सरना कोड को लेकर आरपार के मूड में आदिवासी, दिल्ली में विरोध प्रदर्शन तेज, अब उठायेंगे ये बड़ा कदम
Sarna Dharam Code : आदिवासी सरना कोड को लेकर आंदोलन तेज हो गयी है, इसके लिए देशभर के आदिवासी अब अलग कोड की मांग को लेकर आदिवासी बहुल इलाके में आर्थिक नाकेबंदी करने की तैयारी में है. बता दें कि कल दिल्ली में विभिन्न राज्यों से आये आदिवासियों ने अपनी आवाज बुलंद की.
नयी दिल्ली /रांची : झारखंड के शिक्षाविद् करमा उरांव ने कहा कि देश के लगभग एक करोड़ सरना धर्मावलंबियों की मांग है कि सरना धर्म कोड को जनगणना प्रपत्र में शामिल किया जाये. भारत के आदिवासियों को धार्मिक पहचान और आजादी मिलनी चाहिए. ये बातें श्री उरांव ने मंगलवार को जंतर-मंतर पर राष्ट्रीय आदिवासी समाज सरना धर्म रक्षा अभियान के बैनर तले आयोजित सत्याग्रह एवं महाधरना कार्यक्रम में कही. आदिवासियों के लिए अलग धार्मिक कोड (सरना धर्म कोड) की मांग को लेकर विभिन्न राज्यों से आये आदिवासियों ने दिल्ली में अपनी आवाज बुलंद की.
केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि सरना धर्म कोड के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे. धर्म कोड एक पहचान है. यह आदिवासियों की धार्मिक आस्था और अस्मिता का सवाल है. आदिवासी प्रकृति के पूजक हैं, लेकिन इन्हें उजाड़ने का षड्यंत्र किया जा रहा है. कार्यक्रम में संजय तिर्की, मुन्नीलाल केरकेट्टा, अगस्टिन लकड़ा, अनिल भगत, जयपाल गाड़ी, शिव कुमार भगत के अलावा तेतरा खलखो, अजीत टेटे, मिथलेश कडिला, दुर्गावती ओड़िया, नारायण उरांव समेत अन्य शामिल हुए.
2022 में रामलीला मैदान में महारैली
प्रतिनिधि सभा के सदस्यों ने कहा कि आदिवासी लंबे समय से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं. झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया है. आदिवासियों के हितों में केंद्र को तत्काल इस पर निर्णय लेना चाहिए. इसके अलावा निर्णय लिया गया कि असम, झारखंड,ओडिशा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ व अन्य राज्यों में महारैली और सभा की जायेगी़ फरवरी-मार्च 2022 में देश भर से हजारों लोग दिल्ली कूच करेंगे और रामलीला मैदान में महारैली करेंगे़ यदि समय रहते सरना धर्म कोड नहीं मिला तो आदिवासी बहुल राज्यों में आर्थिक नाकेबंदी की जायेगी.
Posted by : Sameer Oraon