खुल गये झारखंड के सरकारी स्कूल लेकिन 56,827 शिक्षकों के नहीं बना हाजरी, क्या कटेगा शिक्षकों का वेतन ?

biometric attendance jharkhand teacher : 35,452 सरकारी स्कूल झारखंड में. 1,18803 सरकारी शिक्षक राज्य में कार्यरत, 12,291 स्कूलों में बना बायोमीट्रिक अटेंडेंस, 36672 राज्य के शिक्षकों ने बनाया बायोमीट्रिक हाजिरी. 56827 शिक्षक नहीं बना पाये अपना अटेंडेंस

By Prabhat Khabar News Desk | August 7, 2021 10:08 AM

jharkhand school teacher news रांची : झारखंड के सरकारी स्कूल शुक्रवार को खुल गये. राज्यभर के शिक्षक स्कूल पहुंचे, लेकिन बायोमीट्रिक में तकनीकी गड़बड़ियों की वजह से 56,827 शिक्षक अटेंडेंस नहीं बना पाये. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने आदेश दिया है कि शिक्षकों को बायोमीट्रिक सिस्टम से ही अटेंडेंस बनाना है, वर्ना उनका वेतन जारी नहीं होगा. इधर, पूर्वी सिंहभूम में 1597 सरकारी स्कूल हैं. यहां 5,815 शिक्षक हैं. तीन दिन पूर्व जिला शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंकड़े के अनुसार, जिले के सिर्फ सात शिक्षकों ने ही अटेंडेंस बनाया था. शुक्रवार को 2142 शिक्षकों ने बायोमीट्रिक अटेंडेंस बनाया. 2257 शिक्षक अटेंडेंस नहीं बना सके.

विभाग का आदेश, बायोमीट्रिक अटेंडेंस जरूरी, वर्ना जारी नहीं होगा वेतन
डिजिटल मोड में अटेंडेंस बनाने का दूसरा अॉप्शन

शिक्षा विभाग के मुताबिक, अगर किसी स्कूल की बायोमीट्रिक मशीन खराब है, तो उक्त स्कूल के शिक्षकों को दूसरा अॉप्शन भी दिया गया है. स्कूल में टैब दिया गया है. उक्त टैब के जरिये शिक्षक अटेंडेंस बना सकते हैं. इसके अलावा शिक्षक अपने स्मार्ट फोन में अटेंडेंस एप को डाउनलोड कर भी उससे अटेंडेंस बना सकते हैं. हालांकि एक स्मार्ट फोन से सिर्फ एक शिक्षक का ही अटेंडेंस बनेगा.

40 फीसदी स्कूल बोले- खराब है बायोमीट्रिक मशीन

पूर्वी सिंहभूम जिले के करीब 40 प्रतिशत स्कूलों में बायोमीट्रिक मशीन खराब हो गयी है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने पिछले माह एक पत्र जारी किया. इसमें बताया गया कि स्कूल प्रबंधन समिति के खाते में स्कूल डेवलपमेंट फंड के नाम पर जो भी राशि है, उक्त राशि को सरेंडर किया जाये. इसके बाद पूर्वी सिंहभूम जिले के सभी 1597 स्कूलों से करीब 12 करोड़ रुपये की राशि लेकर सरेंडर कर दी गयी. सभी स्कूलों में स्कूल डेवलपमेंट फंड के नाम पर खाता शून्य है.

शिक्षकों की दलीलें

बायोमीट्रिक मशीन खराब है. मशीन को ठीक कराने के लिए एसएमसी के पास पैसे नहीं है. कई शिक्षकों की उंगली बायोमीट्रिक में एक्सेस नहीं करता है. सुदूर ग्रामीण इलाके में नेटवर्क नहीं रहने के कारण यह संभव नहीं है. स्थापना अनुमति प्राप्त स्कूलों में पदस्थापित सरकारी स्कूल के शिक्षक किस प्रकार से अटेंडेंस बनायेंगे ये राज्य स्तर पर ही स्पष्ट नहीं.

शिक्षा विभाग का तर्क

सरकार का आदेश है बायोमीट्रिक अटेंडेंस बनाना, इसका हर हाल में पालन करना होगा. अगर मंशा साफ रहेगी, तो शिक्षक निजी स्तर पर भी मशीन ठीक करवा सकते हैं. इच्छाशक्ति की जरूरत है. नेटवर्क की कहीं कमी नहीं है. पूर्व में भी सभी स्कूलों में बायोमीट्रिक ट्रायल हो चुका है. शिक्षक नियमों से बचने के लिए बहाना बनाने की बजाय बच्चों को पढ़ायें.

Next Article

Exit mobile version