पार्टी के निर्देश पर काम किया है.