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झारखंड में आठ साल के बाद बढ़ायी जायेगी स्कूल में छात्रवृत्ति, प्रस्ताव तैयार

आठ साल बाद राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों की प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप की राशि बढ़ायी जा रही है. कल्याण विभाग ने एसटी, एससी, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के पहली से 10वीं तक पढ़नेवाले विद्यार्थियों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया है.

विवेक चंद्र

Jharkhand Scholorship News: आठ साल बाद राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों की प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप की राशि बढ़ायी जा रही है. कल्याण विभाग ने एसटी, एससी, पिछड़ा और अल्पसंख्यक वर्ग के पहली से 10वीं तक पढ़नेवाले विद्यार्थियों को दी जानेवाली छात्रवृत्ति की राशि में वृद्धि का प्रस्ताव तैयार किया है.

प्रस्ताव में क्या

प्रस्ताव में प्री-मैट्रिक विद्यार्थियों को तीन श्रेणियों में बांटते हुए छात्रवृत्ति के रूप में सालाना तीन से पांच हजार रुपये तक देने की बात कही गयी है. फिलहाल, प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप के रूप में कक्षा एक से 10 तक के विद्यार्थियों को विभिन्न श्रेणियों में 500 से 2250 रुपये तक छात्रवृत्ति दी जाती है. संबंधित प्रस्ताव प्राधिकृत समिति की मंजूरी के लिए भेजा गया है.

40 लाख को मिलती है छात्रवृत्ति

प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का लाभ सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले 40 लाख से अधिक विद्यार्थियों को मिलता है. जिन विद्यार्थियों को कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति नहीं दी जाती है, उनके लिए अलग से सीएम विशेष छात्रवृत्ति योजना शुरू की गयी है. कल्याण विभाग द्वारा छात्रवृत्ति की राशि बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने पर सीएम विशेष छात्रवृत्ति योजना की राशि भी बढ़ायी जायेगी.

चार छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए मांगे गये आवेदन

यूजीसी की ओर से उच्च शिक्षा के तहत चार स्कॉलरशिप योजना के लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे गये हैं. हर योजना के लिए आवेदन की अंतिम तिथि 31 अक्तूबर 2022 है. आवेदन नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल के माध्यम से किया जा सकता है. इस बार सभी छात्रवृत्ति योजनाओं में राशि भी बढ़ायी गयी है.

चार स्कॉलरशिप के लिए करें आवेदन

इशान उदय स्कॉलरशिप : ‍~5400 से 7800 तक मिलेंगे

इशान उदय स्कॉलरशिप के तहत कुल 10 हजार विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप दी गयी है. पूर्वोत्तर क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए दी जानेवाली यह स्कॉलरशिप जिस राज्य की जितनी आबादी होती है, उसी अनुपात में वहां दी जाती है. इसके तहत विद्यार्थी को किसी मान्यता प्राप्त विवि/कॉलेज/संस्थान में प्रथम वर्ष में नियमित रूप से नामांकित होना जरूरी है. परिवार की आय साढ़े चार लाख रुपये सालाना होनी चाहिए. सामान्य डिग्रीवाले विद्यार्थी को प्रति माह 5400 रुपये मिलेंगे, जबकि इंजीनियरिंग, मेडिकल या प्रोफेशनल कोर्स के विद्यार्थियों को 7800 रुपये मिलेंगे.

पीजी स्कॉलरशिप फॉर यूनिवर्सिटी रैंक होल्डर्स

इसमें स्नातक में पहला और दूसरा रैंक लानेवाले विद्यार्थी शामिल हो सकते हैं. रैंक सर्टिफिकेट भी दिखाना होगा. साथ ही पीजी में नियमित विद्यार्थी होने का सर्टिफिकेट दिखाना होगा. अब दो वर्ष तक विद्यार्थी को प्रति माह ~3100 मिलेंगे, पूर्व में ~2000 मिलते थे.

पीजी स्कॉलरशिप फॉर एससी/एसटी स्टूडेंट्स

इस योजना के तहत वैसे एससी/एसटी कैटेगरी के विद्यार्थी शामिल हो सकेंगे, जो किसी मान्यता प्राप्त संस्थानों से पीजी प्रोफेशनल कोर्स कर रहे होंगे. इसके तहत एमइ/एमटेक के लिए विद्यार्थियों को प्रति माह 7800 रुपये और अन्य के लिए 4500 रुपये प्रति माह छात्रवृत्ति मिलेगी.

पीजी इंदिरा गांधी स्कॉलरशिप फॉर सिंगल गर्ल चाइल्ड

इस स्कॉलरशिप में वैसी छात्रा शामिल हो सकती है, जो अपने माता-पिता की इकलौती संतान हो. साथ ही पीजी प्रथम वर्ष में किसी मान्यता प्राप्त कॉलेज में नियमित रूप से नामांकित हो. छात्रा की उम्र 30 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए. अब इस योजना के तहत छात्रा को प्रति माह 3100 रुपये मिलेंगे. इसमें पूर्व में दो हजार रुपये मिलते थे. एक साल में छात्रा को 36 हजार 200 रुपये की स्कॉलरशिप दी जायेगी.

विवि में 10 फीसदी पेशेवर प्रोफेसर की नियुक्ति करने की तैयारी

विश्वविद्यालय व उच्च शिक्षण संस्थान जल्द ही एक नयी श्रेणी के तहत शिक्षक संकाय के रूप में प्रतिष्ठित विशेषज्ञों को नियुक्त कर सकेंगे. इसके लिए औपचारिक पात्रता एवं प्रकाशन से जुड़ी अर्हताएं अनिवार्य नहीं होंगी. यूजीसी की पिछले सप्ताह हुई बैठक में निर्णय लिया गया है. ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ यानी पेशेवर प्रोफेसर योजना को अगले महीने अधिसूचित किये जाने की संभावना है. यह आगामी शैक्षणिक सत्र से प्रभावी हो सकता है. इस योजना के मसौदा के अनुसार, इन विशेषज्ञों को प्रोफेसर स्तर पर शिक्षक संकाय के रूप में नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रकाशन एवं अन्य पात्रता दिशा-निर्देशों से छूट होगी. यह योजना कार्यरत या सेवानिवृत्त शिक्षकों के लिए नहीं होगी. कुलपति या निदेशक ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के लिए जाने माने विशेषज्ञों से नामांकन आमंत्रित कर सकते हैं. इन पर चयन समिति विचार करेगी, जिसमें उच्च शिक्षण संस्थानों के दो वरिष्ठ प्रोफेसर व एक बाह्य सदस्य शामिल होंगे. ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ की संख्या मंजूर पदों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी.

Posted By: Rahul Guru

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