सरयू राय ने की CM हेमंत सोरेन से स्वास्थ्य मंत्री को हटाने की मांग, कहा- विभाग ने नहीं दिया इन सवालों के जवाब
सरयू राय ने कहा कि मेरे सवालों का जवाब स्वास्थ्य मंत्री नहीं दे रहे हैं. मेरा सवाल था कि टेंडर करने के बाद विभाग ने सस्ती दर पर दवा नहीं खरीदा और महंगी दर पर भारत सरकार से खरीदा.
विधायक सरयू राय ने शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग पर सवालों का जवाब नहीं देने का आरोप लगाया. श्री राय ने स्पीकर रबींद्रनाथ महतो को सूचना दी कि मॉनसून सत्र में कोविड काल में काम करनेवाले कर्मियों को प्रोत्साहन राशि नहीं देने के मामले से जुड़ा एक प्रश्न था, जिसका जवाब विभाग ने अब तक नहीं दिया है. विधानसभा की ओर से दो-दो पत्र लिख कर स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा गया, लेकिन जवाब नहीं मिला. इस पर स्वास्थ्य मंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए.
इधर सदन के बाहर श्री राय ने कहा कि मेरे सवालों का जवाब स्वास्थ्य मंत्री नहीं दे रहे हैं. मेरा सवाल था कि टेंडर करने के बाद विभाग ने सस्ती दर पर दवा नहीं खरीदा और महंगी दर पर भारत सरकार से खरीदा. गुरुवार को भी स्वास्थ्य मंत्री ने सदन में गलत जवाब दिया है. सदन में कुछ भी कह देने की परंपरा मंत्रियों की हो गयी है. उक्त बातें उन्होंने शुक्रवार को विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही. सरयू राय ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग तो सदन की बात सुनता नहीं है. सीएम के यहां से फाइल मांगी जाती है नहीं देते हैं. सीएम तत्काल स्वास्थ्य मंत्री को पद से हटा दें. विस अध्यक्ष को अवमानना की कार्रवाई करनी चाहिए.
गलतबयानी का लगाया आरोप, स्पष्टीकरण पूछने का स्पीकर से सरयू ने किया आग्रह
विधायक सरयू राय ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिख कर स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के मंत्री बन्ना गुप्ता पर सदन के अंदर गलत बयानी करने की शिकायत की है. आग्रह किया है कि मंत्री से स्पष्टीकरण किया जाये. स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं होने पर उनके विरुद्ध अवमानना की कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया है. श्री राय ने कहा है कि जिन कागजातों के आधार पर मंत्री सदन में वक्तव्य दे रहे हैं, उन्हें सदन पटल पर रखने का निर्देश उन्हें दिया जाये.
समाचार पत्रों में मंत्री का सदन में दिये गये वक्तव्य का प्रासंगिक अंश प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है. सदन के समक्ष दिये गये अपने वक्तव्य से संबंधित दस्तावेज मंत्री को सदन पटल पर रखना चाहिए. अगर गलत है, तो सदन से क्षमायाचना करनी चाहिए. मंत्री ने अपने कार्यकाल में अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर थोक के भाव से स्थानांतरण, पदस्थापन, प्रतिनियुक्तियां की है, जो झारखंड सरकार की कार्यपालिका नियमावली के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन है.
ऐसा उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बगैर किया है. लिखित उत्तर में उन्होंने सदन को बताया कि ऐसे सभी मामलों में मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया गया है. मैंने उनके जवाब को सदन में चुनौती दी है. उसे असत्य बताया और कहा कि मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव द्वारा मांगे जाने पर भी स्वास्थ्य विभाग संचिकाएं नहीं भेजता है.