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रांची के होरहाप जंगल और पिठोरिया में दिखा सवाना नाइटजार पक्षी

आइयूसीएन ने सवाना नाइटजार पक्षी को रेड लिस्ट में शामिल किया है. नाइटजार अक्सर रात में सक्रिय होकर कीट-पतंगों का शिकार करता है.

अभिषेक रॉय, रांची. रांची के होरहाप जंगल और पिठोरिया क्षेत्र में सवाना नाइटजार पक्षी देखा गया है. स्थानीय भाषा में नाइटजार को छिपका पक्षी कहा जाता है. अपने आसपास के परिवेश में छुप जाने की कला में पारंगत नाइटजार प्रजाति का पक्षी अब खतरे के करीब है.

इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (आइयूसीएन) ने नाइटजार को रेड लिस्ट में शामिल किया है. मध्यम आकार के नाइटजार पक्षी को रात्रिचर माना गया, जो अपना शिकार रात के अंधेरे में करता है. काले और भूरे रंग के लंबे पंख के कारण नाइटजार आसानी से पत्थर या पेड़ों के बीच छिपा जाता है. छोटे पैर और चोंच इनकी विशेष पहचान हैं. नाइटजार अक्सर रात में सक्रिय होकर कीट-पतंगों का शिकार करता है. आवाज से इनकी पहचान हो सकती है.

जमीन में पत्थर के बीच घोंसला बनाते हैं नाइटजार

सवाना नाइटजार हल्की झाड़ियों और पत्थर के बीच अपना घोंसला बनाते हैं. रेगिस्तान से लेकर वर्षावनों तक पाये जाने वाले नाइटजार मूलत: तीन प्रकार के हाते हैं. इनमें लार्जटेल्ड नाइटजार अक्सर जंगलों में नजर आता है. इसके अलावा इंडियन नाइटजार और सवाना नाइटजार पठारी इलाकों में पाये जाते हैं. रांची में नजर आये सवाना नाइटजार मादा पक्षी है, जो गर्मी के दिनों में पलायन कर पहुंचा है. साथ ही इनके चूजे भी नजर आये हैं. नाइटजार की गतिविधियों को बर्ड वॉचर सुशील कुमार और अहमद शाकिब ने अप्रैल से जून के बीच चिह्नित किया है.

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