विधायक सरयू राय ने कहा है कि वर्ष 2016 में स्थापना दिवस में बच्चों की बीच टी-शर्ट और टॉफी वितरण के नाम पर तत्कालीन रघुवर सरकार में जो भ्रष्टाचार हुआ, उसकी परतें अब खुलने लगी हैं. रघुवर सरकार के कार्यकाल में ही विपक्ष के विधायक अरूप चटर्जी और प्रदीप यादव ने इस संबंध में सवाल पूछे थे. तत्कालीन संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय को सरकार की ओर से जवाब देना था. उस प्रकरण की जानकारी देते हुए सरयू राय ने बताया कि सरकार की ओर से जो उत्तर आया, उससे वह संतुष्ट नहीं थे. अधिकारियों से पूरे तथ्य के साथ जवाब देने को कहा गया था. लेकिन वह फाइल दोबारा आयी ही नहीं.
सरयू राय ने कहा कि जब वह खुद निर्दलीय विधायक बने, तो इस मामले को लेकर तीन-तीन बार सवाल किये. लेकिन सरकार की ओर से भ्रामक और अधूरे जवाब मिले. मामले को अनागत प्रश्न समिति में भेजा गया. इसमें सभापति रामचंद्र चंद्रवंशी और सदस्य नीरा यादव सहित भाजपा के चार विधायक थे. कमेटी ने भी माना था कि टी-शर्ट और टॉफी वितरण में अनियमितता हुई है.
श्री राय ने कहा कि अक्तूबर 2016 के अंत में स्थापना दिवस पर टी-शर्ट और टॉफी बांटने का निर्णय लिया गया. रांची के तत्कालीन डीसी मनोज कुमार को इसकी जिम्मेवारी दी गयी. डीसी ने कम समय में टेंडर करा पाने पर असमर्थता जतायी, तो नॉमिनेशन पर काम देने की बात हुई. स्थानीय सप्लायर तैयार नहीं थे.
श्री राय ने आरोप लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के पीएस अंजन सरकार, पवन अग्रवाल और ओएसडी राकेश चौधरी ने डीसी को प्रभावित कर जमशेदपुर के लोगों को काम दिलाया. प्रकाश शर्मा नाम के एक व्यक्ति ने लुधियाना के कुडूक फेब्रिक्स से टी-शर्ट सप्लाई कराने की बात कही. जमशेदपुर की एक छोटी सी दुकान के संचालक लाला इंटरप्राइजेज से टॉफी का सप्लाई दिखाया गया. इसमें 5.5 करोड़ की लागत आयी थी.
विधायक श्री राय ने कहा कि शिक्षा परियोजना के रतन श्रीवास्तव ने सरकार को गलत रिपोर्ट दी थी कि सभी जिलों के डीओ-डीएसइ ने टॉफी और टी शर्ट रिसीव कर अपने-अपने जिलों में बंटवा दिये. श्री राय ने कहा कि सरकार की ही रिपोर्ट है कि 13 और 14 नवंबर को टीशर्ट व टॉफी की आपूर्ति हुई. ऐसे में अगले ही दिन 15 नवंबर की सुबह तक राज्यभर के स्कूलों में इन्हें कैसे पहुंचाया जा सकता है? 15 नवंबर की सुबह ही बच्चों को प्रभात फेरी निकालनी थी, जिसमें ये टी-शर्ट उन्हें पहनने को देने की बात कही गयी है.