Mission Gaganyaan : रांची के शशिकांत ने मिशन गगनयान के लिए तैयार किया नैनो चिप
Jharkhand News : चंद्रयान-2 के नैनो टेक्नोलॉजिकल प्रोजेक्ट का काम संभाल चुके रांची के शशिकांत अब मिशन गगनयान (mission gaganyaan) के तहत मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजने के महत्वपूर्ण मिशन में जुट गए हैं.
Jharkhand News : (बिपिन सिंह की रिपोर्ट) चंद्रयान-2 के नैनो टेक्नोलॉजिकल प्रोजेक्ट का काम संभाल चुके रांची के शशिकांत अब मिशन गगनयान (mission gaganyaan) के तहत मानव को पहली बार अंतरिक्ष में भेजने के महत्वपूर्ण मिशन में जुट गए हैं. भारत के सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी के एकमात्र सेंटर में शशिकांत उस नैनो प्रोजेक्ट्स से जुड़े हैं जो ऑरबीटर्स सेंसर के स्टैंडर्ड डिजायन, फैब्रिकेशन और टेस्टिंग तक के कार्य से जुड़े हैं. अंतरिक्ष अभियान के लिए करोड़ों नैनो चिप में से किसी एक को चुना जाना रहता है, जिसका रिजल्ट हर तरह के टैंपरेचर टेस्ट में सर्वोत्तम निकले़ क्योंकि एक छोटी सी गलती पूरे स्पेस प्रोग्राम को फेल कर सकता है.
बचपन से चांद-तारे देखने का था शौक : शशिकांत ने संत थॉमस स्कूल, रांची से दसवीं और जेवीएम श्यामली से बारहवीं पास की. इसके बाद आइसैट के जरिये उनका चयन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस टेक्नोलॉजी (इसरो) त्रिवेंद्रम में हुआ. बेहद साधारण परिवार में पले बढ़े शशिकांत को अपने देश के लिए कुछ करने की प्ररेणा पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के नाम से जाने वाले डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से मिली. इनसे प्रेरणा लेकर अंतरिक्ष विज्ञान के गूढ़ विषयों को जाना और नैनो टेक्नोलॉजी पर ढेरों रिसर्च किये. उस वक्त शायद उन्हें अंदाजा भी न था कि बचपन में चांद-तारे देखने का शौक एक दिन जुनून बन जायेगा.
लैब में काम करना बड़ी चुनौतीपूर्ण : चंद्रयान -2 मिशन को पूरा करने के लिए चंडीगढ़ के स्पेस साइंस लेबोरेटरी को लांच व्हीकल के लिए इलेक्ट्रानिक कंट्रोल सिस्टम विक्रम प्रोसेसर चिप का निर्माण करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी थी. अब वही टीम गगनयान के लिए चिप तैयार किया है. इसके लिए उन्हें एक साथ दो महत्वपूर्ण चीजों पर काम करना था, एक तो प्रोजेक्ट का कॉस्ट कम करना और दूसरा गगनयान के लिए विशेष प्रकार का नैनो चिप तैयार करना. लैब में कई तरह के टॉक्सिक गैस के बीच काम करना था.
तीन सदस्यीय दल करेंगे अंतरिक्ष का भ्रमण : शशिकांत उस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं जो मानव को अंतरिक्ष मिशन में भेजने का काम कर रहा है. इसके लिए तीन लोगों को ले जाने के लिए अंतरिक्ष कैप्सूल तैयार किया गया है. 2022 तक तीन सदस्यीय दल को पांच से सात दिन की अवधि के लिए अंतरिक्ष में रहना है. इस योजना के पहले दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजा जाना था.
Post by : Pritish Sahay