झारखंड में कक्षा बढ़ने के साथ छात्राएं छोड़ रहीं हैं सबसे ज्यादा स्कूल, अब शिक्षा विभाग करायेगा अध्ययन
झारखंड में छात्राओं के ड्रॉप आउट (स्कूल छोड़ने) का कारण जानने के लिए शिक्षा विभाग जिलावार अध्ययन करायेगा. कक्षा बढ़ने के साथ ही स्कूल छोड़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या बढ़ती जाती है
रांची: झारखंड में स्कूल ड्रॉप आउट करने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसमें छात्रों की संख्या सबसे अधिक है. अब कारण जानने के लिए शिक्षा विभाग जिलावर अध्ययन करायेगा. आपको बता दें कि कक्षा बढ़ने के साथ साथ स्कूल छोड़ने वालों की संख्या में अभी लगातार बढ़ रही है. हाइस्कूल में छात्राओं का ड्रॉप आउट रेट सबसे अधिक है.
शिक्षा विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि जिलावार ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या की जानकारी प्राप्त कर इस पर अध्ययन कराया जाये. इसका कारण जानकर सुधार किया जायेगा. झाशिप के प्रमोद कुमार सिन्हा और प्रवीण कुमार झा को इसकी जिम्मेदारी दी गयी. दोनों पदाधिकारियों को अध्ययन कराने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करने और प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया है. राज्य में कक्षा एक से पांच तक में ड्रॉप आउट रेट 3.5, कक्षा छह से आठ में 5.2 व कक्षा नौवीं व 10वीं में 13.4 फीसदी है. हाइस्कूल में छात्राओं की ड्रॉप आउट दर 13.7 फीसदी है.
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की पढ़ाई की मांगी जानकारी :
राज्य के सरकारी स्कूलों में विशेष आवश्यकता वाले 1654 बच्चे नामांकित हैं. इन बच्चों के पठन-पाठन को लेकर भी विभाग की ओर से जानकारी मांगी गयी है. विभाग द्वारा इन बच्चों को घर पर शिक्षा देने की व्यवस्था की गयी है. इसके लिए विशेष शिक्षक की नियुक्ति की गयी है.
शिक्षक कितने दिन बच्चों के घर जाते हैं व बच्चों की पढ़ाई के लिए कितना समय देते हैं, इसकी जानकारी मांगी गयी है. इसके अलावा बच्चों के शैक्षणिक स्तर की स्थिति की भी जानकारी मांग गयी है. एक बच्चे की पढ़ाई पर होनेवाले खर्च की भी जानकारी देने के लिए कहा गया है. बच्चों के फोटोग्राफ के साथ एक माह में विस्तृत रिपोर्ट मांगी गयी है.
स्कूलों के सुदृढ़ीकरण के लिए मांगा गया प्रस्ताव
राज्य के स्कूलों के सुदृढ़ीकरण के लिए प्रस्ताव मांगा गया है. विद्यालयों में पुस्तकालय, शौचालय, पीने का पानी, रैंप, खेल सामग्री, विद्युत कनेक्शन व वर्ग कक्ष की आवश्यकता का आकलन कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
Posted by: Sameer Oraon